लकड़ी तस्करों की बारिश में चांदी- chandan tree लकड़ी तस्करों को बारिश के मौसम का इंतजार रहता है। इस मौसम में बहुत तेजी से पेड़ों की कटान करने में सफल हो जाते हैं। जिससे उनकी चांदी है।
वजह यह है कि बारिश में मिट्टी गीली होने के कारण वन विभाग की टीम जंगलों में बेहतर तरीके से गस्त नहीं कर पाती और तस्कर इसका फायदा उठाते हैं ।
वनकर्मचारियों को चकमा देने के लिए तस्कर अब जड़ों पर मिट्टी डालकर उसे छुपा दे रहे हैं। डेढ़ माह में तस्करी तस्करों ने बंकी , फरेदा, कैंपियरगंज, कुसम्ही जंगल में बड़े पैमाने पर हरे पेड़ों की कटान की है।
वन मार्ग की दैनिक दशा का भी मिल रहा है लाभ
कुस्मही , फरेदा जंगल स्थित वन मार्ग की दशा दयनीय है। जिसके चलते वनकर्मियों की गश्त समुचित ढंग से नहीं हो पा रही है।
2 जुलाई बांकी रेंज में वनकर्मियों ने 4 बोट लकड़ियां बरामद की थी। टीम तस्करों को पकड़ने में नाकाम रही। लकड़ियां गीली होने से वन विभाग ने अनुमान लगाया कि ईद गिर्द के जंगलों से हुई है।
10 जुलाई गोरखपुर वन प्रभाग के फरे दा रेंज के परगापुर ताल में वन विभाग के कर्मचारियों ने छापा मारकर जंगल की लकड़ियों से भरी नाव पकड़ ली ।मौके से 5 बोट सागैवन की लकड़ियां बरामद हुई ।हालांकि इस दौरान तस्कर चकमा देकर भाग निकले।
12 जुलाई तिनकोनिया रेंज में तीन सागैवन के पेड़ काटे जाने का मामला सामने आया ।यहां वन कर्मियों ने बाद में देखा की जड़ों पर मिट्टी डालकर उसे छुपाया गया है।
डीएफओ अविनाश कुमार ‘बारिश में थोड़ी कठिनाई होती है लेकिन टीम सक्रिय रहती है ।अधिकांश तस्कर पकड़े भी जाते हैं। परगापुर ताल पर पहले नाव से तस्करी होती थी, लेकिन वन कर्मियों वहां भी सक्रिय हैं ।