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पुलिस किस आधार पर घोषित करती है Gangster, किसे कहा जाता है गैंगस्टर? पढ़िए पूरी रिपोर्ट

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अगर आप भारतीय मीडिया पर नजर रखते हैं तो आजकल आप एक शब्द बार-बार सुन रहे होंगे वह शब्द है “गैंगस्टर” लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर गैंगस्टर किसे कहा जाता है और पुलिस किन आधारों पर किसी को गैंगस्टर घोषित करती है,तथा जिस व्यक्ति को गैंगस्टर घोषित किया जाता है उसे क्या सजा दी जाती है?

शायद आपने कभी इन प्रश्नों पर विचार ना किया हो लेकिन सामाजिक जागरूकता के नजरिए से आपको इन सभी विषयों पर जानकारी होनी चाहिए अतः आज हम आपको गैंगस्टर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से देने वाले हैं अतः आप हमारे साथ अंत तक बनी रहे।

कौन होता है Gangster..?

सबसे पहले हम आपको यह समझा देते हैं कि आखिर गैंगस्टर किसे कहा जाता है तो आपको बता दें कि गैंगस्टर एक प्रकार से अपराधियों का गिरोह होता है अर्थात एक से अधिक अपराधियों का गिरोह जो अपराध के जरिए अनुचित लाभ प्राप्त करता है अथवा प्राप्त करने का प्रयास करता है तो इस पूरे गिरोह को गैंग,कहा जाता है.

यह लोग प्रायः अपनी आजीविका चलाने के लिए अपराधों को अंजाम देते हैं और कोई भी व्यक्ति इन्हें धन आदि भौतिक लाभ देकर इनसे अपराध करवा लेता है। इस प्रकार के अपराध करने वाले गिरोह को गैंग तथा उसके प्रत्येक सदस्य को गैंगस्टर कहा जाता है।

हर गैंग में होता है एक गैंग लीडर

आप यह समझ चुके हैं कि Gangster एक प्रकार के अपराधी होते हैं जो गिरोह बनाकर अपराधों को अंजाम देते हैं,इनकी संरचना को समझने के लिए आपको यह जानना जरूरी है कि इस गिरोह में एक मुखिया होता है जो सभी प्रकार के अपराधों का मास्टरमाइंड होता है, इसी के आदेश और निर्देश पर गिरोह के सभी सदस्य अपराध करते हैं,

बता दें कि इस अपराधी को गैंग लीडर कहा जाता है, उदाहरण के तौर पर आप सुन रहे होंगे बिश्नोई गैंग जिसमें गैंग के लीडर का नाम लॉरेंस बिश्नोई है अर्थात इस बिश्नोई गैंग का लीडर लॉरेंस बिश्नोई है और इस गैंग से जुड़े सभी गैंगस्टर अर्थात गिरोह के सभी सदस्य लॉरेंस बिश्नोई के निर्देश पर ही अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं।

1986 में पारित हुआ गैंगस्टर अधिनियम

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आपको बता दें कि गिरोह बनाकर अपराध करने वाले अपराधी व्यक्तिगत तौर पर अपराध करने वाले अपराधियों से कहीं ज्यादा खतरनाक, ताकतवर और विध्वंसक होते हैं अतः इन पर लगाम लगाना बहुत जरूरी था इसी वजह से वर्ष 1986 में Gangster अधिनियम पारित किया गया।

जिसे 2015 में और भी मजबूत कर दिया गया। बता दें कि हत्या लूट डकैती रंगदारी इत्यादि प्रकार के सभी अपराध जो किसी गैंग के सदस्य करते हैं उन सब पर गैंगस्टर अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाती है,बता दें कि यह लोग प्रायः सदस्य बदल बदल कर अपराध करते हैं इसीलिए प्रशासन के सामने सबसे बड़ा चैलेंज गिरोह के सभी सदस्यों को पहचानने का होता है इसीलिए पुलिस सदैव गैंग के लीडर को पकड़ने का प्रयास करती रहती है।

पुलिस किसी को कैसे घोषित करती है Gangster

किसी भी व्यक्ति को Gangster साबित करना साधारण प्रक्रिया नहीं है बल्कि यह प्रक्रिया कई चरणों से होकर गुजरती है,आपको बता दें कि सबसे पहले किसी थाना क्षेत्र के अंतर्गत होने वाली हत्या लूट डकैती रंगदारी आदि को करने वाले अपराधियों की संबंधित थाने का थाना प्रभारी एक चार्ट तैयार करता है.

जिसमें वह उक्त अपराधों के आरोप में पकड़े गए आरोपियों का नाम और उनसे जुड़ी अन्य जानकारी तथा उनके अपराध दर्ज करता है ,इसके बाद वह यह पता लगाने का प्रयास करता है कि इनमें से कौन-कौन से अपराधी एक ग्रुप के हैं और कौन से अपराधी दूसरे ग्रुप के ,इस प्रकार के चार्ट को गैंग चार्ट कहा जाता है इसे क्रमिक रूप से जिलाधिकारी तक भेजा जाता है।

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डीएम निर्धारित करता है किस पर लगे का Gangster एक्ट

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आपको बता दें कि थाना प्रभारी अपना गैंग चार्ट अपने क्षेत्र के सर्किल ऑफिसर को देता है सर्किल ऑफीसर यह चार्ट संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक को भेजता है और पुलिस अधीक्षक के माध्यम से यह चार्ट जिले के जिला अधिकारी को भेजा जाता है ,जिला अधिकारी इस पूरे चार्ट को बारीकी से देखता है और उसका निरीक्षण करता है।

अगर उसे लगता है कि यह व्यक्ति गैंगस्टर है तथा उनके अपराध गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत आते हैं तो वह इस चार्ट को गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही के लिए परमिट कर देता है। इस प्रकार आप समझ गए होंगे कि कुछ लोग आजीविका चलाने तथा अन्य अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए एक गिरोह बनाते हैं जिसे गैंग कहा जाता है, इस गिरोह से जुड़े सभी अपराधियों को गैंगस्टर कहा जाता है तथा इनके द्वारा किए जाने वाले अपराधों मैं गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही की जाती है। उम्मीद है आप पूरी बात को सरलता से समझ गए होंगे तथा यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।

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