Budget 2022 : सालों से, यह परंपरा चली आ रही है कि वित्त मंत्री बजट की घोषणा करते हुए अपने पास एक ब्रीफकेस रखते हैं। इस ब्रीफकेस की खास बात यह है कि इस ‘बजट ब्रीफकेस’ में मुद्रित बजट भाषण सुरक्षित होता है। लेकिन हम क्या आप जानते हैं कि इस ब्रीफकेस का भी एक इतिहास है जिसके बारे में आज हम आपको बता रहे हैं। जानिए कब से शुरू हुई थी ब्रीफकेस की परंपरा?
दरअसल, बजट के पेपर्स को ब्रीफकेस में रखने की परंपरा हमें अंग्रेजों ने दी थी। तत्कालीन ब्रिटिश बजट प्रमुख विलियम ई. ग्लैडस्टोन ने 1860 में एक लाल सूटकेस का इस्तेमाल किया। इस ब्रीफकेस में रानी का मोनोग्राम उभरा हुआ था। ग्लैडस्टोन की इस ब्रीफकेस को ‘ग्लैडस्टोन बॉक्स’ कहा जाता था और सभी नेता अपने बजट की घोषणा के समय इस बॉक्स को अपने साथ लेकर जाते थे। वैसे, ग्लैडस्टोन का मूल बजट बॉक्स 2010 में बंद कर दिया गया था। पहले बजट में चमड़े का बैग था
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अब बात करते हैं हमारे देश के पहले बजट की तो स्वतंत्र भारत का पहला केंद्रीय बजट 26 नवंबर, 1947 को आरके शन्मुखम चेट्टी ने प्रस्तुत किया था। उनके पास भी एक चमड़े का बैग था। 1958 में जवाहरलाल नेहरू ने बजट प्रस्तुत किया और वे काले रंग का ब्रीफकेस ले गए थे।
वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने साल 1991 में बजट पेश किया था और उस समय उनके पास काले रंग का बैग था। साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकारों में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के पास भी काले रंग का ही बैग था।
कोंग्रेस की सरकार के दौर में यानी मनमोहन सिंह की सरकार में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने एक ‘लाल ब्रीफकेस’ का इस्तेमाल किया था। तो, वहीं एनडीए सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने पास एक टैन ब्रीफकेस रखा था।
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1 फरवरी 2019 को अंतरिम बजट पेश करने वाले पीयूष गोयल ने ‘रेड ब्रीफकेस’ इस्तेमाल किया था। किंतु, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 में ब्रीफकेस की परंपरा को तोड़कर इतिहास रचा दिया। उन्होंने पारंपरिक बहीखाता की colonial legacy को छोड़ कर बजट कागजात ले जाने के लिए ‘बही खाता’ का ऑप्शन दिया।
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टेक्नोलॉजी से कदम मिलाते हुए, निर्मला सीतारमण ने 2021 में एक पूर्ण पेपरलेस बजट प्रस्तुत किया था। निर्मला सीतारमण ने ‘बही खाता’ की जगह ‘मेड इन इंडिया’ आईपैड का इस्तेमाल किया था।