Bollywood News: फिल्म बनाने के दौरान जब प्रकाश मेहरा ने कहा- ‘जावेद, इसकी कलाकार की सिफारिश करने के लिए धन्यवाद, क्योंकि मैं इस कलाकार के बगैर फिल्म बनाने की कल्पना भी नहीं कर सकता.’
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मैं फिल्मी दुनिया के उन बहुत थोड़े लोगों में था, जो इस नौजवान अभिनेता की छुपी हुई जबरदस्त प्रतिभा को देखकर उसे सराह सके, यहां तक कि तब भी जब उनकी फिल्में ज्यादा नही चलरही थीं। उनकी अभिनीत फिल्म रास्ते का पत्थर (1972) फ्लॉप फिल्म थी- मुझे लगता है उस फिल्म के प्रोड्यूसर के अलावा अकेला मैं ही था जिसने ये फिल्म तीन बार देखी।
लेकिन मैंने देखा कि अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म में दमदार अभिनय किया था। यहां तक कि फिल्म परवाना (1971) और महमूद द्वारा निर्देशित गरम मसाला (1972) में भी, जिसमें उन्होंने रॉबर्ट टेलर नाम के कॉमेडी किरदार के तौर पर गेस्ट रोल की भूमिका की थी, उनका अभिनय तारीफ के योग्य था।मुझे लगा कि बस एक ही चीज उनके साथ खराब थी और वह थी खराब स्क्रिप्ट और खराब निर्देशन।
अमिताभ बच्चन को जंजीर (1973) में लेने के लिए प्रकाश मेहरा को मनाने में थोड़ा समय लगा, क्योंकि वे सफल अभिनेता की तलाश में थे। फिल्म बनाने के दौरान, मुझे याद है जब प्रकाश मेहरा ने कहा: ‘जावेद, इस एक्टर की सिफारिश करने के लिए शुक्रिया, क्योंकि मैं इसके बगैर फिल्म बनाने की सोच भी नहीं सकता।”
स्क्रिप्ट में प्रकाश जी काफी यकीन करते थे, उनके इस यकीन को लेकर प्रकाश जी के प्रति मेरे मन में बड़ा सम्मान है,जंजीर में भूमिका के लिए हर ‘काम के’ अभिनेता ने इनकार कर दिया था, लेकिन प्रकाश जी ने स्क्रिप्ट नही छोड़ा। किस्मत की बात है की बड़े एक्टर ने ये फिल्म छोड़ दी वरना अमिताभ को वह मौका नहीं मिलता। जंजीर आगे चलकर गोल्डन जुबिली हिट हुई और अमिताभ बच्चन के लिए यह मिल का पत्थर साबित हुई।
सलीम खान और मैंने लगभग 22 फिल्मों की कहानी लिखीं और उनमें से 11 फिल्मों में अमिताभ बच्चन थे। उन्होंने कभी किसी डायलॉग का एक शब्द भी नहीं बदला। हमें भाषा की बारीकियों के बारे में उन्हें समझानी नहीं पड़ती थीं; उन्हें ये सारी चीजें पहले से पता होती थीं। लेखक स्वभाव से काफी तुनुकमिजाज होते हैं, पर हमने साथ में जितनी भी फिल्में कीं, उन फिल्मों में एक भी लाइन में मुझे ऐसा नहीं लगा कि उन्होंने डायलॉग उस तरह न बोला हो जैसी मैंने सोचा थी।
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अमिताभ बच्चन बनने के लिए आपके अंदर बहुत अच्छी खूबी होनी चाहिए जैसे प्रतिभाशाली होना, अनुशासनप्रिय, अपने काम के प्रति जिम्मेदारी, और सामाजिक व्यवहार अच्छा। आज भी वे 80 की उम्र में अपने हर शॉट को ऐसे देते हैं जैसे यह उनके जिंदगी का पहला शॉट हो और इसी शॉट पर उनका भविष्य टिका हो।
वह कभी भी किसी डायरेक्टर या प्रोडक्शन के काम में दखल नहीं देते है। आपको जितना काम चाहिए वह पूरा करके देते हैं। यही वजह है की उनके साथ काम करने के बाद हर कलाकार उनसे कुछ न कुछ सीख कर ही जाता है।
Bollywood News, बच्चन साहब के अभिनीत अगर पसंदीदा फिल्मों के बारे में पूछा जाए तो अधिकतर लोगों के जवाब जंजीर होते हैं जो कि 1973 में रिलीज हुई थी, उसके साथ अमर अकबर एंथोनी, त्रिशूल,डॉन, और दीवार, लेकिन उनकी अभिनय की अगर हम बात करें तो उन्होंने हर फिल्म में अपनी पूरी क्षमता के साथ काम किया है।