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Baby Aadhar Card, नवजात के रिकॉर्ड और आंकड़ों को दुरुस्त करने के लिए शासन ने नई पहल की शुरुवात की है। अब अस्पतालों में जन्म के कुछ ही मिनटों बाद हेल्थ कर्मी वार्ड में पहुंचकर टैब्लेट के कैमरे से एक क्लिक कर आधार कार्ड बना देंगे। जिला महिला अस्पताल और सीएचसी-पीएचसी में यह सुविधा शुरू भी हो चुकी है। इस दौरान करीब 150 से अधिक नवजातों के आधार कार्ड भी बनाए गए हैं।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण यूपी सरकार ने पिछले महीने ही आधार लिंक बर्थ रजिस्ट्रेशन एएलबीआर के तहत ही पूरे प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों को नवजात शिशुओं के जन्म को आधार से लिंक करवाने के निर्देश भी दिए थे। 20 मार्च को लखनऊ के स्वास्थ्य भवन में हेल्थ कर्मियों को ट्रेनिंग दी गई थी। ट्रेनिंग में करीब 30 से अधिक हेल्थ कर्मी शामिल हुए, लखनऊ के स्वास्थ्य भवन से 21 मार्च को ट्रेनिंग को लेकर उपकरणों के साथ लौटे हेल्थ कर्मियों ने अब नवजात का आधार कार्ड बनाना शुरू कर दिया है। इस दौरान करीब 150 से अधिक नवजात का आधार कार्ड बनाया गया है।
जिला महिला अस्पताल में अब तक 100 नवजात के आधार कार्ड भी बनाए जा चुके हैं। महिला अस्पताल में डाटा आपरेटर ओम प्रकाश त्रिशूलिया को यह जिम्मेदारी दी गई है। बताया कि जिले में 0 से 5 साल तक के नवजात के कार्ड नाममात्र ही बने हैं। महिला अस्पताल के एसआईसी डॉ. एनके श्रीवास्तव ने बताया कि आधार लिंक बर्थ रजिस्ट्रेशन शुरु होने से अब प्रसव के लिए लोगों का रूझान सरकारी अस्पतालों की ओर और ज्यादा बढ़ेगा। यहां प्रसव के बाद कर्मचारी खुद वार्डों में जाकर नवजातों के आधार कार्ड भी बनाएंगे। जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में यह सुविधा नहीं मिल पाएगी।
उत्तर प्रदेश शासन की ओर से 0 से 5 साल तक के नवजात बच्चों के आंकड़े मांगे जाने पर ग्राम पंचायत या फिर ब्लॉक स्तरीय कर्मचारी अपने घर बैठे ही पिछले साल के तुलना 20 % की वृद्धि कर रिपोर्ट भी भेज देते थे। कभी कभी तो रिपोर्ट मेन नहीं आने पर ग्राम पंचायत और ब्लॉक स्तरीय कर्मचारियों के बीच काफी तनाव का माहौल भी देखने को मिल जाता था।
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“आधार लिंक वर्थ रजिस्ट्रेशन के तहत जिले में अब तक 150 से अधिक नवजातों के आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं। नवजातों के आधार कार्ड बनने से वैक्सीनेशन व हेल्थ संबंधी अन्य अभिलेखों के डिजिटलाइजेशन में आसानी होगी।”