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Around 800 Medicines Will Become Expensive: अप्रैल से महंगी हो जाएंगी लगभग 800 दवाइयां, खांसी–बुखार जैसी बीमारियों के दवाइयों के बढ़ेंगे रेट

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Around 800 Medicines Will Become Expensive

Around 800 Medicines Will Become Expensive: केंद्र सरकार की ओर से शेड्यूल दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की मंजूरी दे दी गई है पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच अब अप्रैल से दवाओं के दाम भी बढ़ने वाले हैं जिसके बाद 1 अप्रैल से लगभग 800 दवाओं की कीमतों में 10 से 11 फ़ीसदी की बढ़ोतरी होने वाली है नेशनल पॉलीटिकल क्रॉसिंग अथॉरिटी ने 25 मार्च को यह घोषणा की है

भारत में दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी थोक दर में महंगाई दर के आधार पर तय की जाएग दोस्तों खांसी बुखार की दवा की जरूरत तो हर किसी को होती है मगर हर कोई चाहता है कि अचानक आवश्यक दवाओं जैसे सर्दी खांसी की दवाओं के कीमतों में इजाफा ना हो लेकिन अप्रैल से करीब 800 से ऊपर जरूरत वाली दवाओं में करीब 10 से 11% की वृद्धि हो सकती है

आइए जानते हैं कि किन दवाओं की कीमत बढ़ सकती है

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इंडिया टुडे की न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक जिन जिन दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी उनमें हार्ड डिजीज हार्ड ब्लड प्रेशर बुखार स्किन डिजीज और एनीमिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली सभी दवाएं शामिल है यानी पेरासिटामोल, सिप्रोफ्लोक्सा सीन हाइड्रोक्लोराइड , मेट्रोनिडाजोल , फिनायटोइन सोडियम जैसी दवाएं अब महंगी मिलेंगी इसके अलावा कोरोना वायरस के महामारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाले सभी दवाएं भी आपको 10 % महंगी दर से मिल सकती हैं

कौन सी दवा मिलेगी 10 परसेंट महंगी दर से

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बुखार त्वचा रोग के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाएं ब्लड प्रेशर में इस्तेमाल होने वाली दवाएं हृदय रोग में इस्तेमाल होने वाली दवाएं पर महंगाई की मार पड़ने वाली है अप्रैल से दर्द निवारक और एंटीबायोटिक मोनू मेट्रोनिडाजोल जैसी जरूरी दवाएं पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है केंद्र सरकार ने इस पर हरी झंडी दे दी है NPPA का कहना है इन दवाओं के दाम थोक महंगाई के आधार पर बढ़ाए जाएंगे कोरोना महामारी के बाद से फार्मा इंडस्ट्री दवाओं की कीमतों को बढ़ाने के लिए लगातार मांग कर रहे थे

क्या कहती है NPPA की रिपोर्ट


NPPA हर साल महंगाई में सालाना बदलाव के आधार पर तय करता है की फार्मा कंपनियां दवा की कीमत में कितना इजाफा कर सकती हैं NPPA ने 25 मार्च को नोटिस जारी कर बताया की DPCO प्रावधानों के अनुसार दवाओं की कीमत तय करता है DPCO 2013 के प्रावधानों के तहत किसी भी फार्मा कंपनी के लिए अपनी दवाओं के एमआरपी को बराबर या उससे कम एमआरपी पर बेचना जरूरी होता होता है NPPA गैर शेड्यूल दवाओं की कीमतों को भी नियंत्रित करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके क्यों उसकी एमआरपी के पीछे पिछले 1 वर्षों के दौरान 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी नहीं की गई है

केंद्र सरकार से मिली मंजूरी

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भारत सरकार द्वारा अलग-अलग स्वास्थ्य योजनाओं के लिए शेड्यूल दवाई को खरीदने कि और सरकारी अस्पतालों में उन्हें मुफ्त उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाती है जो इन दवाई में जरूरी ड्रग शामिल होते हैं और इनकी कीमतों में बढ़ोतरी सरकार के आदेशा अनुसार ही होता है

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फार्मा इंडस्ट्री कर रहे थे मांग

Around 800 Medicines Will Become Expensive रिपोर्ट के मुताबिक फार्मा इंडस्ट्री पिछले 2 सालों में दवाओं में इस्तेमाल होने वाली जरूरी सामग्रियों की कीमत 15 से 130 फ़ीसदी तक बढ़ी है वही पेरासिटामोल की कीमतों मैं भी लगभग 130 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है इसके अलावा शिप्रा ,ओरल ड्रॉप्स और कई अन्य दवाएं और मेडिकल में इस्तेमाल होने वाली ग्लिसरीन की कीमत 260 फ़ीसदी तक बढ़ी है इन सभी सामग्रियों के दाम बढ़ने के बाद पिछले साल फार्मा इंडस्ट्री ने केंद्र सरकार से दवाओं के दाम में बढ़ोतरी की अनुमति मांगी थी

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