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Anil Agarwal: सरकार ये कदम उठाए, देश में 12 रुपए लीटर मिलेगा कच्चा तेल…

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Anil Agarwal: Petroleum जरूरतों के लिए आयात पर निर्भरता से भारत को कई मोर्चे पर नुकसान उठाना पड़ता है। मंगलवार को रुपया पहली बार डॉलर के मुकाबले 80 के पार निकल गया। इसका भी मुख्य वजह क्रूड आयल है। लेकिन इसी बीच वेदांत लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने एक ऐसा सुझाव दिया है। जिसे अगर सरकार मान ले तो कच्चा तेल के आयात पर 75 प्रतिशत तक की बचत हो सकती हैं।

Anil Agarwal

Anil Agarwal ने एक बयान में बताया

Anil Agarwal ने इस बारे में एक बयान जारी किया। उन्होंने यह कहा कि अगर सरकार खोज एवं उत्पादन में प्राइवेट सेक्टर को अधिक भागीदारी की मंजूरी दे तो भारत खुद ही कच्चा तेल का उत्पादन कर सकता है। जो कि आयातित कच्चा तेल की तुलना में तीन चौथाई सस्ता होगा। एनर्जी सेक्टर और मेटल में कारोबार करने वाले अनिल अग्रवाल देश के प्राकृतिक संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए निजी क्षेत्रों की अधिक भागीदारी की पैरवी करते रहे हैं। इस बार अग्रवाल ने ये सुझाव ऐसे समय में दिया है।

जब रुपए ने गिरने का रिकॉर्ड बना लिया तथा देश का व्यापार घाटा 1 दिन पहले ही ऑल टाइम हाई पर जा चुका है। इसकी मुख्य वजह कच्चा तेल और कोयला सहित कुछ उत्पादों के आयात में आई तेजी है।

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घरेलू क्रूड आयल इतना सस्ता पड़ेगा

बता दें कि अभी भी भारत औसतन $100 प्रति बैरल की दर से कच्चा तेल आयात कर रहा है। एक बैलर में लगभग 159 लीटर कच्चा तेल होता है। इस प्रकार देखो तो भारत को फिलहाल बाहर से कच्चा तेल खरीदने पर हर 1 लीटर के लिए लगभग 50 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। अगर अग्रवाल की बात माने तो घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाला कच्चा तेल एक चौथाई भाव में मिल जाएगा।

इसका मतलब यह हुआ कि घरेलू क्रूड ऑयल के मामलों में सरकार को एक बैरल पर लगभग $25 यानी कि हर लीटर के लिए लगभग 12 रुपए खर्च करने होंगे। क्रूड आयल अगर सस्ता होता है तो इसका फायदा आम आदमी को भी मिलेगा, क्योंकि इस अनुपात में Petrol Diesel भी सस्ते हो जाएंगे।

कई सारे फायदे होंगे सरकार को

Anil Agarwal ने एक बयान में यह बताया कि भारत आयात की लागत की तुलना में एक चौथाई कीमत पर कच्चा तेल का उत्पादन कर सकता है। ठीक उसी प्रकार जैसे केयर्न सरकार को 26 डॉलर प्रति बैरल की दर से तेल दे रही है। जबकि हमारी इकोनामिक ग्रोथ को पारंपरिक इंडस्ट्री एवं स्टार्टअप्स दोनों मिलाकर चला रहे हैं। हमारे स्टार्टअप्स एवं उद्यमियों को बिना डरे काम में उर्जा लगाने के लिए प्रोत्साहित करने से बड़े स्तर पर रोजगार का सृजन करना होगा तथा सरकार को भारी-भरकम राजस्व मिलेगा।

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भारत भंडार के बाद आयात करता है

उन्होंने यह बताया कि उद्यमियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा एनालिटिक्स और ऑटोमेशन जैसी आधुनिक तकनीकों के साथ तेल गैस की खोज के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। मेटल्स, रेयर मीटर्स, हाइड्रोकार्बन और मिनिरल्स के मामले में खोज और उत्पादन नीति को उदार बनाना भारत के लिए अहम है। भारत को खनिजों तथा धातुओं के अच्छे खासे भंडार का गिफ्ट मिला है।

लेकिन ये हैरान करने वाली बात है कि इसके बाद से भी हम साल दर साल भारी भरकम इंपोर्ट बिल का भुगतान करते हैं। हालांकि अत्याधुनिक तकनीकों को बनाने की दिशा में आने वाले दशकों के दौरान ही यह धातु महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

भारत को सुरक्षा इन चीजों से मिलेगी

ये पहली बार नहीं है जब Anil Agarwal ने एनर्जी सिक्योरिटी पर भारत को तत्काल काम करने की वकालत की हो। वह कोयला खनन को खुला बनाने तथा प्राइवेट तेल और गैस कंपनियों को बराबरी का माहौल देने की पैरवी करते रहे हैं। उन्होंने अपने ताजा बयान में यह कहा है कि अगर घरेलू उत्पाद बढ़िया हो तो इससे देश को वैश्विक संकट से सुरक्षा मिलेगी, बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरी मिलेगी, उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और वाइब्रेट इकोसिस्टम तैयार होगा।

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