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Ajab Gajab रवांडा एक ऐसा देश है जिस के पार्लियामेंट में सबसे ज्यादा महिलाएं देखने को मिलती हैं । रवांडा के लोअर हाउस पार्लियामेंट में यानी उसके लोकसभा में 61.3% महिलाएं हैं। रवांडा का नाम Least development countries और लोअर इनकम सूची में गिना जाता है। इसके बावजूद भी इस देश में यह उपलब्धि हासिल की। महिलाओं के पार्लियामेंट में होने की जब बात आती है तो पूरी दुनिया के वैश्विक औसत 25.5% है पूरी दुनिया में सिर्फ तीन ही देश ऐसे हैं जिनमें महिलाओं की पार्लियामेंट में 50 या 50% से ज्यादा संख्या है इन 3 देशों में रवांडा में 61% महिलाओं की उपस्थिति क्यूबा में 53% और UAE में 50% महिलाओं की उपस्थिति पार्लियामेंट में है। विश्व में रवांडा ऐसा पहला देश है जहां महिलाओं की पार्लियामेंट में उपस्थिति सबसे अधिक है और महिलाओं की पार्लियामेंट में उपस्थिति के प्रतिशत में इसमें रवांडा और क्यूबा में 8% का अंतर है।
1994 में रवांडा में भयंकर जाति संहार हुआ था । रवांडा के अधिकांश जनसंख्या हुतु थी । और तुत्सी अल्पसंख्यक जनसंख्या थी। तो अधिकांश जनसंख्या ने जाति संहार किया । इस जाति संहार में अधिकतर आम आदमियों की मृत्यु हुई। इस जाति संहार में तुत्सी लोग ज्यादा संख्या में मरे। Ajab Gajab आमतौर पर देखा जाता है कि युद्ध नरसंहार में ज्यादातर आदमी जाते हैं। औरतें युद्ध लड़ाई में बहुत कम जाती हैं। इससे जब जाति संहार खत्म हुआ तो 70% जनसंख्या औरतों की थी और आदमियों की जनसंख्या केवल 30% ही बची थी और 70% महिलाओं में अधिकतर महिलाएं शिक्षित, घरेलू और जॉब के लिए अयोग्य थी। देश में बहुत बड़ा बदलाव की आवश्यकता थी।
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उस समय रवांडा के नए प्रेसिडेंट Paul Kagame ने निश्चय किया कि यदि हमें अपने देश को फिर से डेवलप करना है तो वापस से देश को विकास की राह पर लाना है तो वहां की महिलाओं को बड़ा रोल निभाना पड़ेगा और इसलिए पब्लिक कोटा (public qouta) लाया गया।
Ajab Gajab जैसे हमारे भारत देश में जाति पर आधारित आरक्षण दिया जाता है और उससे संबंधित सरकारी नौकरियों में और कॉलेजों में सीटों में कोटा होता है वैसे रवांडा में लिंग पर आधारित कोटा होता है। इनके 2003 के कॉन्स्टिट्यूशन का आर्टिकल – 9 साफ तौर पर कहता है कि- 30% सीट पार्लियामेंट में महिलाओं के लिए रिजर्व है। ( Ajab Gajab )
रवांडा में सितंबर 2003 में जनरल इलेक्शन हुए तो 30% सीटों पर महिलाओं को इलेक्ट किया गया और कुछ नॉन रिजल्ट सीटों पर भी महिलाओं को अलग किया गया था। और फिर जब भी चुनाव हुए तो महिलाओं की बाबा भागीदारी बढ़ती चली गई कभी पार्लियामेंट में महिलाओं की भागीदारी उपस्थिति 56% कभी 63% और वर्तमान में 61% उपस्थिति रवांडा के पार्लियामेंट में महिलाओं की है।
इस तरफ का रवांडा में नेताओं के सही इरादे जनता के दवाब तथा पब्लिक कोटा से महिलाओं की उपस्थिति हर क्षेत्र में बड़ी है ।चीन और पाकिस्तान जैसे देशों में पब्लिक पोटा जैसे आरक्षण द्वारा 30% सीटें पार्लियामेंट में रिजर्व की गई है ।भारत में भी इस प्रकार के आरक्षण की बड़ी चर्चा की जाती है कि रिजर्वेशन बिल को पास किया जाना चाहिए महिलाओं के लिए 30% से पार्लियामेंट में रखी जाए। ( Ajab Gajab )
लेकिन केवल और केवल पब्लिक कोटा अकेले से महिलाओं की भागीदारी पार्लियामेंट या अन्य क्षेत्रों में नहीं बढ़ी है। इसके लिए भी कई कारक जिम्मेदार है लेकिन पब्लिक कोटा किसी देश की महिलाओं को देश के विकास में शामिल करवाने के लिए बहुत प्रभावी है। इसलिए अनेक देश पब्लिक कोटा को अपना रहे हैं। महिलाओं के पार्लियामेंट में उपस्थिति से बहुत से लाभ है। ( Ajab Gajab ) जैसे कि महिलाएं पार्लियामेंट में महिलाओं से जुड़े मुद्दों को बड़े प्रभावी ढंग से उठाते हैं और पुरुषों से अधिक महिलाएं शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस करती हैं । उदाहरण के लिए केन्या में जब औरतें पार्लियामेंट में आई तो उन्हीं की मदद से पार्लियामेंट में Genital Mutilation illegal बिल पास किया गया।
Ajab Gajab लेकिन पब्लिक कोटा के विपक्ष में भी कुछ तर्क दिए गए हैं 2005 की एक रिसर्च पेपर ने तर्क दिया कि कुछ देशों में जेंडर कोटा की वजह से इन निरक्षर महिलाएं ऊपर की पोजीशन पर बैठ जाती है। और वास्तव में उनमें ज्यादा पावर और योग्यता होती नहीं है ।और जो वास्तव में पावरफुल लोग होते हैं वह उसी पोजीशन में बैठी महिलाओं को टोकन की तरह इस्तेमाल करते हैं उन्हीं के जरिए अपनी राजनीति खेलते हैं। ( Ajab Gajab )
हमारे देश में इसका सबसे सीधा ,सरल और सटीक उदाहरण ग्राम प्रधान चुनाव है जिसमें महिलाओं को प्रधान के पद पर बैठा दिया जाता है और उन्हें कठपुतली की भांति अपने लाभ के हिसाब से मूब किया जाता है।
रवांडा में भागीदारी महिलाओं की बढ़ गई इसका यह मतलब नहीं है कि महिलाओं को असमानता का सामना नहीं करना पड़ रहा है आज भी महिलाओं को असमानता का सामना करना पड़ रहा है।