AFSPA का प्रभाव एक अप्रैल से नागालैंड, असम और मणिपुर में कम होगा, मोदी सरकार का बड़ा ऐलान

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AFSPA: केंद्र सरकार ने दशकों बाद से असम, नागालैंड तथ मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी कि एएफएसपीए के अंतर्गत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया। ये जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को ट्विटर पर दी। उन्होंने यह कहा कि AFSPA के अंतर्गत क्षेत्रों में कमी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से उग्रवाद को समाप्त करने, उत्तर पूर्व में स्थाई शांति लाने के लिए लगातार प्रयासों तथा कई समझौतों के वजह बेहतर सुरक्षा एवं तेजी से विकास का परिणाम है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अटूट प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद! पूर्वोत्तर रेलवे जो दशको से उपेक्षित था।


दरअसल त्रिपुरा से AFSPA को 2015 में तथा मेघालय से 2018 में पूरी तरह से हटा लिया गया था। वहीं पर असम में वर्ष 1990 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना लागू है। हालांकि 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से सुरक्षा की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार की वजह से अब 1 अप्रैल से असम के 30 जिलों को पूर्ण रूप से तथा 1 जिले को आंशिक रूप से AFSPA के प्रभाव से हटाया जा रहा है।

केंद्र सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए गए AFSPA


हालांकि मणिपुर (इंफाल नगर पालिका क्षेत्र को छोड़कर) में अशांत क्षेत्र घोषणा साल 2014 से चल रही है। जबकि केंद्र सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 6 जिलों के 15 पुलिस स्टेशन क्षेत्र को 1 अप्रैल से अशांत क्षेत्र अधिसूचना से बाहर किया जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश में भी 2015 से 3 जिले, अरुणाचल प्रदेश की असम से लगने वाली 20 किलोमीटर की पट्टी तथा नौ अन्य जिलों में 16 पुलिस स्टेशन क्षेत्र में AFSPA लागू था। धीरे-धीरे काम करते हुए वर्तमान में सिर्फ 3 जिलों में तथा एक अन्य जिलों के 2 पुलिस स्टेशन क्षेत्र में लागू है। चूंकि नागालैंड में अशांत चित्र अधिसूचना साल 1995 से लागू है।

AFSPA हटाने की मांग नागा लोगों के लिए काम करने वाले संगठन ने ही की थी.


अभी अभी हाल ही में नागा लोगों के लिए काम करने वाली एक संगठन ने नागालैंड में सशस्त्र बल यानी कि विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) विस्तारित किए जाने की निंदा भी की थी। असल में नागालैंड के मोनू जिले के वोटिंग इलाके में पिछले साल दिसंबर की शुरुआत में ही पैरा कमांडो द्वारा नागरिकों के मारे जाने के बाद से कई वर्गों में अफस्पा हटाने की मांग की थी। जबकि ग्लोबल नागा फोरम ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था।

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कमी आई उग्रवादी घटनाओं में


केंद्र सरकार के अनुसार वर्ष 2014 की तुलना में साल 2021 में उग्रवादी घटनाओं में 74 फ़ीसदी की कमी आई। इसके अलावा भी इसी दौरान सुरक्षाकर्मियों तथा नागरिकों की मौत में क्रमशः 60 फ़ीसदी तथा 84 फ़ीसदी की कमी आई है। सरकार के अनुसार बीते कुछ सालों में 7000 उग्रवादियों ने सरेंडर किया है।

AFSPA को राज्य के इन चित से हटाया गया


दरअसल मोदी सरकार द्वारा शिक्षा की स्थिति में सुधार की वजह से AFSPA के अंतर्गत अशांत क्षेत्र अधिसूचना को त्रिपुरा से वर्ष 2015 में तथा मेघालय वर्ष 2018 में पूरी तरह से हटा लिया था। हालांकि पूरे असम में वर्ष 1990 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना लागू है। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से सुरक्षा स्थिति में सुधार की वजह से ही 1 अप्रैल 2022 से असम के 23 जिलों को पूर्ण रूप से तथा 1 जिले को आंशिक रूप से AFSPA के प्रभाव से हटाया जा रहा है।

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