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इतिहास के पन्ने पलटने पर ज्ञात होता है कि पत्रकार हमेशा से सत्ता पर आसीन रहने वालों के सरदर्द बने होते हैं क्योंकि वह सवाल करते हैं और जवाब देने की हिम्मत और आलोचना सहने की हिम्मत तो कोई सच्चा नेता ही कर पाता है। बुझदिल राजनेता सिर्फ पत्रकारों के सवालों से बचने का जरिया ढूंढते हैं। और कई पत्रकारों को कई तरह के प्रलोभन दिए जाते हैं कि वह अपनी आवाज को कंट्रोल में रखें। लेकिन जो प्रलोभन को स्वीकार कर लेते हैं वह एक राष्ट्रवादी गोदी – मीडिया बन जाते हैं और जो पत्रकार सरकार द्वारा दिए गए प्रलोभन को अस्वीकार कर देते हैं वह देशद्रोही कहलाते हैं। उनके ऊपर NSA धारा लगाकर जेल के अंदर डाल दिया जाता है। ( क्यों डरती है सरकार पत्रकारों से ) लेकिन जो सच्चा पत्रकार होता है वह जेल जाकर भी, प्रताड़ना सहकर भी सच कहना और सवाल पूछना नहीं छोड़ता चाहे उसे पत्रकारिता के लिए कितनी बड़ी कीमत चुकाना पड़े।
( क्यों डरती है सरकार पत्रकारों से ) दैनिक जागरण ऐसा ही एक अखबार है जिसने गत दिनों कोविड-19 में दूसरी लहर में हुई तबाही की साफ और सच्ची खबर अपने अखबार के पहले पन्ने पर छापी । जब संसद में झूठ बोला गया कि कोरोना की दूसरी लहर में किसी की भी मृत्यु ऑक्सीजन की कमी के कारण नहीं हुई। तब दैनिक भास्कर ने अपने अखबार के पहले पेज पर सरकार की इस बात का खंडन किया और मध्यप्रदेश में अप्रैल में ऑक्सीजन की कमी से हुए 15 हादसों में 60 लोगों की मौत की खबर छापी । इससे सरकार तिलमिला गई और दैनिक जागरण के हर एक दफ्तर पर आयकर विभाग से छापेमारी करवा दी। ( क्यों डरती है सरकार पत्रकारों से ) सांच को आंच नहीं दैनिक भास्कर ने सरकार द्वारा दिए गए कोरोना से मृत्यु के आंकड़ों का भी तथ्यात्मक खंडन किया। दैनिक भास्कर ने गुजरात सरकार के दावे का भी खंडन किया कि कोरोना से अकेले अहमदाबाद में 3416 मौतें हुई हैं और सरकार कहती है कि एक माह में गुजरात में अरुणाचल 3578 यह कैसे संभव है। दैनिक भास्कर ने अपने तथ्यात्मक आंकड़ों द्वारा सरकार को एक्सपोज कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी जी ने कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों को सहायता देने का आह्वान किया था लेकिन उन्होंने जो अनाथ बच्चों की सूची बताई उसमें भी आंकड़ा गलत था लेकिन दैनिक भास्कर ने सरकार के सारे झूठ की पोल खोल कर रख दी।
उत्तर प्रदेश का एक न्यूज़ चैनल जिसका नाम भारत समाचार है वह भी भारत सरकार की आलोचना करता है और सत्ता से सवाल करता है । तो सरकार ने उसकी आवाज दबाने के लिए भी आयकर विभाग से छापा करवा दिया । ( क्यों डरती है सरकार पत्रकारों से ) जिससे कि न्यूज़ चैनल पत्रकारिता छोड़कर चाटुकारिता करने लगे जिस तरह और भी बड़ी न्यूज़ चैनल करते हैं। लेकिन हमें गर्व है ऐसे न्यूज़ चैनलों पर जो सरकार के दल्ले नहीं हैं अपनी सच्चाई के दम पर डट कर खड़े हैं। आयकर विभाग तो जैसे सरकार के हाथों की कठपुतली है सरकार आयकर विभाग को जहां नाचाना चाहती है वही नाचने लगता है।
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सरकार पत्रकारों से इतना डरती है कि सरकार को इजराइल से पेगासस स्पाइवेयर मंगवाना पड़ा। ( क्यों डरती है सरकार पत्रकारों से ) सरकार ने अभी तक इस बात को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है कि उसने स्पाइवेयर खरीदा है लेकिन जनता मूर्ख नहीं सब जानती है। सरकार को पत्रकारों से इतना डर है कि जितना आतंकवादियों से भी नहीं है। पेगासस स्पाइवेयर से भारत के 40 पत्रकारों के जासूसी कराई गई गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह कोई अंतरराष्ट्रीय साजिश है हालांकि अभी तक बीजेपी सरकार ने यह बात नहीं कबूली है कि भारत सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर खरीदा है या नहीं। क्यों डरती है सरकार पत्रकारों से लेकिन यह सोचने वाली बात है कि NSO सिर्फ सरकार कोही पेगासस स्पाइवेयर बेचती है और सरकार कह रही है कि यह अंतरराष्ट्रीय साजिश है। यदि अंतरराष्ट्रीय साजिश होती तो वह प्रधानमंत्री का फोन हैक करते , गृहमंत्री का का फोन हैक करते कोई अंतरराष्ट्रीय साजिशकर्ता पत्रकारों के, विपक्ष के फोन नंबर हैक क्यों करेगा खासकर उन लोगों का नंबर जो सरकार से सवाल करते हैं और सरकार की पोल खोलते हैं। यदि किसी अंतरराष्ट्रीय साजिश को पत्रकारों का नंबर ही हैक करना होता तो वह गोदी- पत्रकार का नंबर हैक करता । ( क्यों डरती है सरकार पत्रकारों से ) जिससे न्यूज़ की भी जानकारी और सरकार की भी जानकारी साजिशकर्ता को मिल जाती।
इन्हीं पत्रकारों के नंबर हैक क्यों किए गए हैं जो सत्ता से सवाल करते हैं और सरकार की खोखली नीतियों को जनता के सामने रखते हैं इससे तो यही सिद्ध होता है कि बीजेपी सरकार पत्रकारों की जासूसी जैसा घिनौना काम कर रही थी । ( क्यों डरती है सरकार पत्रकारों से ) लेकिन सरकार पत्रकारों की जासूसी क्यों करा रही है क्या पत्रकार आतंकवादी है । क्या पत्रकार देश के लिए खतरा बन गए हैं नहीं। पत्रकार उनके लिए खतरा है जो सवालों से भागते हैं। जो सच्चाई का सामना नहीं कर सकते हैं उनको पत्रकारों से खतरा है ।