भूस्खलन क्या है ? हर साल भूस्खलन(Landslide) से सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। लेकिन सरकार भूस्खलन जैसी समस्या पर ध्यान क्यों नहीं देती ?

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नदियों के कटान से और अधिक वर्षा से पर्वतों पर होते हैं इसी प्रकार के भूस्खलन जो भारी जनधन की हानि पहुंचाते हैं

Landslide से नीचे आते हैं तो अपने मार्ग की सारी चट्टानों से टकराती हुई  अपने साथ बहुत सारे मलवा को  नीचे ले आते हैं इस क्रिया को Landslide कहते हैं। यह क्रिया तृतीयक युगीन मोडदार पर्वतों पर अधिक होती है। हिमालय में अधिक भूस्खलन होता है क्योंकि यह पर्वत अभी भी निर्माण की प्रक्रिया में है। और चट्टानें कमजोर हैं इस कारण हिमालय पर्वत में भूस्खलन अधिक होता है। क्रेबियन , प्रीक्रेबियन , हर्सीनियन काल के पर्वतों पर कम Landslide की क्रिया होती है क्योंकि यह पर्वत पुराने हैं । यह पर्वत अपक्षय और अपरदन के लिए अपशिष्ट हो गए हैं। और भूस्खलन के लिए जो आदर्श दशाएं एक पर्वत को चाहिए होती हैं उन दशाओं से यह पर्वत गुजर चुके हैं। जैसे अरावली , विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत आदि में अब Landslide की क्रिया नहीं होती हैं।

भारत का लगभग 15% भूभाग भूस्खलन के आपदा को जी लेता है पश्चिमी घाट पर हुए भूस्खलन  का संबंध अधिकतर मानसूनी वर्षा से होता है और हिमालय पर्वत  के भूस्खलन का कारण अधिक वर्षा, पेड़ों का कटाव, खनन, सड़क निर्माण, मानव द्वारा की गई गतिविधियों से होता है। हर साल बरसात के मौसम में भूस्खलन से सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है और कई लापता हो जाते हैं लेकिन सरकार द्वारा और स्वयं हमारे द्वारा भी भूस्खलन को रोकने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए जाते हैं बल्कि Landslide होने वाली सुगम परिस्थितियां हम पहाड़ी ढालों पर से पेड़ों को काट कर बना देते हैं जिससे कई लोगों की मौत के लिए हम सुगम परिस्थितियां बना देते हैं। Landslide के लिए प्राकृतिक और  मानवीय दोनों कारक जिम्मेदार हैं।

हिमालई क्षेत्रों में और पश्चिमी घाट क्षेत्रों में हुए भूस्खलन से 200 के लगभग लोगों की  मौतें और कई लोग लापता :-

भारत में महाराष्ट्र राज्य में भूस्खलन के कारण बहुत अधिक जन – धन की हानि हो रही है। रायगढ़ में Landslide से 52 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग लापता हैं। महाराष्ट्र में भूस्खलन आने का कारण अधिक वर्षा है महाराष्ट्र में 2 महीने में होने वाली वर्षा एक दिन में ही बरस गई है इसलिए महाराष्ट्र के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है जो मानव जीवन को अस्त-व्यस्त किए हुए हैं। बाढ़ के कारण कई लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग लापता बताए जा रहे हैं महाराष्ट्र में Landslide के कारण कोकण रेलवे लाइन को भी क्षति पहुंची है और 2 नेशनल हाईवे बंद किए गए हैं महाराष्ट्र में 200000 से अधिक लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गए हैं इसके लिए एनडीआरएफ स्थिति में और सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं राहत और बचाव कार्य चल रहा है महाराष्ट्र राज्य में 200 से अधिक मौतें हो चुकी हैं और सैकड़ों लोग लापता बताए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में सतारा, थाणे सांगली, चिपरोन, कोल्हापुर, रायगढ़ आदि जिले बाढ़ और Landslide से अत्यधिक प्रभावित हुए हैं।

हिमाचल प्रदेश किन्नौर जिला जहां भूस्खलन से टेक्सी में बैठे 11 लोगों में से 9 लोगों की मौत हो गई और 3 लोगों को बचा लिया गया और छतिग्रस्त पुल।

महाराष्ट्र में रिकॉर्ड तोड़ बरसा के कारण 875 गांव प्रभावित हुए हैं। और हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में भूस्खलन के कारण पर्यटकों की एक गाड़ी पर चट्टान गिर गई जिससे 9 लोगों की मौत हो गई और 3 लोगों को बचा लिया गया। इस Landslide से हिमाचल प्रदेश से एक पुल को भी भारी क्षति उठानी पड़ी है।

भूस्खलन होने के प्राकृतिक कारण :-

Landslide भौगोलिक प्राकृतिक क्रिया है। भूस्खलन होने के प्राकृतिक कारण निम्न है :-

1- Landslide का प्रमुख कारण अधिक वर्षा है। जब बरसा बहुत अधिक होती है तो पर्वतों पर मलबा ढालों के सहारे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण नीचे खिसकने लगते हैं। और मानवों के आवास पर और  मानव पर जब यह मलबा गिर जाता है तो कई लोगों की मृत्यु हो जाते हैं और कई लापता हो जाते हैं।

2- हाइड्रेशन के कारण भी लैंडस्लाइड होता है। चट्टानों में जल इकट्टा हो जाता है तो  वह रिसकर कर नीचे चला जाता है। और इकट्ठा हो जाने से यह जल रासायनिक अपक्षय को बल देता है और आधारों को कमजोर कर देता है जिससे लैंडस्लाइड की क्रिया हो जाती है।

3- ढाल प्रवणता और गुरुत्वाकर्षण भूस्खलन के लिए जिम्मेदार हैं। यदि ढाल नहीं होगा तो Landslide कदापि नहीं हो सकता। मैदानी भागों में भूस्खलन नहीं होता है। और बिना गुरुत्वाकर्षण बल के कारण कोई भी वस्तु नीचे नहीं गिर सकती है। गुरुत्वाकर्षण बल से ही कोई वस्तु को ऊपर फेंकने पर नीचे गिर जाते हैं। वस्तु का ऊपर से नीचे आना गुरुत्वाकर्षण के कारण ही संभव हो पाता है।

4- भूकंप के कारण जब पर्वतों में कंपन होता है तो चट्टाने कमजोर पड़ जाती हैं और ढालों के सहारे सारा मलबा नीचे आ जाता है।

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सड़क पर हुआ लैंडस्लाइड जिससे मार्ग बाधित हो गया

भूस्खलन के मानवीय कारण :-

Landslide एक प्राकृतिक घटना है लेकिन पृथ्वी पर ऐसी कोई प्राकृतिक घटना नहीं बची है जो मानवीय हस्तक्षेप से परे हो। Landslide के मानवीय कारक निम्न है :-

1- मानव द्वारा पर्वत ऊपर रोड निर्माण से और अधिक भूस्खलन होने लगे हैं। मानव पहाड़ों को काटकर सड़कों का निर्माण करते हैं जिसके कारण पहाड़ों की चट्टाने ढीली पड़ जाती हैं और भूस्खलन हो जाता है।

2- जब मानव  खनिज पदार्थों को जमीन से निकालने के लिए विस्फोटक का प्रयोग करता है तो आसपास की जमीन कांप जाती है और जिसके कारण भूस्खलन हो जाता है।

3- मानव का पर्वतों पर कृषि करना और अधिवास बनाना भी भूस्खलन के लिए जिम्मेदार है। मनुष्य पर्वतों के ढाल ऊपर संतुलन समतलीकरण करके खेतों और आदिवासियों का निर्माण करता है जिससे आवश्यकता से अधिक वजन होने के कारण वहां की भूमि नीचे लगती है। जिससे अपार जनधन की हानि होती है।

4-  मनुष्य द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का अधिक दोहन हो रहा है। जिससे भूमि वृक्षों से और घास से विहीन होती जा रही है । इस कारण मिट्टी का कटान बहुत अधिक हो रहा है और जब बारिश होती है तो यही मिट्टी तुरंत बह जाती है और जब मिट्टी इतने बड़े पैमाने पर पहाड़ी ढालों से नीचे उतरती है तो इससे भूस्खलन का नाम दिया जाता है।

इतिहास में है कई भूस्खलन के भयानक उदाहरण :-

वैसे तो हर साल बरसात के मौसम या बरसात के मौसम के बाद Landslide होता है और कई लोगों की मौत होती हैं और कई लोगों की मलबे के अंदर ही समाधी बनाए जाती है। लेकिन इतिहास में इतिहास में कुछ ऐसे भूस्खलन की घटनाएं दर्ज हैं जो रोंगटे खड़े करने वाले हैं क्योंकि इन Landslide में हजारों की संख्या में मौतें हुई हैं। 2011 में रियोडेजेनेरियो में Landslide हुआ जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई।

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महाराष्ट्र के रायगढ़ में हुआ भूस्खलन जिससे कई लोगों की मौत हो गई और कई लोग लापता है।

अगस्त 2017 में फ्रीटाउन सिएरा लियोन में Landslide हुआ । 2017 में बौनदो स्विट्जरलैंड और 9 जनवरी 2018 में कैलिफोर्निया में भूस्खलन हुआ जिसका कारण अत्यधिक वर्षा थी। इतिहास के भयावह भूस्खलन में एक है।

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