उत्तराखंड कुम्भ मेला २०२१ खुलासा : उत्तराखंड कुंभ मेले में किए गए कोरोना के फर्जी टेस्ट
उत्तराखंड कुम्भ मेला २०२१ ताजा जानकारी के अनुसार कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की टेस्टिंग की गई उनमें करीब एक लाख टेस्ट फर्जी हुए हैं । यह नतीजा खुद उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिक जांच में ही सामने आया है । राज्य सरकार का कहना है कि इस मामले की जल्द ही तहकीकात की जाएगी कोरोना काल में कुंभ मेला महोत्सव मनाया जाना ही बहुत बड़ी गलती है। कोरोना की दूसरी लहर के ठीक पहले उत्तराखंड में कुंभ मेला का आयोजन हुआ कुंभ मेले ने कोरोना जैसी आग में घी का काम किया इसके कारण शमशान धधक उठे। सभी को पता था कि जब पीपी किट में डॉक्टर कोरोना से नहीं बच पा रहे हैं तो एक छोटे से कपड़े में, इतनी भीड़ के अंदर जहां कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना हो रहा हो कोरोना से लोग कैसे बच पाएंगे।
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कुंभ मेला के दौरान कोरोना टेस्ट का जिम्मा कई प्राइवेट लैब को दिया गया था जिसमें कुछ लैब्स ने खुलकर फर्जी टेस्ट किए जैसे एक ही फोन नंबर 50 50 लोगों के लिए इस्तेमाल किए गए । उत्तराखंड कुम्भ मेला २०२१ एक ही बार इस्तेमाल होने वाली एंटीजन किट से 700 सैंपल टेस्ट दिखाए गए हैं जिन्होंने टेस्ट करवाए हैं उनके नाम और पते भी दिखाए गए हैं इसमें करीब 530 सैंपल हरिद्वार के मकान नंबर 5 के पते पर दिखाए गए हैं। NDTV की रिपोर्ट ने बताया है कि कई पते इतने अजीबो गरीब हैं जैसे मकान नंबर 56 अलीगढ़, मकान नंबर 76 मुंबई और अलग-अलग जगह पर रहने वालों का भी एक फोन नंबर दिखाया गया है। उत्तराखंड कुम्भ मेला २०२१ इससे बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा पता चला है लेकिन इस फर्जीवाड़े के लिए जो भी जिम्मेदार है उसको सजा मिल भी जाए या नहीं लेकिन जो इस फर्जीवाड़े का शिकार हुए हैं वह आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे होंगे क्योंकि इलाज फ्री नहीं होता या फिर कहीं गंगा की रेत में उनकी हड्डियां पड़ी होंगी।
इस फर्जीवाड़े के पीछे कौन है उसका खुलासा भी हो जाए और उस व्यक्ति को सजा भी मिल जाए लेकिन उनका क्या जो इस फर्जीवाड़े का शिकार हुए हैं। इस फर्जी कोरोना टेस्टिंग के चलते कोरोना की दूसरी लहर का इतना भयानक होना और आदमियों का नरसंहार हो ना अब बदला नहीं जा सकता है। उत्तराखंड कुम्भ मेला २०२१ अनूप नौटियाल, संस्थापक ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि हरिद्वार जिले में महाकुंभ के संचालकों द्वारा हम निरंतर पूरी कोविड टेस्टिंग की प्रक्रिया को लेकर और हरिद्वार जिले के लगभग 80 परसेंट कम संक्रमण पर उत्तराखंड के अन्य 12 जिलों की तुलना में इन जानकारियों और सवालों को सामने ला रहे थे राज्य सरकार की एजेंसियों और अधिकारियों की बजाय न्यायिक जांच की आवश्यकता है और यदि कहीं कोई दोषी लैब या अधिकारी दोषी मिलते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होने की जरूरत है पूरा देश और पर्वतीय राज्य उत्तराखंड कुंभ के दौरान हुई इस लचर व्यवस्था का खामियाजा भुगतने को विवश हुआ है। कुंभ मेले में और पश्चिम बंगाल के चुनावी रैलियों ने कोरोना की दूसरी लहर को भयानक बनाने में बहुत बड़ी भूमिका अदा की है। पंजाब के बाद उत्तराखंड का कोरोना मृत्यु दर में दूसरा स्थान हो गया है।