Yoga: कई बार व्यस्त लाइफस्टाइल और जरूरत से ज्यादा तनाव लेने की वजह से व्यक्ति को कमजोरी महसूस होने लगती है, जिसका सीधा असर उसके वैवाहिक जीवन पर भी पड़ने लगता है और पति पत्नी के रिश्ते में खटास आने लग जाती है।
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शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए Yoga सन जरूरी होता है, यह आप लोगों ने सुना होगा । लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि इस योगासन हमारे वैवाहिक जीवन को भी प्रभावित करता है। वैवाहिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए।योगासन बहुत जरूरी होता है।
कई बार व्यस्त दिनचर्या और आवश्यकता से अधिक तनाव लेने के कारण व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी और कई तरह की मानसिक रोगों का सामना करना पड़ता है।जिससे उसका सामान्य जीवन तो प्रभावित होता ही है, लेकिन इसका सीधा असर उसके वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। ऐसे में हमें योगासन का सहारा लेना चाहिए योगासन से केवल शरीर ही नहीं बल्कि मानसिक संतुलन भी सही रहता है। कुछ योगासनों का सहारा लेकर हम अपने जीवन को स्वस्थ और सुखी बना सकते हैं।
पद्मासन एक ऐसा आसन है जिससे हमारी मांस पेशियां और घुटने प्रभावित होते हैं पद्मासन के द्वारा हमारे शरीर में खिंचाव महसूस होता है,और इसका प्रभाव हमारे यौनशक्ति को बढ़ाने में पड़ता है। इस आसन में दोनों पैरों के पंजों को एक दूसरे के जांघ के ऊपर रखकर रीढ़ की हड्डी सीधा करते हुए बैठे।उसके बाद गहरी सांस लेते हुए ध्यान मुद्रा का अभ्यास करें।
भद्रासन करने से हमारे अंदर धैर्य और एकाग्रता की बढ़ोतरी होती है इस आसन को करने के लिए वज्रासन में बैठकर घुटनों को दूर रखते हुए पंजे ऐसे होने चाहिए कि जमीन को छूते रहें और इसी के बीच में अपने हिप्स को रखें कि वह जमीन को स्पर्श करता रहे हाथों को घुटनों पर रखें ।
चक्रासन हमारे कमर दर्द के लिए काफी उपयोगी है इस आसन को करने से दिमाग बेहतर काम करता है और हमारी सोच में सकारात्मकता की बढ़ोतरी होती है इस आसन में हमारे शरीर की स्थिति चक्र के जैसी हो जाती है इसीलिए इसे चक्रासन कहा जाता है। इस आसन को करने से शरीर और रीड लचीले होते हैं।
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सर्वांगासन एक ऐसा आसन है जिसमें हमारे शरीर के सभी अंगो काआसन होजाता है इस आसन के द्वारा हमारी आंखों की रोशनी बढ़ती है,साथ ही साथ थायराइड ग्रंथियां सक्रिय और स्वस्थ होते हैं यह आसन हमारे शुक्र ग्रंथियों को मजबूत बनाता है और फर्टिलिटी क्षमता बढ़ाने में सहयोग करता है। इसमें सीधा लेट कर अपने दोनों पैरों को हवा में उठाते हुए शरीर का आधा से अधिक हिस्सा ऊपर होगा और हाथ से कमर को सहारा देते हुए 30 सेकंड से लेकर 1 मिनट तक रोककर रखना है। सर्वांगासन करने के बाद शवआसन जरूर करें। सर्वांगासन को खाली पेट करना चाहिए।
अनुलोम विलोम प्राणायाम मात्र एक योगासन की प्रक्रिया नहीं है बल्कि इसके द्वारा ऋषि मुनि और ध्यानी लोग अपने स्वरूप में स्थिर होने का अभ्यास करते हैं। लेकिन सामान्य रूप से इस प्राणायाम का उपयोग हम मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को दृढ़ और मजबूत कर सकते है।
इस प्राणायाम में बाएं नाक से सांस भरना है और दाएं से निकालना है फिर पुनः दाएं से भरना है और बाएं से निकालना है इसी प्रक्रिया को दोहराते हुए करना है । इस प्राणायाम को करते समय हमारी आंख बंद रहेगी और रीढ़ की हड्डी सीधी रहेगी। अनुलोम विलोम प्राणायाम से अनिद्रा टेंशन,कम होता है और गुस्से की प्रवृत्ति को कम करने में मदद मिलता है।