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World Rabies Day 2021: जाने क्यों मनाया जाता है 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस

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आज दुनिया भर में “वर्ल्ड रेबीज डे” मनाया जा रहा है। हर साल यह दिन 28 सितंबर को मनाया जाता है। चूंकि इस दिन को साल 2007 में मनाने की शुरुआत की गई थी। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य रेबीज की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। हालांकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एशिया और अफ्रीका में होने वाले 95 फ़ीसदी मामलों में इसकी वजह से सालाना 150 से अधिक देशों में 59 हजार मनुष्य की मृत्यु हो जाती हैं। रेबीज एक घातक वायरस है। जो कि संक्रमित जानवरों की लार से फैलता है। जानवरों के काटने से ये वायरस फैलता है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर यह वायरस हमला करता है। जिसकी वजह से मस्तिष्क में सूजन होती है। फिलहाल इस बीमारी से बचने के लिए रेबीज वैक्सीन सबसे कारगर है। यह दिवस 28 सितंबर को फ्रांस के प्रसिद्ध रसायन और सूक्ष्म जीव विज्ञानी लुइ पाश्चर की पुण्यतिथि के अवसर पर मनाया जाता है। पाश्चर ने ही पहला जेबीटी का विकसित किया था और रेबीज रोकथाम की नींव रखी। यह व्यक्तियों, समुदायों, सरकारों को एकीकृत करने, गैर सरकारी संगठनों तथा अपने कार्यों को साझा करने का अवसर है।

क्या है World Rabies Day

रेबीज विषाणु जनित रोग है। जब भी इसके लक्षण शुरू होते हैं। तब तक हमेशा यह घातक होता है। हालांकि इसकी पूरी तरह से रोकथाम की जा सकती हैं। फिर भी विश्व में एशिया और अफ्रीका के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 90 फ़ीसदी बच्चों की मृत्यु के साथ ही प्रत्येक वर्ष रेबीज से लगभग 59000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। एक सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या भारत में रेबीज है। जिससे प्रतीक वर्ष करीब 20000 लोगों की मृत्यु हो जाती है।ये अंडमान व निकोबार और लक्ष्यदीप को छोड़कर सारे देश में स्थानिक हैं। दरअसल यह बीमारी जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। तथा यह बीमारी मनुष्यों में लगभग 99 प्रतिशत मामले कुत्ते का काटना ही कारण है। मनुष्य के शरीर में रेबीज का वायरस रेबीज से पीड़ित जानवरों के काटने, खरोच, उससे होने वाले घाव और लार से प्रवेश करता है। कुत्ते काटने के बाद रेबीज के लक्षण 1 से 3 महीने में दिखाई देते हैं।

World Rabies Day महत्त्व

दुनिया के लिए विश्व रेबीज दिवस बीमारी के लोगों में आतंक को स्वीकार करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। रेबीज सभी स्तनधारियों वह विशेष रूप से जंगली जानवरों के जरिए होता है। 28 सितंबर मेडिकल इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख लुई की पुण्यतिथि की वजह से है। यह दिन रेबीज जैसी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए जानवरों की बेहतर देखभाल तथा कम ज्ञान फैलाने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ 2030 तक इस बीमारी की घटना को जड़ से खत्म करना है। इस दिन को दुनिया भर के स्वास्थ्य संगठनों ने रेबीज के टीकाकरण शिविरों पर ध्यान केंद्रित करने तथा बीमारी के रोकथाम के लिए लोगों की सामूहिक भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए चुना है। क्या दिन हेल्थ फर्म्स व वेट्रीनरी ग्रुप से, निबंध प्रतियोगिताओं, क्विज तथा दूसरे जागरूकता अभियानों के जरिए कैंपेन मैराथन के जरिए मनाया जाता है।

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