Vice President of India: Margaret Alva Vs Jagdeep Dhankhar: देश में राष्ट्रपति चुनाव (Presidential चुनाव 2022) समाप्त होने के बाद अब उपराष्ट्रपति चुनाव होना तय है. उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 6 अगस्त तक होगा और इसके नतीजे भी उसी दिन ही आ जाएंगे. राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए (NDA) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने विपक्षी उम्मीदवार Yashwant Sinha के खिलाफ बड़ी जीत हासिल करते हुए उन्होंने पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बनने का ये नया इतिहास बना दिया है. अब अगली लड़ाई एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ की है, जिनके सामने विपक्ष की उम्मीदवार कांग्रेसी नेता मारग्रेट अल्वा हैं.
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विपक्षी दल की पार्टी बीजेडी और एआईएडीएमके ने सबसे पहले ही उपराष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को अपना पूरा समर्थन दे दिया है. बीजद (BJD) के राज्यसभा सांसद और महासचिव media प्रभारी मानस मोंगराज, AIADMK नेता एम थंबी दुरई और jag Mohan Reddy के वाली वाईएसआर (YSR) कांग्रेस पार्टी के नेता विजयसाई रेड्डी ने एक वार्ता में कहा हमारी पार्टी जगदीप धनखड़ का भरपूर समर्थन करेगी. क्योंकि वह एक किसान के बेटे हैं और पिछड़े समुदाय से संबंध रखते हैं.
Vice President of India, BJP ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में आदिवासी समुदाय से आनेवाली द्रौपदी मुर्मू पर अपना दांव खेला था और इसी तरह किसान का बेटा कहकर जगदीप धनखड़ को चुनावी रण में उतारना बीजेपी का दूसरा दांव है, अगर सब ठीक रहा तो बीजेपी समर्थित एनडीए के उम्मीदवार के रूप में जगदीप धनखड़ की भी जीत पक्का तय देखी जा रही है.बीजेपी ने ऐसा करके इन समुदायों तथा विशेष वर्ग तक अपनी पहुंच को बढ़ाने की कोशिश की है.
Vice President of India, विपक्षी दलों की उम्मीदवार अल्वा राज्यसभा की उप सभापति भी रही हैं और कांग्रेस की वरिष्ठ नेताओं में उनका नाम हैं. वह 1984 से 1985 तक सेंट्रल government में युवा और खेल मंत्रालय के राज्यमंत्री के रूप में भी काम कर चुकी हैं. वही विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मारग्रेट अल्वा का नाम कांग्रेस की ओर से काफी सोच-समझ कर लाया गया है. क्योंकि अल्वा के पास पुराना अनुभव है, वह एक तो महिला हैं, दक्षिण से आती हैं और अल्पसंख्यक ईसाई के एक समुदाय से ताल्लुक रखती हैं.
Vice President of India, आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष में दरार साफ दिख रही और उसका फायदा दूसरे सत्ता पक्ष को मिला है. Cross वोटिंग ने एनडीए की मुख्य उम्मीदवार मुर्मू की जीत को और भी बड़ा बना डाला तो अब वहीं दूसरी तरफ उपराष्ट्रपति के चुनावी युद्ध में भी विपक्ष की एकता टूटती साफ नजर आ रही है. टीएमसी ने पहले ही ये बात साफ कह दिया है कि उनकी पार्टी अडिग रहेगी. ना वो यूपीए की उम्मीदवार मारग्रेट अल्वा को अपना vote देगी और ना ही एनडीए के जगदीप धनखड़ को वोट देगी
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Congress की उम्मीदवार मारग्रेट अल्वा को राजद, राकांपा, द्रमुक, और माकपा जैसी सभी पार्टियों ने अपना समर्थन देने की बात को स्पष्ट किया है लेकिन वहीं विपक्षी एकता का झंडा उठाकर आगे चलने वाली पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी ने भी चुनाव में तटस्थ रहने का ऐलान कर दिया है. टीएमसी के इस वैचारिक निर्णय को विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने बहुत निराशाजनक स्थिति बताया है. उन्होंने कहा कि यह वक्त अहंकार या क्रोध करने का नहीं है. बल्कि साहस, एकता तथा नेतृत्व का समय है. वहीं ममता बनर्जी ने कहा कि अल्वा चुनाव की उम्मीदवारी को लेकर उनसे ” किसी तरह का परामर्श” नहीं किया गया था.
टीएमसी की तरफ से ये बात कही कि हम सभी एक समान विचारधारा वाली पार्टी हैं, जिनका एक मात्र उद्देश्य भाजपा को हराना है. लेकिन, टीएमसी कांग्रेस की चुनाव सहयोगी की भी पार्टी नहीं है. इसलिए टीएमसी को एक समान भागीरदार के रूप में ही देखा जाना चाहिए. ममता के इस तरह के बयान पर विपक्षी पार्टियों ने ममता की आलोचना की है और इसे धनखड़ की चाय पार्टी का असर है ऐसा बता रही है. टीएमसी के इस फैसले ने पार्टी की पोल खोल दी है और दिखा दिया है कि विपक्षी पार्टियों में अब कितनी एकता बची है.
उपराष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा के 233 सांसदों के साथ साथ 12 मनोनीत सांसद और लोकसभा के सभी 543 सांसद वोटिंग करते हैं. इसमें (BJP)के पास अकेले ही लोकसभा और राज्यसभा में 394 सांसद हैं. ऐसे में निश्चित रूप से वह इस चुनाव में काफी आगे हो सकते है. इस तरह अगर देखे तो एनडीए (NDA)का पलड़ा पहले ही भारी दिख रहा है.
निर्वाचित होने पर, धनखड़ वेंकेया नायडू की स्थान लेंगे, इन्होंने ग्यारह अगस्त, 2017 से उपराष्ट्रपति का पद को संभाला है. Naidu का कार्यकाल 10 अगस्त को ख़त्म हो रहा है