MSP की कानूनी गारंटी पर ही बिल लाएंगे वरुण गांधी, किसानों के लिए इसमें क्या है खास जाने उनके निजी विधेयक पर

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कृषि सुधारों के कानूनों की वापसी के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मांगों पर सरकार ने प्रदर्शनकारियों किसानों को भले ही समझा कर वापस लौटा दिया हो। लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी का निजी विधेयक पेश करने का ऐलान कर सरकार पर फिर से दबाव बनाना शुरू कर दिया है। वरुण गांधी ने ट्वीट कर यह बताया कि उन्होंने विधेयक का मसौदा लोकसभा सचिवालय को सौंप दिया है, तथा इसके प्रावधानों पर सुझाव मांगा है।

भाजपा सांसद ने अपने ट्वीट में बताया कि भारत के किसानों तथा सरकार ने बहुत बार कृषि एवं उससे जुड़ें मुद्दों पर चर्चा की है। लेकिन अब एमएसपी पर कानून बनाने का समय आ गया है। सरकार द्वारा कृषि कानून की वापसी तथा एमएसपी पर कमेटी के गठन की घोषणा के बाद भी उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी का मुद्दा उठाया है।

50 फ़ीसदी लाभांश होगा।

वरुण गांधी के निजी विधेयक के प्रावधानों में सिर्फ 22 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी के साथ खरीद की परिकल्पना की गई है। इन फसलों का सालाना वित्तीय परिव्यय उनके हिसाब से एक लाख करोड़ रुपए है। कृषि उत्पादों की जरूरत के आधार पर फसलों को इस सूची में शामिल किया जा सकेगा। एमएसपी का आधार उत्पादन लागत पर 50 फ़ीसदी लाभांश होगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य के कम मूल्य पाने वाला किसान गारंटी युक्त एमएसपी के बीच के अंतर की मुआवजे का हकदार जरूर होगा। प्रस्तावित विधेयक के मुताबिक फसलों का वर्गीकरण उनकी गुणवत्ता मानकों के आधार पर ही होगा। असल भंडार के बदले किसानों को ऋण के भी प्राविधान है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी समय से भुगतान के साथ ही उनकी फसलों के लिए भी दी जाएगी

किसानों को समय से भुगतान के साथ उनकी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी भी दी जाएगी। एमएसपी की खरीद के 2 दिन के अंदर ही किसानों के खाते में धन जमा कराने का प्रावधान होगा। अगर किसानों को किसी कारण से एमएसपी नहीं मिलता है तो सरकार बिक्री मूल्य तथा एमएसपी के बीच के अंतर का भुगतान एक सप्ताह में ही करेगी। ये विधेयक फसलों की विविधता को बढ़ावा देने के लिए तथा प्रत्येक ब्लॉक में उपयुक्त फसलों की खेती की सिफारिश करता है। विधेयक में हर 5 गांव के बीच एक खरीद केंद्र बनाने तथा आपूर्ति श्रृंखला के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए भी प्राविधान किया गया है। इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए 30 दिनों के अंदर ही विवाद को समाप्त करने की न्याय व्यवस्था भी होनी चाहिए।

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