Twin Brothers: जुड़वा भाई दुनिया के लिए मिसाल बने, माता पिता ने बचपन में जन्म के बाद ठुकरा दिया था

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Twin Brothers: इस देश में ऐसे बहुत सारे जीवित उदाहरण हैं। जिनसे हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। एक ऐसा ही उदाहरण दो जुड़वा भाइयों ने रखा है। जिन्हें उनके माता-पिता ने ठुकरा दिया था। इन दिनों अमृतसर में रहने वाले जुड़वा भाइयों मोहना और सोहना की कहानी लोगों को बहुत प्रेरणा दे रही हैं।

Twin Brothers

माता-पिता ने बच्चों को छोड़ दिया

बता दे कि दोनों भाई जन्म से ही एक दूसरे के शरीर के संपर्क में हैं। जन्म के वक्त डॉक्टरों ने उनके माता-पिता से यह कहा कि वह लंबे समय तक नहीं जीवित रहेंगे। इसी कारण से उनके माता-पिता ने उन्हें गोद लेने से मना कर दिया और उन्हें छोड़ दिया। हालांकि जुड़वा बच्चों की परवरिश अमृतसर के एक एनजीओ ने की।

दोनों भाइयों को नौकरी मिल गई

NGO में पले बढ़े इन जुड़वा भाइयों की किस्मत कुछ और ही थी। जिनको बचपन से उनके माता-पिता ने छोड़ दिया था। आज वह अपनी तरीके से जिंदगी जी रहे हैं। अब इन दोनों भाइयों को नौकरी मिल गई है। दोनों ही एक दूसरे की देखभाल कर रहे हैं।

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दरअसल पंजाब के अमृतसर में जन्में सोहना को Punjab State Power corporation Limited (PSPCL) में नौकरी मिल गई। सोहना को एक 11 दिसंबर 2021 को नियुक्ति पत्र दिया गया। दोनों ही डेंटल कॉलेज के पास बिजली संयंत्र में नियमित टी मैट यानी कि रखरखाव स्टाफ के रूप में काम करेंगे।

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मुख्यमंत्री ने नौकरी देने का वादा किया था

नौकरी मिलने के बाद से सोहाना ने यह बताया कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें नौकरी देने का वादा किया था। उन्होंने यह कहा कि PSPCL के मुख्य प्रबंधक निदेशक आवेदन मिलने के बाद से मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से बात की। जिसके बाद से सोहना को एक स्पेशल केस के अंतर्गत नौकरी मिल गई। 2 साल काम करने के बाद से सोहना को कंपनी में प्रमोशन मिलेगा।

बता दें कि जुड़वा भाइयों के जन्म के बाद से डॉक्टरों ने यह बताया कि दोनों ज्यादा दिन नहीं जी पाएंगे। यह दोनों शरीर से जुड़े हुए हैं। यह दोनों शरीर के निचले हिस्से से जुड़े हुए हैं। यह दोनों भाई हर काम में एक दूसरे की मदद करते हैं।

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अमृतसर एनजीओ ने जिम्मेदारी ली दोनों बच्चों के परवरिश की

Twin Brothers, गौरतलब है कि जुड़वा भाइयों का जन्म 14 जून 2003 को दिल्ली के सुचेता कृपाल अस्पताल में हुआ था। उनकी माता का नाम कामिनी है एवं उनके पिता का नाम सुरजीत कुमार है। जिन्होंने जन्म के बाद से बच्चों को अपने साथ ले जाने से मना कर दिया। माता पिता के जाने के बाद अमृतसर एनजीओ ने उसकी परवरिश की जिम्मेदारी ली एवं उनका नाम भी रखा। आपको बता दें कि दोनों का आधार कार्ड भी अलग है। जीवन में हर इंसान को इन भाइयों से प्रेरणा लेनी चाहिए।

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