Success Story
Success Story: कहते हैं, अगर जुनून सच्चा हो और मेहनत लगातार की जाए, तो नामुमकिन कुछ भी नहीं। IIT दिल्ली के दो दोस्तों, विदित आत्रेय और संजीव बरनवाल ने यह साबित कर दिखाया। एक वक्त था जब दोनों नौकरी छोड़ने पर तानों का सामना कर रहे थे, लेकिन आज उनकी कंपनी मीशो (Meesho) का नाम भारत के हर कोने में गूंज रहा है।
यह कहानी सिर्फ बिजनेस की नहीं, बल्कि हिम्मत, दोस्ती, और नई सोच की भी है।
इस पोस्ट में
विदित और संजीव IIT दिल्ली में दोस्त बने। पढ़ाई खत्म होने के बाद दोनों ने अपने-अपने रास्ते चुने। संजीव जापान चले गए, जहां वे सोनी की कोर टेक टीम का हिस्सा बने। वहीं, विदित InMobi नाम की एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम कर रहे थे। दोनों की जिंदगी अपने-अपने करियर में शानदार तरीके से चल रही थी, लेकिन दिल में कुछ अलग करने की इच्छा हमेशा थी।
2015 में दोनों दोस्तों ने एक बड़ा फैसला लिया—अपनी नौकरी छोड़कर खुद का कुछ शुरू करने का। उस वक्त लोगों ने कहा, “इतनी अच्छी नौकरी छोड़कर क्या करोगे?” लेकिन विदित और संजीव दोनों ये बात जानते थे कि उनकी सोच बड़ी है। बेंगलुरु के कोरमंगला इलाके के एक छोटे से दो कमरों वाले फ्लैट से उन्होंने मीशो की शुरुआत की। उनका पहला ऑफिस उनका डाइनिंग टेबल ही था।
Success Story: मीशो, यानी “मेरी शॉप,” की शुरुआत एक ऐसे प्लेटफॉर्म के रूप में हुई, जहां छोटे व्यवसाय और खासतौर पर महिलाएं, बिना किसी बड़े निवेश के अपना व्यापार शुरू कर सकें। विदित और संजीव ने समझा कि फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सही इस्तेमाल छोटे व्यापारियों को सशक्त बना सकता है।
मीशो ने ‘रीसेलर्स’ के जरिए एक नया बिजनेस मॉडल पेश किया। ये रीसेलर्स, जो ज्यादातर गृहिणियां होती हैं, अपने सोशल नेटवर्क के जरिए सामान बेचती हैं। मीशो ने उनके लिए प्रोडक्ट की लिस्टिंग से लेकर डिलीवरी और पेमेंट तक की सुविधा दी।
मुस्लिम औरत को पत्थरबाजी के आरोप में जबरन जेल में ठूँसा, 87 दिन जेल में बिताने के बाद बेकसूर साबित
उम्र के अनुसार कितनी होनी चाहिए Running Speed? यदि यह लिमिट से कम है तो है खतरे की घंटी
मीशो का सबसे बड़ा योगदान महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इस प्लेटफॉर्म के जरिए लाखों महिलाएं अपने दम पर पैसे कमा रही हैं। बिना किसी शुरुआती निवेश के, मीशो ने न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाया।
2015 में जिस मीशो की शुरुआत एक छोटे से फ्लैट से हुई थी, वह आज 40,000 करोड़ रुपये के साम्राज्य में बदल चुकी है। यह कंपनी सिर्फ एक बिजनेस नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों के सपनों का हिस्सा है, जो अपने दम पर कुछ बड़ा करना चाहते हैं।
विदित आत्रेय और संजीव बरनवाल की कहानी हर उस शख्स के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को सच करने की हिम्मत रखते हैं। मीशो सिर्फ एक स्टार्टअप नहीं, बल्कि इनोवेशन, लगन और मेहनत की मिसाल है।
क्या आप भी ऐसी ही प्रेरणा से भरी कहानी लिखने का सपना देखते हैं? तो आज ही शुरुआत करें। कौन जानता है, अगली बड़ी सफलता की कहानी आपकी हो!