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बीजेपी की क्या है रणनीति Droupadi Murmu के राष्ट्रपति बनाने के पीछे..?

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Droupadi Murmu: भारत के आजादी के 75 वर्ष बाद से द्रोपदी मुर्मू के रूप में पहली आदिवासी राष्ट्रपति मिली है। वह संथाला समुदाय से आती हैं। संथाल भारत के सबसे पुराने एवं सबसे बड़े आदिवासी समुदायों में से एक है। बता दें कि भील और गोंड के बाद से संथाल जनजाति की आबादी आदिवासियों में सबसे ज्यादा है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 8.5 फ़ीसदी से कुछ ज्यादा आबादी आदिवासी हैं। नागालैंड, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश में राज्य की जनसंख्या में इनकी हिस्सेदारी 40% से अधिक हैं।

वहीं पर मणिपुर, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़ और सिक्किम में यह 30% है और मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड में इसकी आबादी 20 प्रतिशत से ज्यादा है। भारत में लोकसभा की कुल सीटों में 47 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। यही कारण माना जा रहा है कि Droupadi Murmu का राष्ट्रपति बनना, भारतीय राजनीति में महज संयोग नहीं हो सकता।

Droupadi Murmu

आदिवासी वोट बैंक

अगर आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2014 के मुकाबले 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों में अपनी पैठ बेहतर की है। पारंपरिक तौर पर यह कांग्रेस को पहले वोट करते थे।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव में एचडी के लिए आरक्षित 47 लोकसभा सीटों में भाजपा को 21 सीटें मिली और कांग्रेस को 4। बाकी क्षेत्रीय पार्टियों के खाते में गई। वहीं पर 2014 में बीजेपी के लिए यह आंकड़ा 27 सीटों का था और कांग्रेस ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की। एससी सीटों की जीत हार के इन्हीं आंकड़ों में छिपी है, भाजपा की गेम प्लान की पूरी जानकारी। हालांकि बीजेपी की जीत का जो आंकड़ा वर्ष 2014 के मुकाबले 2019 में बढ़ा था। उसमें से आधे सांसद दलित व आदिवासी समुदाय से जुड़े थे।

Droupadi Murmu

बता दें कि नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से और भाजपा की कमान संभालने के बाद से भाजपा की लगातार कोशिश रही है कि उच्च वर्ग एवं सवर्णों की राजनीति का लगा टैग अपने ऊपर से हटाए। पहले उन्होंने ओबीसी वोटो को साथ जोड़ने की कोशिश की। फिर दलित को साथ जोड़ा, बीएसपी के वोट बैंक में सेंध मारी की। अब आदिवासी वोट बैंक की भी बारी है।

Droupadi Murmu

Gujarat, Madhya Pradesh & Rajasthan connection

उसी रणनीति का ही हिस्सा है राष्ट्रपति पद तक Droupadi Murmu का पहुंचना। आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में चुनाव है। वहां कांग्रेस आदिवासी इलाकों में अब तक अच्छा प्रदर्शन करते आई है। जैसे गुजरात में कांग्रेस के पास 27 में से 15 सीटें हैं। वैसे ही राजस्थान में 25 में से 13 कांग्रेस के पास है। छत्तीसगढ़ में 29 में से 27 सीटे कांग्रेस के पास है। भाजपा की नजर उन्हीं सीटों पर है।

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इनका कहना है कि निरहुआ को ये जिताये है, प्यार में धोखा खाये ये, तब 80 रूपये किलो वाला लड्डू बाटे थे

Droupadi Murmu

गुजरात में 14.8% आदिवासी वोट

वर्ष 2017 में कांग्रेस ने भाजपा को काफी नजदीकी टक्कर दी थी। कांग्रेस ने अपने परंपरागत आदिवासी वोटरों पर फिर से कब्जा करने की कोशिश की थी। गुजरात की कुल आबादी में आदिवासियों की लगभग 14.8% हिस्सेदारी है। वही कुल 27 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। वर्ष 2017 के चुनाव में इनमें आधी सीटों पर कमल नहीं खिल पाया था। उत्तर में अंबाजी से दक्षिण में अंबेरगांव तक फैले आदिवासी क्षेत्र में द्रौपदी मुर्मू को सर्वोच्च पद पर पहुंचाने का संदेश भाजपा के लिए संजीवनी जैसा हो सकता है। इस बार भाजपा की निगाह में गुजरात की जीत बहुत अहम है।

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