Titanic (टाइटैनिक) जहाज का किस्सा तो सबको याद ही होगा। सन् 1912 में वह अपने पहले सफर पर निकला था। लेकिन रास्ते में हादसे का शिकार हो गया। तभी से उसका मलबा अटलांटिक महासागर में पड़ा हुआ है। इसको लेकर तमाम फिल्में एवं डाक्यूमेंट्री बनीं। इसके साथ ही कई कंपनियों ने इसको लेकर शोध भी किए। लेकिन अब तक Titanic के साथ कई राज दफन हैं।
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काफी समय से पीएच नार्गोलेट टाइटैनिक पर शोध कर रहे हैं। वह एक गोताखोर होने के साथ ही साथ सबमर्सिबल पायलट भी हैं। उनके अनुसार 4 किलोमीटर नीचे टाइटैनिक का मलबा है। यह अब पूरी तरह से दो भागों में भी बंट गया है। इसमें लोहे का उपयोग हुआ था। ऐसे में जंग के कारण से उसका वजूद भी खत्म होता जा रहा।
पीएच नार्गोलेट के अनुसार वर्ष 1996 में एक टीम सोनार के जरिए Titanic की जांच कर रही थी। उसी दौरान उनको रडार पर डूबे जहाज के पास एक रहस्यमयी चीज दिखी। वही से सिग्नल आ रहा था। जिसके बारे में काफी खोज भी की गई। लेकिन कुछ पता भी नहीं चला। लेकिन अब शोधकर्ताओं के उससे जुड़ी अहम चीजें भी पता चली हैं।
नार्गोलेट ने यह बताया कि अभी हाल ही में वह चार अन्य शोधकर्ताओं के साथ एक अभियान में शामिल हुए थे। जिनका मकसद Titanic के राज सुलझाना था। पहले उनको लगा कि वह टाइटैनिक तल में अकेला नहीं है। उसके पास दूसरे जहाज का मलबा भी है। लेकिन वहां पर उनको एक चट्टान भी मिली है। प्रारंभिक जांच में ये लग रहा कि यह अलग-अलग ज्वालामुखी संरचनाओं से बनी हुई है।
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जब खोज की गई तो वहां पर एक चट्टान मिली। यह चट्टान अलग-अलग ज्वालामुखी संरचनाओं से बनी थी। इस जगह पर झींगा मछलियां, स्पंज एवं प्रवाल की हजारों प्रजातियां होने की भूमिका संभावना है। स्कॉटलैंड में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में समुद्री जीव विज्ञान एवं पारिस्थितिकी के प्रोफेसर मुरे रॉबर्ट्स ने यह कहा कि ‘ये जैविक रूप से आकर्षक है।
इस चट्टान के करीब रहने वाले जीव उन जीवों से बहुत है अलग हैं जो रसातल महासागर (Abyssal Ocean) में रहते हैं।’ रॉबर्ट्स के मुताबिक रसातल महासागर एक ऐसी जगह को कहा जता है जोकि पानी के 3 से 4 किलोमीटर की गहराई में हो। पृथ्वी का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है।
शोधकर्ताओं के अनुसार यह खोज बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह पत्थर किसी खजाने से कम नहीं है। हालांकि कुछ गोताखोर उस चट्टान के पास भी पहुंचे। वह काफी बड़ी है। जिसकी बनावट बहुत खास है। उन्होंने उसके फोटो एवं वीडियो भी लिए हैं। जिस पर अभी रिसर्च जारी है। जल्द ही उससे जुड़े कई नए खुलासे भी हो सकते हैं।