Raju Srivastava के छोटे भाई की पत्नी श्रेया बताती हैं कि जब कभी राजू भइया शहर आते थे तो घर जरूर आते थे। उन्हें इस पुस्तैनी मकान से बहुत ही लगाव था। कहते थे यहां आकर बड़ा ही सुकून मिलता है।
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Raju Srivastava का जन्म किदवईनगर के नयापुरवा में N block में हुआ था। इसी के चलते उन्हें नयापुरवा (Nayapurwa) स्थित मकान से बड़ा लगाव था। पड़ोसी बताते हैं कि सन 1990 में राजू के पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने किसी मजबूरी में इस मकान को सुरेश सिंह चौहान को साढ़े 3 लाख रुपये में बेच दिया था।
इसके बाद पूरा परिवार कुछ दिन बारादेवी तो कुछ दिन यशोदा नगर में किराये के मकान में रह रहा था। उस समय राजू श्रीवास्तव मुंबई में थे। उन्हें जब मकान बेचने के बारे में पता चला तो घर वालों पर बहुत नाराज हुए थे। तब राजू ने अपने पिता सुरेश से मकान को वापस खरीदने की पेशकश की लेकिन बात नहीं बनी थी।
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उनके पिता अपने पड़ोसी शिवेंद्र पांडेय के पास भी गए और कहा कि सुरेश सिंह से बात करें। कई सालों तक मकान मालिक को मनाने का दौर चलता रहा और सन 2000 में राजू ने इस मकान को 24 लाख रुपये में खरीद लिया। मकान खरीदने के बाद राजू के पिता बलई काका( Balai Kaka) फिर से परिवार के साथ यहां आ गए।
राजू के छोटे भाई की पत्नी श्रेया Shreya कहती हैं कि जब कभी राजू भइया शहर आते थे तो घर जरूर आते थे। उन्हें इस पुस्तैनी मकान से बड़ा प्रेम था। कहते थे यहां आकर बड़ा आराम मिलता है। इसी बहाने सबसे मुलाकात हो जाती है नहीं तो कहां कोई मिल पाता है। उन 5-10 मिनट में वह पूरे इलाके का हालचाल लेकर फिर चले जाते थे।