Panhala Fort के बारे में क्या है खास, देखिए भारत के इस अद्भुत किले को और जानिए इसे क्यों कहते हैं, सांपों का किला..

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Panhala Fort

Panhala Fort: भारत देश अपने स्थापत्य एवं कला के लिए पूरी दुनिया में हमेशा जाना गया है,आज जब हम आधुनिकता की ओर लगातार बढ़ रहे हैं तब भी हमारा प्राचीन स्थापत्य सिर उठाए आसमान को छू रहा है,इसी का एक उदाहरण है “सांपों का किला” जिसके बारे में आज हम आपको विस्तार से बताएंगे,हम आपको बताएंगे कि किला कहां स्थित है, क्यों खास है और आख़िरकार इसे सांपों का किला क्यों कहा जाता है। पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है यह किला अतः इसके बारे में आपको जानकारी होना बहुत जरूरी है, इसलिए आप इस पूरे लेख को अंत तक ध्यान से जरूर पढ़ें।

कहां है यह अद्भुत किला

पन्हाला किला

हम आपको जिस क़िले के बारे में बताने जा रहे हैं वह किला महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है,जी हां आज हम आपको दक्षिण भारत के एक शानदार किले के बारे में बताने वाले हैं जिसके के बारे में यह कहा जाता है कि लोग इसे “सांपों का किला” कहकर पुकारते थे,ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि आखिर यह किला सांपों का किला क्यों कहा जाता है तो हम आपको इस प्रश्न का उत्तर भी इसी लेख में देने वाले हैं।

क्या है Panhala Fort का स्थापत्य महत्व

अगर हम बात इस किले के स्थापत्य महत्व की करें तो इसकी शैली तो लाजवाब है ही इसके अलावा एक और खास बात है वह यह कि यह भारत के सबसे बड़े किलो में 1 गिना जाता है और अगर बात ढक्कन के क्षेत्र की करें तो आपको बता दें कि ढक्कन के क्षेत्र का यह सबसे बड़ा किला है,जी हाँ, दक्कन के क्षेत्र में इस किले से बड़ा दूसरा कोई किला आपको देखने को नहीं मिलेगा इसलिए यह किला इस क्षेत्र में खास महत्व रखता है।

क्या है इस किले का इतिहास

Panhala Fort

ऐतिहासिक साक्ष्यों से यह बात स्पष्ट होती है कि इस किले का निर्माण 1178 से लेकर 1209 ईसवी के बीच में शासक भोज द्वितीय ने करवाया था, बताया जा रहा है कि “कहां राजा भोज कहां गंगू तेली” वाली कहावत इसी किले से निकली थी। निर्माण की अवधि देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि या किला कितना पुराना है और इस किले के अंदर कितनी प्राचीन संस्कृति संरक्षित हो सकती है जिसके बारे में दुनिया को जरूर जानना चाहिए।

किन नामों से जाना जाता है यह Panhala Fort

अब आपको हम यह बता देते हैं कि आखिर यह किला किन नामों से जाना जाता है तो इसका सबसे चिर परिचित नाम है “पन्हाला का किला”।
लोग इसे Panhala Fort कह कर पुकारते हैं, इसके अलावा इसे पहाड़ गढ़ का किला भी कहा जाता है तथा इसकी बनावट टेढ़ी-मेढ़ी है जिसको देखने पर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे कोई सांप लौट रहा हो,इसी वजह से इसको सांपों का किला भी कहा जाता है।

जी हां एक प्रश्न जो अभी तक बना हुआ था कि आखिर इस किले को सांपों का किला क्यों कहा जाता है तो उसका उत्तर यही है कि यह किस तरीके से बनाया गया है कि देखने पर ऐसा लगता है कि कोई सांप लोट रहा हो इसलिए इसको सांपों का किला कहा जाता है।

काफी पुराना है यह किला… किले के अंदर है यह खास जगह

Panhala Fort

जैसा कि हमने बताया कि इस किले का निर्माण 1178 से 1209 ईस्वी के बीच भोज द्वितीय ने करवाया था इस तिथि के अनुसार आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह किला लगभग 800 साल से भी अधिक पुराना है।
ऐसे में इसका पुरातात्विक महत्व काफी ज्यादा बढ़ जाता है आपको बता दें इस कुएं के अंदर 300 मंजिला इमारत के नीचे एक गुप्त कुआँ है जिसे मुगल बादशाह आदिलशाह ने बनवाया था,इस कुएं को अंधार बावड़ी के नाम से जाना जाता है अगर आप कभी इस किले को देखने पहुंचे तो इस कुएं को देखने जरूर जाएं।

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Panhala Fort के अंदर से निकलती है एक गोपनीय सुरंग

इस किले की खास बातों में से एक खास बात यह भी है कि उसके अंदर से एक गोपनीय सुरंग बाहर की ओर निकलती है जो कि 22 किलोमीटर लंबी है।बताया जा रहा है कि किले से 22 किलोमीटर दूर तुलजा भवानी का एक मंदिर है बताया जा रहा है कि इस मंदिर के अंदर एक सुरंग है और यह सुरंग सीधा 22 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए पन्हाला के किले के अंदर निकलती है, बताया जा रहा है कि यह गुप्त मार्ग आपातकालीन स्थिति में बाहर निकलने के लिए बनाया गया था।

यह है Panhala Fort जिसके बारे में हमने आपको बताया,यह महाराष्ट्र में स्थित है,इसे सांपों के किले के रूप में भी जाना जाता है, अतः अगर आप पर्यटन के शौकीन हैं तो जब कभी भी आप महाराष्ट्र की ओर आए तो आप इस किले में घूमने जरूर जाएं।

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