Padma Awards Rules
Padma Awards Rules: पिछले दिनों कुश्ती संघ के चुनाव हुए थे जिसमें संजय सिंह को नए प्रमुख के तौर पर चुना गया था। इसी का विरोध जताते हुए भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने पद्म श्री पुरस्कार लौटा दिया है। तो चलिए जानते हैं कि पद्म श्री पुरस्कार लौटने को लेकर क्या नियम है।
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संजय सिंह को कुश्ती संघ के मुखिया चुने जाने के बाद ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया ने इसका विरोध जताते हुए अपना पुरस्कार वापस किया है। हालांकि पिछले कुछ सालों में जिन लोगों ने अपना पुरस्कार लौटाया है और फिर भी वे लोग विजेताओं की लिस्ट में बरकरार है, इसी तरह बजरंग (Bajrang Punia Returns Padma Shri Award ) भी विजेताओं की लिस्ट में बरकरार रहेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि सम्मानित पुरस्कार को लौटाने का कोई भी प्रावधान नहीं है।
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने कहा कि‘पुरस्कार विजेता किसी भी कारणवश पुरस्कार लौटाने के अपने फैसले की घोषणा कर सकता है, लेकिन पद्म पुरस्कार में ऐसे कोई भी नियम का प्रावधान नहीं है। बिना किसी ठोस कारण के बतलाए केवल राष्ट्रपति द्वारा ही पुरस्कारों को रद्द करने की अनुमति मिल सकती है। किसी भी पुरस्कार विजेता का नाम राष्ट्रपति के निर्देशों के तहत बनाए गए पद्म प्राप्तकर्ताओं के रजिस्टर में उसे वक्त तक बरकरार रहता रहता है, जब तक उसका पुरस्कार रद्द नहीं होता।
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गौरतलब है कि सामान्य प्रथा के मुताबिक, पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किए जाने के लिए नामांकित व्यक्ति की इच्छा, पुरस्कारों की घोषणा से पहले, मुमकिन हो तो अनौपचारिक रूप से सुनिश्चित की जाती है। इसी बात पर कई लोगों ने पुरस्कारों को अस्वीकार भी किया है। किसी भी शख्शियत को पद्म विभूषण, पद्म भूषण या पद्म श्री से नवाजे जाने के बाद, उसका नाम भारत के राजपत्र में प्रकाशित होता है और ऐसे सभी लोगों का एक रजिस्टर अलग रखा जाता है।
Padma Awards Rules, अधिकारी ने आगे कहा ‘भले ही पुरस्कार विजेता बाद में पद्म पुरस्कार (Padma Awards Rules) वापस करने के लिए स्वेच्छा से ही आता है इसके बावजूद भी उसका नाम राजपत्र या पुरस्कार विजेताओं के रजिस्टर से नहीं हटाया जाता है। पद्म पुरस्कारों की ‘वापसी’ के हालिया मामले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस ढींडसा के थे।
इन दोनों महानुभावों ने साल 2020 में राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा था कि वे तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं और अपने पुरस्कार ‘वापस’ कर रहे हैं। किंतु, बादल और ढींडसा का नाम आज भी पद्म पुरस्कार विजेताओं की लिस्ट में शामिल है।