Nepal ने किया भारत की जमीन पर कब्जा, 5 हेक्टेयर से अधिक जमीन पर अतिक्रमण कर मकान और झोपड़ियां बनाईं, SSB ने भेजी केंद्र को रिपोर्ट

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Nepal देश ने भारत स्थित उत्तराखंड के चंपावत में नेपाल-भारत बॉर्डर पर 5 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है। सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भी सौंपी है। दूसरी तरफ स्टेट फॉरेस्ट विभाग ने भी इसे लेकर राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी है।

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फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का कहना है कि नेपाल ने पिछले 30 सालों में भारत की जमीन पर कब्जा करके मकान और झुग्गी झोपड़ियां बना ली हैं। SSB के असिस्टेंट कमांडेंट अभिनव तोमर ने बताया कि यह कब्जा अभी नहीं किया गया है बहुत पहले से है। अब सर्वे ऑफ इंडिया और सर्वे ऑफ नेपाल की टीम इस गुत्थी को सुलझाने की कोशिश करेंगी।

उत्तराखंड के चम्पावत में जमीन पर अतिक्रमण

इस जमीन को लेकर कई बार भारतीय और नेपाली अधिकारियों में विवाद हो चुका है। इलाके के रेंजर महेश बिष्ट का कहना है कि उन्होंने भी कई बार इस मामले को लेकर राज्य सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी हैं। वहीं, दूसरी तरफ अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने अतिक्रमण को लेकर 2010 से 2021 के बीच तीन बार गृह मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार को रिपोर्ट सौंप चुके है लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई है।

भारत औप नेपाल के बीच लंबे वक्त चला आ रहा है सीमा विवाद

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भारत और Nepal के बीच कुछ सरहदी इलाकों को लेकर लंबे वक्त से विवाद चल रहा है। इसमें लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापीनी का विवाद ज़्यादा प्रमुख है। नेपाल उत्तराखंड स्थित लिपुलेख को अपना इलाका बताता फिर रहा है। भारत, नेपाल और चीन की सीमा पर मौजूद 338 वर्ग किलोमीटर में फैला यह इलाका क्षेत्रफल के हिसाब से गुजरात की राजधानी गांधीनगर से भी बड़ा है।

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चीनी अतिक्रमण के खिलाफ बोलने की हिम्मत नही जुटा पा रहा है नेपाल

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भारत की जमीन पर अपना कब्जा जमाने वाला Nepal अपनी जमीन पर चीन के अवैध अतिक्रमण पर एक शब्द भी नहीं बोल पाता है। चीन ने दो साल पहले नेपाल में गोरखा जिले के रूइला में जिस जगह पर सैन्य ठिकाने बनाए थे, अब वहां कटीले तार लगातार घेराबंदी करना शुरू दी है। हिमालयी क्षेत्र में अभी तक नेपाल और चीन के बीच सीमा निर्धारण नहीं हो पाई है। ड्रैगन देश इसी का फायदा उठाकर धीरे धीरे नेपाल के अंदरूनी भागों में घुसपैठ कर रहा है। इस हरकत के खिलाफ नेपाली लोग लगातार प्रोटेस्ट करते चले आ रहे है, लेकिन सरकारी अधिकारी इस खबर से बिल्कुल अनजान बने हुए हैं।

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