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गणित की महान प्रोफ़ेसर नीना गुप्ता जिनको हाल ही में श्री रामानुजन पुरस्कार से नवाजा गया है।ISI कोलकाता में जिसे भारतीय सांख्यिकी संस्थान भी कहते हैं। रामानुजन पुरस्कार से नवाजा गया है। अलजेब्रिक जियोमेट्रो और काम पे कम्युटेटिव अलजेब्रा में शानदार काम करने के दौरान नीना गुप्ता को विकासशील देशों के गणितज्ञों का 2021 डीएसटी आईसीटीपी आई दिया गया। सन 2019 में शांति स्वरूप भटनागर प्राइस फॉर साइंस एंड इकोनामिक टेक्नोलॉजी से भी सम्मानित किया गया। इससे पहले सन 2014 में अलजेब्रिक जियोमेट्रो के फील्ड में Zariski cancellation problem को हल करने के लिए उन्हें नेशनल साइंस अकैडमी की तरफ से यंग साइंटिस्ट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है । यह पुरस्कार सम्मान पाने वाली प्रो. नीना गुप्ता तीसरी महिला है। अभी यह पुरस्कार भारत के ही रहने वाले चार लोगों को मिल चुका है।
यह पुरस्कार गणित के प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से उच्च माना जाता है। इसका पूरा नाम रामानुजन प्राइस यंग मैथमेटिशियन है। यह पुरस्कार हर वर्ष विकासशील देशों की युवा गणितज्ञ को दिया जाता है। इस पुरस्कार की शुरुआत साल 2005 में महान भारत के गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की याद में की गई यह पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय सिद्धांत सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र द्वारा दिया जाता है जो इटली में स्थित है। इस देश के महान लोगों को सम्मानित करने के लिए पैसों की व्यवस्था अलबेल फंड के माध्यम से की जाती है।
इस पुरस्कार का नाम रामानुजन पुरस्कार इसलिए पड़ा क्योंकि रामानुजन एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। जिनका जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के इरोड गांव में हुआ था । गणित के क्षेत्र में संख्या सिद्धांत गणितीय विश्लेषण और अनंत श्रंखला में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया। एक अंग्रेज़ गणितज्ञ उनकी प्रतिभा को पहचान कर उन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय के लिए आमंत्रित किया। लेकिन 1913 में एक बीमारी के कारण रामानुजन भारत आ गए । बाद में उन्हें क्षय रोग भी हो गया था। भारत लौटने के बाद लंबी बीमारी के चलते उनकी 26 अप्रैल 1920 को 32 साल की उम्र में मृत्यु हो गई। इनको याद करके हर वर्ष 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस को मनाते हैं। प्रोफ़ेसर नीना गुप्ता ने गणित के क्षेत्र में अच्छा परफॉर्मेंस किया इसलिए नीना गुप्ता की योग्यता देखते हुए श्री रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस प्रकार नीना गुप्ता ने गणित के क्षेत्र में प्रोफ़ेसर के रूप में देश का नाम रोशन किया और उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया।