MP का ‘स्वर्ग’, 180 करोड़ वर्ष पुरानी सौंदर्य को देखते ही रह जाते हैं लोग, एक ऐसा शहर जहां पर सिर्फ प्राकृतिक खूबसूरती ही नहीं और भी बहुत कुछ है देखने को

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MP ka Swarg

Jabalpur: जबलपुर भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक शहर है। जबलपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। हालांकि ऐतिहासिक रूप से गोंड राजवंश का एक केंद्र, कालाचूरी और शहर में एक सांस्कृतिक संस्कृत विकसित की है। जो मुगल व मराठों के शासन से प्रभावित था। मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय, पश्चिम मध्य रेलवे का मुख्यालय और पांच राज्यों (एमपी, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार) के सेना मुख्यालय कहां स्थित है।

आप अगर प्रकृति और इतिहास से प्रेम करते हैं। तो मध्य प्रदेश की एक ऐसे ही शहर जबलपुर से आपको प्रेम हो जाएगा। मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटक जगहों में से एक जबलपुर अपनी प्राचीन इतिहास, आश्चर्यजनक परिदृश्य और प्रकृति की खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यहां की प्राकृतिक नदियां, झरना और ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों को बहुत ही लुभाती हैं। तो अगर आप ऐसे ही जगहों की तलाश में है। जहां आप मौज मस्ती के साथ एक बेहतरीन टाइम स्पेंड कर सके। तो आप किस बात का इंतजार कर रहे हैं…?उठिए और ऐसी जगह पर पहुंच जाइए जो आपको बेहद ही पसंद हो।

Jabalpur

संस्कार धानी का धुआंधार भेड़ाघाट, MP का ‘स्वर्ग’

Jabalpur, ‘स्वर्ग’ यह एक ऐसा शब्द है जिसे सुनने मात्र से ही जन्नत की अनुभूति होने लगती है। ऐसा ही एक जगह है, संस्कारधानी का धुआंधार भेड़ाघाट।180 करोड़ वर्ष पुरानी इस धरोहर को एमपी का स्वर्ग कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह कैसी जगह है जो हर आने वाला पर्यटक सौंदर्य को यानी इसके स्वर्ग रूप को निहारता ही रह जाता है। कुछ पलों के लिए तो वह खुद को भूल कर,सिर्फ प्रकृति की इस अनुपम नजारे में ही खो जाता है।

इस जगह का इतिहास

प्रत्येक को अपने बूंदों से प्यास बुझा के साथ पवित्र और पुण्य प्रदान करने वाली मां नर्मदा का तट बड़े-बड़े रहस्यों को अपनी गोद में समाए हुए हैं। उसमें से एक है भेड़ाघाट का धुआंधार। इससे ज्यादा को जानने वालों की माने तो इसका इतिहास लगभग 180 करोड वर्ष पुराना है। मां नर्मदा का बावन गंगा के साथ मिलन स्थान का नाम भेड़ाघाट हुआ। यह स्थान पर्यटन स्थल के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी रखता है। इसके समीप ही गुप्तेतर काल का शक्ति मंदिर जो सप्त घृत मातृका व वर्तमान में चौसठ योगिनी का प्रसिद्ध मंदिर खास है। दसवीं इसवी में मंदिर का और विस्तार हुआ।मां नर्मदा सहित तटों की असीम सुंदरता का धर्म ग्रंथों में वर्णन भी इसका एक प्रमाण है।

पर्यटकों को खूब लुभाती है यह जगह

धुआंधार भेड़ाघाट पर्यटन की दृष्टि से बेहद ही खास मानी जाती है।ऊंचाई से गिरते जल का दूधिया धार और पानी से निकलने वाला धुआं ऐसा नजारा हर एक पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। आजादी से पहले भी विदेशी पर्यटक कैप्टन जी फोरसाइथ ने अपनी पुस्तक हाईलैंड्स आफ सेंट्रल इंडिया मध्य भारत की प्राकृतिक सुंदरता और आकृतियों के बारे में बहुत कुछ लिखा है। उसमें भेड़ाघाट की खूबसूरत चट्टानों का भी जिक्र है।

Bhedaghat Jabalpur

रोमांच इस समय बढ़ जाता है.

नर्मदा के संगमरमरी घाटों और तटों पर पर्यटको का दिल रोमांच से उस समय खिल उठता है। जब दीपक की लौ जलधारा में टिमटिमाती है।तटों पर मंदिर भी पर्यटकों को खूब लुभाते हैं। भेड़ाघाट का वातावरण बेहद शांत रहता है। जब सूरज की रोशनी सफेद और मटमैला रंग किस संगमरमर चट्टान पर पड़ती है। तब नदी में बनने वाले प्रतिबिंब बेहद ही अद्भुत होता है। यहां संगमरमर चट्टान की खूबसूरती उस समय चरम सीमा पर होती है। जब चांद की रोशनी चट्टान और नदी पर एक साथ पढ़ती है। यह नजारा देखने के बाद मानो ऐसा लगता है जैसे यही स्वर्ग है।

मदन मोहन किला Madan Mohan Fornt in Jabalpur

Madan Mohan Fornt

प्राकृतिक प्रदेशों व धार्मिक मंदिरों के अलावा जबलपुर में कई ऐसे ऐतिहासिक स्मारकों का घर भी है। और तो और यदि आप इतिहास के शौकीन है। तो जबलपुर में ऐसी बहुत सारी चीजें हैं। 1116 ई. में राजा मदन शाह द्वारा निर्मित,यह किला मूल रूप से एक सैन्य चौकी और एक पहरेदारी के रूप में कार्य करता है। इस राजसी किले में गुप्त मार्ग, युद्ध कच्छ और एक छोटा सा जलाशय है। इस किले का नाम मदन महल किला है जो चट्टानी पहाड़ी के ऊपर स्थित है।

डुमना नेचर रिजर्व पार्क Dumna Nature Reserve Park in Jabalpur

Dumna nature reserve park

डुमना नेचर रिजर्व पार्क, 1058 हेक्टेयर किस क्षेत्र में फैला हुआ, शहर की सीमा के बाहर एक पर्यावरण पर्यटन स्थल है। जहां पर आप क्षेत्र के समृद्ध वनस्पतियों और जीवो को देख सकते हैं। इसमें एक छोटा सा चिल्ड्रन पार्क भी है। जिसमें बोटिंग की सुविधा और ट्राय ट्रेन की सवारी इसके अलावा एक रेस्तरां और कुछ गेस्ट रिसॉर्ट व कुछ समय रहने के लिए टेंट हाउस भी है।यहां आपके सारे मनोरंजक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। जैसे कि प्राकृतिक का सैर, पक्षियों को देखना, मछलियों को पकड़ना इत्यादि।

पिसनहारी की मढ़िया Pisanhari ki Madiya in Jabalpur

Pisanhari ki Madiya

जबलपुर में ही एक प्रमुख जैन तीर्थ स्थल, पिसनहारी की मढ़िया लगभग 500 साल पहले एक बूढ़ी औरत द्वारा बनाया गया था। ये मंदिर जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय से संबंधित है। और यहां पर अक्सर पर्यटक इसकी प्रमुख मूर्तियों, मनोरम कला वह उत्तम डिजाइन देखने के लिए आते हैं। यह एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर हरियाली से घिरा हुआ है। जो यहां के शांत वातावरण की वजह से पर्यटकों को बेहद ही अपनी तरफ आकर्षित करती है।

चौसठ योगिनी मंदिर Chausath Yogini Temple in Jabalpur

64 Yogini Temple

10 वीं शताब्दी में कलचुरियों द्वारा निर्मित चौसठ योगिनी मंदिर देश के सबसे पुराने विरासत स्थलों में से एक है। जैसे कि नाम से ही पता चल जाता है।मंदिर में 64 साइन है जो इसकी गोलाकार परिषद की दीवारों पर बने हुए हैं। प्रत्येक में एक योगिनी की नक्शा दार आकृति है और इसके केंद्र में एक मुख्य मंदिर है। जो भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। इसे देखने के लिए आपको 150 सीढ़ियों का सफर तय करना होगा।

बैलेंसिंग राॅक Balancing Rock in Jabalpur

Balancing rock

Jabalpur में आपको बैलेंस रॉक का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। इसकी ऊपरी चट्टानी चली चट्टान पर इस तरह संतुलित है।यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि कोई भी प्राकृतिक आपदा आ जाए तो भी इस पत्थर का संतुलन नहीं बिगाड़ सकती। उस आपदा का इस पर कोई असर नहीं होता है। यह रॉक अपना संतुलन 6.5 रिएक्टर पैमाने के भूकंप में भी बनाए रखने में कामयाब है। जबलपुर से 6 किमी की दूरी पर स्थित यह शहर का एक अनूठा नजारा है। जो कि स्थानीय निवासियों के साथ-साथ पर्यटकों को भी अपनी तरफ बहुत ज्यादा आकर्षित करता है।

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