International Literacy Day: कितना पढ़ा लिखा है भारत, क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस?

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दुनिया भर में साक्षरता दिवस मनाया जाता है। जानते हैं क्यों? क्योंकि शिक्षा ही मानव को विकास के पथ पर ले जाता है। आज के समय में वही देश सबसे ज्यादा विकसित है जो जितना ही अधिक शिक्षित है। यही कारण है कि शिक्षा को विकास का आधार माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसी को देख कर विश्व भर में साक्षरता दिवस मनाने का निश्चय किया।

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास.

दुनिया से अशिक्षा को समाप्त करने के संकल्प के साथ “अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस” मनाया जाता है। सन् 1966 में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन) ने शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता को बढ़ाने और विश्व भर के लोगों का ध्यान इसकी तरफ आकर्षित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का निर्णय लिया था। जिसके बाद से प्रतिवर्ष 8 सितंबर को दुनिया भर में ये दिन मनाने की परंपरा जारी है। निरक्षरता को खत्म करने के लिए “अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस”मनाने का विचार पहली बार ईरान के तेहरान में शिक्षा के मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के समय सन् 1965 में 8 से 19 सितंबर को चर्चा की गई थी। हालांकि 26 अक्टूबर 1966 को यूनेस्को ने 14वें जनरल कॉन्फ्रेन्स में घोषणा करते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रुप में मनाया जाएगा।

हर साल एक नए उद्देश्य के साथ विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है। साल सन् 2009 से 2010 को संयुक्त राष्ट्र साक्षरता दशक घोषित किया गया है।
भारत के संदर्भ में औसत साक्षरता दर काफी कम यानी 74 प्रतिशत ही है। राजस्थान जनगणना सन् 2011 के अनुरूप साक्षरता 67.06 प्रतिशत है। जो कि देश स्तर पर 33वें स्थान पर है। हालांकि महिला साक्षरता दर 52.66 तथा पुरुष साक्षरता दर 80.51है।

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस क्यों मनाया जाता है

मानव विकास तथा समाज के लिए उनके अधिकारों को जानने व साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। इस बात से मना नहीं किया जा सकता कि साक्षरता हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। अगर भारत में या फिर देश दुनिया में गरीबी को मिटाना है, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण करना, बाल वृद्धि दर को कम करना, लैंगिक समानता को प्राप्त करना आदि को जड़ से उखाड़ना बहुत ही जरूरी है। और यह काम सिर्फ साक्षरता ही कर सकती है। एक साक्षरता ही है जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा को बढ़ा सकता हैं। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस लगातार शिक्षा को प्राप्त करने की ओर लोगों को बढ़ावा देने के लिए तथा समाज, परिवार और देश के लिए अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिए साक्षर होना बहुत जरूरी है।

जागरूक होने की जरूरत है

साक्षरता का मतलब केवल पढ़ना लिखना ही नहीं होता या फिर शिक्षित होना भी नहीं होता है। बल्कि यह लोगों में उनके अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक करती है। तथा सामाजिक आधार का विकास बन जाती हैं। गरीबी उन्मूलन में भी इसका बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। महिलाओं व पुरुष के बीच समानता के लिए जरूरी है कि महिलाएं भी साक्षर बने। संयुक्त राष्ट्र के एक आंकड़े के मुताबिक इस समय में दुनिया भर में चार अरब लोग साक्षर है। इसके बावजूद भी पांच बरस के लोगों में से एक अभी निरीक्षर है। तथा 35 देशों में साक्षरता 50 फ़ीसदी भी नहीं है। विश्व में एक अरब लोग अब भी पढ़ लिख नहीं सकते।

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