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Manisha Kalyan ने बनाई फुटबॉल से पहचान, संघर्षो के साये में गुजरा सफ़र,पढ़िये कितना मुश्किल रहा सफ़र…

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Manisha Kalyan



Manisha Kalyan: आज की दुनिया मे रोटी,कपड़ा और मकान से ज्यादा बड़ी लड़ाई पहचान की है,हर कोई अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिये अपने साथ के व्यक्ति से प्रतिद्वंदिता कर रहा है,ऐसी ही प्रतिद्वंदिता की कहानी मनीषा कल्याण की है जिन्होंने फुटबाल खेल कर अपनी एक अलग पहचान बनाई है और आज पूरी दुनिया के लिये एक आइकॉन बनकर सामने आयी हैं,भले ही आज Manisha Kalyan को पूरी दुनिया जानती हो पर इस मुकाम तक पहुंच पाना इतना आसान नहीं था..आज हम आपको मनीषा कल्याण के संघर्ष की कुछ ख़ास बाते बतायेंगे।

कौन हैं Manisha Kalyan….

Manisha Kalyan



अगर बात आज की करें तो आज तो लोग Manisha Kalyan को एक दमदार फुटबॉल प्लेयर के रूप में जानते हैं पर यह हमेशा से उनकी पहचान नहीं थी, Manisha Kalyan पंजाब के होशियारपुर जिले की माहिलपुर नगर की एक साधारण सी पहचान वाली लड़की है जिन्होंने अपने अदम्य साहस और अटूट श्रम के बल पर आज असाधारण पहचान हासिल की है।

एथकेटिक्स और बॉलीबॉल को पसंद करती थी मनीषा….



Manisha Kalyan अपने विभिन्न साक्षात्कारों में यह बताती हैं कि वह बचपन से ही एथलेटिक्स और बॉलीबॉल को को पसंद करती थी,फुटबॉल के बारे में उन्होंने कभी सोंचा भी नहीं था,पर किस्मत ने उन्हें फुटबाल थमाया और उन्होंने फुटबाल में ही अपनी पहचान बना ली।

Manisha Kalyan

शिक्षक की सलाह पर बनी फुटबॉलर…..


विभिन्न साक्षात्कारों के आलोक में यह बात स्पष्ट होती है कि फुटबाल से मनीषा का बुनियादी जुड़ाव नहीं था परंतु कक्षा 8 में उनके शारीरक शिक्षा के शिक्षक ने उन्हें फुटबॉल खेलने को प्रेरित किया और उसी प्रेरणा के बाद उन्होंने फुटबॉल खेलना शुरू किया और पूरी दुनिया पर छा गयी।

आसान नहीं था लड़कों के बीच फुटबॉल खेलना…



मनीषा के क्षेत्र में फुटबॉल मुख्यतः लड़कों का खेल था और लड़कियां इसे बहुत कम खेलती थी इसीलिये मजबूरी में मनीषा को लड़कों के साथ फुटबॉल खेलना पड़ता था,सामाजिक परिवेश के अनुसार यह आसन नहीं था लेकिन अलग पहचान की जिद में मनीषा ने यह सब कर दिखाया ,और आज पूरी दुनिया मे वह एक अलग पहचान हैं।

लड़कियों के साथ खेलने के लिये करना पड़ता था पैदल सफ़र….



जब कभी भी मनीषा को लड़कियों के साथ फुटबाल खेलना होता था तो मनीषा को अपने नगर से 15 किलोमीटर दूर पैदल अथवा साइकिल से जाना पड़ता है और मनीषा जाती थी क्योंकि उनके मन मे जुनून था,और उसी जुनून ने आज उन्हें दुनिया मे सबसे अलग लाकर खड़ा कर दिया…

सफ़लता ने बदल दी लोगों की सोंच…



मनीषा बताती हैं कि जब वह गाँव के लड़कों के साथ फुटबाल खेलती थी तो गाँव के लोग उनका मजाक उड़ाते थे और माता-पिता के भी कान भरते थे कि लड़की का लड़कों के साथ खेलना थीक नहीं है लेकिन माता पिता ने हमेशा उनका साथ दिया और गाँव के लोगों की बातों को गम्भीरता से नहीं लिया…
माता-पिता के सकारात्मक रवैये और अपने श्रम से सफलता हासिल कर आज मनीषा ने सब की सोंच बदल दी है।

क्रमिक रूप से मिलती गयी सफ़लता…



संघर्ष को कभी न कभी सम्मान जरूर मिलता है और यही मनीषा के साथ भी हुआ ,जल्द ही मनीषा ने जिला स्तर और फिर राज्य स्तर पर खेलना शुरू कर दिया,उसके बाद उनका चयन राष्ट्रीय महिला टीम में हो गया तब से वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल खेल रही हैं,वर्ष 2021 में अंतरराष्ट्रीय महिला फुटबाल टूर्नामेंट में मनीषा ने ब्राजील के खिलाफ शानदार गोल करके अपनी वैश्विक पहचान बनाई.

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रोनाल्डिन्हो की प्रशंसक हैं मनीषा….



अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताते हुये मनीषा कहती हैं की वह फुटबॉल प्लेयर रोनाल्डिन्हो की बड़ी प्रशंसक हैं और उन्ही की तरह हेयर स्टाइल रखती हैं और खेलती हैं इसीलिये उनके साथी उनको डिन्हो कहकर पुकारते हैं,मनीषा ने जब अपना इंस्टाग्राम एकाउंट बनाया तो उसका नाम MKD रखा जिसका अर्थ है मनीषा कल्याण डिन्हों…।
इस प्रकार मनीषा ने संघर्ष के दम पर सफ़लता की कहानी लिखकर दुनिया मे अलग पहचान बनाई..।

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