एसबीआई ने शोध रिपोर्ट में दावा किया है कि खुदरा महंगाई सरकार के आंकड़े से भी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। जून में वार्षिक महंगाई दर संख्याओं की कि वह कार्यक्रम क्रियावन्य मंत्रालय के आंकड़े से 0.90% ज्यादा रही है। मजदूरों की कमी से आपूर्ति में बाधा आ रही है, जिससे खुदरा महंगाई और बढ़ेगी।
एसबीआई ने इकोरैप रिपोर्ट में बताया, इस साल खुदरा महंगाई परेशान करेगी। कोविड-19 के कारण शहरी क्षेत्रों में अधिकांश मजदूर वापस गांव लौट आए। उनकी कमी से खाद उत्पादन व अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा आ रही है।एसबीआई ने दावा किया है कि जून में खुदरा महंगाई दर 6.98% फ़ीसदी रही है, जो राष्ट्रीय संख्याओं की की कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े से 0.89% फ़ीसदी ज्यादा है।
एनएसओ ने जून में खुदरा महंगाई 6.09 फ़ीसदी बताई थी।सरकार को महंगाई की गणना करते समय ऑनलाइन कीमतों को भी ध्यान में रखना चाहिए। महामारी के दौर में ज्यादातर लोग जरूरतों के लिए ऑनलाइन स्टोर पर निर्भर है। अगर इन्हें शामिल किया जाता तो आंकड़ों पर 0.10_0.15% का असर पड़ता। एनएसओ ने गैर जरूरी वस्तुओं के आंकड़े जुटाए, जो वास्तविकता से कम रहे।
पानी की कमी नहीं आपूर्ति है समस्या,
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फंड की कमी, राजकोषीय घाटा या अन्य किसी भारी समस्या से महंगाई नहीं बढ़ रही है। महामारी में लाखों मजदूर वापस गांव चले आए हैं और आपूर्ति पर गहरा संकट आ गया है। एसएससी जून में उपभोक्ता वस्तुओं में आया तेज उछाल और बढ़ सकता है। बाजार में अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव है। सरकार की मुफ्त अनाज जैसी योजना से खपत बढ़ेगी, जो महंगाई पर भी असर डालेगा।