Laxmi Joshi pilot: जानिए देश की महिला पायलट के बारे में,चीन में फंसे हिंदुस्तानियों को बचाने के लिए भरी थी उड़ान

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Laxmi Joshi pilot: सिर्फ आठ साल की उम्र में थीं पहली बार हवाई जहाज में बैठी थीं। तबसे ही उन्होंने यह तय कर लिया था कि वह एक पायलट बनना चाहती है । लक्ष्मी जब बड़ी हुई, तो उसने अपने सपने को सच करने के लिए दिन रात एक कर कड़ी मेहनत की थी। लक्ष्मी जोशी देश के उन उन कई पायलटों में शामिल थीं, जिन्होंने वंदे भारत मिशन (Vande Bharat mission) के लिए स्वेच्छा से काम किया था, जो मई 2020 में कोरोनोवायरस-प्रेरित यात्रा प्रतिबंधों के कारण विदेशों में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए शुरू किया गया था। लक्ष्मी ने हाल ही में अपने अनुभव के बारे में ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे (Humans of Bombay) से बात की। उन्होंने अपने बचपन के सपने के बारे में बताते हुए कहा कि एक पायलट बनने के लिए उसने जो ट्रेनिंग ली और कैसे उसने विदेशों में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए महामारी के दौरान एक महीने में ही तीन बार हवाई जहाज की उड़ानें भरीं थी।

पिता ने कर्ज लेकर बनाया पायलट

Laxmi Joshi pilot

अपने इंटरव्यू के दौरान, लक्ष्मी ने खुलासा किया कि उनके पिता ने कर्ज लेकर उन्हें पायलट बनाया। Laxmi Joshi pilot कहती हैं कि उनके पिता ने हमेशा ही आगे बढ़ने के लिए उत्साहित किया।

दो साल के बाद Laxmi Joshi pilot को अपना पायलट लाइसेंस मिला था। उन्हे तुरंत ही एयर इंडिया, राष्ट्रीय वाहक के साथ नौकरी मिल गई थी।
अपने इंटरव्यू में जोशी ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को बताया, उसके पिता उसके सबसे बड़े चीयरलीडर्स बने रहे थे। जब भी कोई रिश्तेदार पूछता यह सवाल पूछता कि, ‘वह कब और कैसे सेटेल होगी?’ वह जवाब देते थे, ‘मेरी बेटी उड़ने के लिए बनी है।”

विदेश में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए भरी उड़ान

Laxmi Joshi pilot अपनी नौकरी से बहुत ही प्यार करती थी, लेकिन लक्ष्मी जोशी सिर्फ यात्रा के अलावा और भी बहुत कुछ करना चाहती थी। इसलिए जब महामारी आई और वंदे भारत मिशन अस्तित्व में आया, तो उन्होंने अपनी मर्जी से विदेश में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए विदेश जाने के लिए उड़ान भरी थी। लक्ष्मी कहती हैं, उसके माता-पिता चिंतित थे, लेकिन “जब मैंने समझाया कि मिशन कितना महत्वपूर्ण है, तो वे अनिच्छा से सहमत हो गए थे।”

पहली उड़ान चीन के शंघाई के लिए थी

Laxmi Joshi pilot

इस बचाव अभियान के तहत उनकी पहली उड़ान चीन के शंघाई के लिए थी। उसने यह कहते हुए बताया कि वह उस उड़ान को कभी नहीं भूलेगी। “चीन कोविड का सबसे गर्म स्थान होने के कारण, हर कोई व्यथित था,” उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य वहां फंसे सभी हमारे देशवासियों सही सलामत वापस लाना था। हम सभी ने उड़ान के दौरान खतरनाक सूट पहने थे, मैंने भी एक सूट पहनकर उड़ान भरी थी। जब वे अंत में भारत पहुंचे, तो यात्रियों ने चालक दल को स्टैंडिंग ओडिशन दिया। “एक छोटी लड़की मेरे पास आई और बोली, ‘मैं तुम्हारे जैसा हघ बनना चाहती हूं!’ और मैंने उसे वही बताया जो पापा ने मुझसे कहा था, ‘आसमान की सीमा है!'”

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लावारिस लाशों के मसीहा समाज के लिए सब्र, सहयोग, हिम्मत और इंसानियत का जीता जागता उदाहरण है।

सैकड़ों कार्टन बॉक्स के साथ यात्रा की थी

Laxmi Joshi pilot

उसके बाद, Laxmi Joshi pilot ने एक महीने में तीन बचाव उड़ानें भरीं। उड़ानें काफी लंबी थीं, और सूट पहनने से यह कठिन हो गया था, लेकिन वह कहती हैं कि फंसे भारतीयों के विचार ने उन्हें आगे बढ़ाया्। उसने कहा, “एक बार, मैंने भारत में चिकित्सा सहायता लाने के लिए भी उड़ान भरी थी। वह सबसे अजीब उड़ान थी – यात्रियों के बजाय, हमने सैकड़ों कार्टन बॉक्स के साथ यात्रा की थी।”


अब महामारी का तीसरा साल है, लक्ष्मी कहती हैं कि वंदे भारत मिशन अभी भी बहुत ही एक्टिव है। लक्ष्मी जल्द ही नेवार्क में फंसे भारतीयों को घर लाने के लिए रवाना होंगी। लक्ष्मी की इस देश सेवा पर उनके माता-पिता को उन पर गर्व है। वे लक्ष्मी को आगे बढ़ाने के लिए सपोर्ट करते हैं।

युजर्स ने भी की सराहना

लक्ष्मी के पोस्ट के कमेंट सेक्शन में एक शख्स ने लिखा है, “निश्चित रूप से एक महान कहानी! उड़ते और बढ़ते रहो! आपके लिए बहुत सम्मान!”
वहीं दूसरे ने कहा, “ऐसे समय में भी आपकी निस्वार्थ सेवा के लिए धन्यवाद, जब हर कोई भय और शोक में जकड़ा हुआ था..आप एक प्रेरणा हैं।”

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