Kiwi Farming: भारत में एक ऐसा फल है। जिसको लोग डेंगू में इलाज के लिए कारगर मानते हैं। उसका नाम है कीवी। छोटा सा है, स्वाद में थोड़ा सा खट्टा लगता है एवं किलो के बजाय प्रति पीस में मिलता है। फिलहाल सबसे अधिक खपत बड़े शहरों में है। लेकिन धीरे-धीरे छोटे शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसकी डिमांड बढ़ रही है। कीवी में इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का प्राकृतिक एवं आश्चर्यजनक गुण है।
इसलिए यह दूसरे फलों से अधिक खास है। वैसे तो ये न्यूजीलैंड का फल है। लेकिन जितनी तेजी से भारत में डिमांड बढ़ रही है। उतनी ही तेजी से किसानों के पास इसकी खेती में उतरने का मौका है। ऐसे में Kiwi Farming के जरिए किसानों के पास भी आमदनी बढ़ाने का अच्छा अवसर हो सकता है।
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Kiwi Farming कैसे होती है। इसके लिए उत्तराखंड के किसान और उद्यान पंडित कुंदन सिंह पंवार ने बताया कि सबसे पहले 1960 में कीवी बेंगलुरु शहर में उगाया जाता था। लेकिन उचित मौसम ना मिलने की वजह से कामयाबी नहीं मिली। दिल्ली से सटे गुड़गांव में भी वर्ष 2000 में कीवी उगाने की कोशिश हुई। लेकिन सफलता नहीं मिली। उन्होंने बताया कि इसके लिए पहाड़ी क्षेत्र उचित होते हैं। लेकिन वैसे जहां सामान्य तौर पर तापमान 30 डिग्री से ऊपर नहीं जाता। इसलिए केरल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, नॉर्थ ईस्ट आदि राज्य अधिक उपयोगी है। अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में पानी की कमी होती है एवं उत्पादन अच्छा नहीं होता।
उद्यान पंडित कुंदन सिंह ने यह बताया कि कीवी का पत्ता बड़ा होता है एवं इसका पैदावार बिल्कुल अंगूर की तरह होता है। पौधे लगाने के बाद से नीचे स्टैंड बनाना पड़ता है एवं ड्रिप सिस्टम भी लगाना पड़ता है। हालांकि किसानों को कीवी की फसल से गर्मी एवं सर्दी यानी कुल 2 बार पैदावार मिल सकती है। कुंदन सिंह ने बताया कि पौधा लगाने के पहले 2 से 3 साल कुछ नहीं मिलता। अमूमन 5 वर्ष का पौधा होने पर फ्रूट आना शुरू होता है।
10 वर्ष के बाद किसानों को एक पेड़ से औसतन 50 किलो फल मिल सकते हैं। चूंकि इन 50 किलो में भी पूरे फल सही नहीं होते। कुछ खराब भी होते हैं। दूसरे फसलों की तरह ही कीवी की कई तरह की प्रजातियां हैं जिसमें पैदावार विभिन्न हो सकती हैं।
आमतौर पर अगर कीवी खरीदते समय आप दुकानदार से पूछ ले कि यह कहां का है। तो जवाब मिलेगा न्यूजीलैंड से इंपोर्ट किया गया है। हालांकि कुंदन सिंह कहते हैं कि बीते कुछ सालों में भारत में कीवी की खेती तेजी से बढ़ रही है। चूंकि दूसरी फलों की तरह यहां अभी भी कीवी की डिमांड नहीं है। लेकिन फिर भी बड़े शहरों से छोटे तक, जो कीवी मिल रहा है।
वह भारत में ही पैदा किया गया है। कीवी पर निर्यात की निर्भरता काफी कम हो गई है। अधिकतम खेती अरुणाचल की लोअर, सोनवरी क्षेत्रों में होती है। जबकि उत्तराखंड के रानीखेत, पिथौरागढ़, चमौली आदि जगहों पर कीवी की अच्छी खासी खेती हो रही है।
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हालांकि कीवी की डिमांड देश में बढ़ रही है। इसलिए सरकार किसानों के लिए विभिन्न जिलों में विभिन्न अनुदान देती है। ऐसे में अगर कोई किसान ऐसे क्षेत्रों से ताल्लुक रखता है। जहां की जलवायु कीवी उगाने के लिए उपयुक्त है तो आप भी कीवी की खेती से अच्छी खासी आमदनी कर सकते हैं। इसके साथ ही अपने जिले की कृषि कार्यालय जाकर अनुदान के लिए भी Apply कर सकते हैं।
Kiwi Farming, Kiwi फल में नर और मादा दोनों होते हैं। नर किस्मों में एलीसन, तमूरी, मुतवा प्रमुख है। जबकि मादा किस्मों में एलिसन ब्रूनो, मोटी और हैवर्ड आदि प्रमुख है। न्यूजीलैंड में जो सबसे अधिक पैदावार होती है वह हैवर्ड कीवी की होती है। कीवी के फल की एक और खास बात यह है कि यह जल्दी खराब नहीं होता। सर्दियों के मौसम में तो इसे 4 महीने तक भी रखा जा सकता है। आप भी अगर कीवी की खेती करना चाहते हैं तो राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से अधिक जानकारी ले सकते हैं।