kisan andolan update
किसान आंदोलन के 51 वे दिन मैं नौवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। किसान संगठन के नेता राकेश टिकैत ने साफ किया है कि सरकार तारीख पे तारीख देती रहे वह बातचीत करते रहेंगे लेकिन उससे आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा जब तक कानून वापसी नहीं होता। सरकार ने 19 जनवरी को बातचीत करने की बात कही है। लेकिन सवाल यह है कि किसानों का तो इस कानून से नुकसान होगा तो वह है कानून वापसी पर अड़े हुए हैं लेकिन सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है की इस कानून को वापस नहीं ले सकती। किसानों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी से बातचीत करने से मना किया है। किसान संगठन के नेताओं ने साफ किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से बात नहीं करेंगे वह सरकार से बात करेंगे और कानून वापसी करवाएंगे। 26 जनवरी की परेड रैली के लिए किसानों की तैयारियां जोरों पर हैं कई जेसीबी और ट्रैक्टर ट्रॉली दिल्ली की तरफ कूच कर गई हैं।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि आज की बातचीत सौहार्दपूर्ण हुई है हमने कृषि कानून और एमएसपी पर बात की है लेकिन बातचीत निर्णायक नहीं हो पाई है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि यदि किसान संगठन अपना एक अनौपचारिक समूह बनाकर कृषि कानून की आपत्तियों का मसौदा दे तो सरकार खुले मन से बातचीत करने के लिए तैयार हैं। कृषि मंत्री ने साफ किया है कि वह अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के समक्ष रखेंगे।
सवाल यह है कि कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है तो किसान इस काले कानून की वापसी पर अड़े हुए हैं। सरकार ने कहा है जी किसान बातचीत करें तो हम कृषि कानून में जो खामियां हैं उनमें संशोधन करेंगे। इसका अर्थ है कि कृषि कानून में बहुत सी खामियां हैं जिससे किसान कानून वापसी पर अडे हुए हैं। लेकिन सरकार अपने कदम पीछे क्यों नहीं ले रही क्या मजबूरी है सरकार की जो इस कानून को लागू करने के लिए तुली हुई है जिसमें इतने सारे संशोधन करने की बात खुद सरकार ने स्वीकार की है।
किसान संगठन के नेताओं ने साफ किया है कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं। सरकार ने साफ किया है कि कानून वापस नहीं होंगे और आप इसमें खामियां बताइए तो हम संशोधन कर देंगे।
सवाल यह है कि किसानों का हित कृषि कानून में नहीं है तो वह अपने अधिकार के लिए आंदोलन कर रहे हैं और जिद पर अड़े हैं। और सरकार भी अपने कदम पीछे नहीं ले रही है। तो तारीख पर तारीख देकर विज्ञान भवन में सरकार बार-बार क्या बातचीत करती है। सरकार सचमुच इस आंदोलन का और किसानों की समस्याओं का कोई हल निकालना चाहती है या फिर बातचीत करने का केवल ऊपरी दिखावा करना चाहती है कि हम किसानों से बातचीत कर रहे हैं ।