Arif Mohammad Khan: गोरखपुर के एक प्रोग्राम में भाग लेने आए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भारत की पहली पुस्तक को वेद बताया उन्होंने कहा कि भारत में वेद के बाद ही दूसरे पुस्तकों की शुरुआत हुई । उन्होंने यह भी कहा कि आदि काल से ही चली आ रही हमारी विविधता का मतलब सब के अस्तित्व को स्वीकार करना रहा है।
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केरल के राज्यपाल Arif Mohammad Khan ने कहा कि भारत की सभ्यता और संस्कृति ज्ञान बढ़ाने के लिए जानी जाती है यही वजह था कि भारत पहले विश्व गुरु रहा भारत में विविधता को स्वीकार ही नहीं किया जाता बल्कि उसका सम्मान भी किया जाता है। भारतीय धर्मों में सभी अन्य धर्मों का सम्मान करने का भी प्रावधान बताया गया है।
स्वर्गीय नागेंद्र सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोले केरल के राज्यपाल। उन्होंने कहा की भारत राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का स्रोत है। भारत की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है और इस परंपरा में विविधता की कल्पना का मतलब सहअस्तित्व को स्वीकार करना है।
विविधता का स्वीकार्य भारत की एकता को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण साधन है जो समाज विविधता और अलग-अलग विचारों को प्रकट करने की इजाजत नहीं देते वह समाज आधुनिकता और प्रगति के मामले में पीछे रह जाते हैं। वहां विज्ञान व आर्थिक विकास के लिए कोई रिक्त स्थान नहीं रह जाता। उन्हें विश्व की पांच संस्कृतियों के बारे में बताया जिसमें रोम के संस्कृति, ईरान की संस्कृति चीन की संस्कृति, शामिल है और इन सारे संस्कृतियों का अपना अपना नजरिया है
उन्होंने वेद के ऊपर बोलते हुए कहा कि हमारे भारत की प्रथम पुस्तक वेद है। वेद के बाद ही दूसरे अन्य पुस्तकों की शुरुआत हुई तब दुनिया में अलग-अलग धर्म यानी यहूदी, ईसाई, इस्लाम, आदि धर्म नहीं थे। अगर हम बात करें इस्लाम की यह तो 1400 साल पहले आया है। अगर हमें एकता को बरकरार रखना है तो विविधताओं को नकारना नहीं होगा । उन्होंने इकबाल की शायरी “कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी दौरे रहा है दुश्मन जमाना हमारा “से अपने व्याख्यान की शुरुआत की
भारत की संस्कृति के ऊपर तंज कसते हुए उन्होंने कहा अब वह संस्कृति पहले की तरह नहीं रही और उन्होंने भारत के कुछ महापुरुषों का नाम भी लिया जिन्होंने हमारे भारतीय परंपरा को अग्रसर करने के लिए कार्य किया जिनमें रविंद्र नाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद जैसे लोगों का नाम शामिल है।उन्होंने नागेंद्र सिंह को याद करते हुए कहा कि उनसे बहुत कुछ हमें अपने जीवन में सीखने को मिलता है।
Arif Mohammad Khan, वहीं उपस्थित शिव प्रताप शुक्ला ने अध्यक्षता करते हुए देश की भाषा वेशभूषा और राष्ट्रीय एकता के ऊपर कहा कि जहां भी हमारे राष्ट्रीय एकता की बात आती है सभी लोग एक हो जाते हैं। और भारत की यही एक खास विशेषता है कि विभिन्नता में भी हमारे वहां एकता देखने को मिल सकती है। आजादी के दौर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में हिंदू मुस्लिम सब ने फांसी के फंदे को झूमते हुए देश के लिए शहीद हुए । यहां पर कोई विशेष जाति या धर्म की लड़ाई नहीं थी बल्कि सब ने एकजुट होकर भारत की अखंडता को समर्थन दिया था।
देश में अलग अलग भाषा, अलग अलग खानपान, अलग अलग भौगोलिक विविधता के बाद भी हमारे देश की संस्कृति और परंपरा मैं अखंड एकता झलकती है। हमारे देश में अगर कबीर दास गोरखनाथ हुए हैं, तो वहीं रहीम और रसखान भी अपनी कविताओं से भारतीय धर्म को सुशोभित करते रहे हैं। स्वर्गीय नागेंद्र सिंह को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उनमें स्वतंत्रता सेनानी के गूढ़ ही नही बल्कि समाजसेवी और भी उनके कई मानवीय गुण प्रदर्शित होते थे।
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राज्यपाल Arif Mohammad Khan ने समाजसेवा के लिए शरीफ अहमद , साहित्य के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए रविंद्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई, वकालत के क्षेत्र में रणंजय सिंह एडवोकेट, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्र में डा.एससी श्रीवास्तव, क्रीडा के क्षेत्र में राम आश्रय यादव, राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय श्यामजी त्रिपाठी तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में सहरहनीय कार्य के लिए आरपी सिंह को स्मृति चिह्न तथा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
राज्यपाल सुबह करीब साढ़े नौ बजे पूर्व विधायक स्व.रवींद्र सिंह के टाउनहाल स्थित आवास पर पहुंचे। स्व.रवींद्र सिंह और आरिफ मोहम्मद खान एक ही वर्ष 1977 में विधायक बने थे। दोनों में अच्छी मित्रता थी। उन दिनों की यादें उनके घर वालों से साझा। राज्यपाल को उस दौर का दोनों नेताओं के संयुक्त फोटो का पोट्रेट बनाकर भेंट किया गया। पोट्रेट देखकर राज्यपाल भावुक हो गए। इस मौके पर स्व.रवींद्र सिंह की पत्नी व पूर्व विधायक गौरी देवी, धीरज सिंह हरीश, मनीष सिंह पूर्व पार्षद, आदित्य प्रताप सिंह, शीतल पांडेय तथा पूर्व विधायक, निर्मल सिंह, विश्वकर्मा द्विवेदी भी उपस्थित रहे।