Jaishankar on Ukraine Student: रूस यूक्रेन युद्ध लगातार जारी है, जिसमें अब तक सैकड़ों नागरिकों ने अपनी जान गवा दी है, इसमें एक भारतीय छात्र नवीन भी शामिल था। ऐसे में भारत सरकार के पास अपने नागरिकों को छात्रों को सकुशल निकालना एक बड़ा टेस्ट था। बता दे, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा, कि यूक्रेन के विश्वविद्यालय भारतीय छात्रों को भारत में लौटने के लिए पुरजोर तरीके से मना कर रहे थे। इतना ही नहीं हमारी कोशिशों के बाद भी बड़ी संख्या में छात्रों ने यूक्रेन में ही रुकने का फैसला किया।
हालांकि अभी तक लगभग सभी छात्रों को यूक्रेन से निकाल लिया गया है। सरकार ने यूक्रेन में फंसे नागरिकों को निकालने के लिए चार केंद्रीय मंत्रियों को भी भेजा था। ताकि नागरिक तनावग्रस्त या अकेला लाचार ना महसूस कर पाए, और उन्हें आसानी से निकाला जा सके।
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विदेश मंत्री एस जयशंकर के मुताबिक अब तक युद्ध ग्रस्त यूक्रेन से ऑपरेशन गंगा के तहत 22500 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया जा चुका है। जो कि सुरक्षित निकालना आसान नहीं था, सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बड़ी संख्या में छात्रों ने वहीं रुकने का फैसला किया था।
आपको बता दें, एस जयशंकर ने कहा कि हमें शिक्षा को लेकर छात्रों की स्थिति को समझना होगा पढ़ाई का दर्जा और शिक्षण संस्थानों को नहीं छोड़ने का फैसला स्वभाविक था। यूनिवर्सिटी में छात्रों को भरपूर हतोत्साहित किया और वह ऑनलाइन क्लास लेने के इच्छुक नहीं थी। जिसके कारण छात्र भ्रम की स्थिति में थे।
जय शंकर जी ने कहा युद्ध शुरू होने से पहले सेना की वापसी की अटकलें और युद्ध के खतरे पर भ्रम की स्थिति थी। परिणाम, यह हुआ कि करीब 18000 विद्यार्थी युद्ध के बीच में फस गए। इस समय छात्रों ने जो उचित समझा वही किया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत को युद्ध के बारे में पहले से ही आभास हो गया था। जिसके बाद यूके निश्चित भारतीय दूतावास ने जनवरी में ही भारतीय नागरिकों का पंजीकरण शुरू कर दिया था। परिणाम स्वरुप भारतीय दूतावास में 20000 नागरिकों का पंजीकरण किया इसमें करीब 4000 छात्रों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से फ्लाइट के जरिए यूक्रेन छोड़ दिया।
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जयशंकर ने राज्यसभा में बताया कि युद्ध ग्रस्त यूक्रेन से भारत की सरकार ने भारतीयों सहित विदेशी नागरिकों को भी निकाला है। भारत के वसुदेव कुटुंबकम के सिद्धांत के तहत युद्ध ग्रस्त जैसे विदेशी नागरिकों को भी सुरक्षित निकाला गया। इसमें 18 देशों के 147 नागरिक शामिल हैं। इतना ही नहीं कई योगियों को भी भारत लाया गया है।