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मुंबई के मौलवी को सलाम, ट्रेन में मारे गए जयपुर के पीड़ित के परिवार को लिया गोद

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Jaipur Mumbai Train Firing: बीते हफ्ते पहले 31 जुलाई को ट्रेन में हुई फायरिंग में मारे गए मूल बिहार के असगर अली के परिवार को मुंबई के मौलाना सज्जाद नोमानी साहब (Maulana Sajjad Nomani) ने गोद लिया है। मौलाना सज्जाद साहब कहते हैं कि मेरी संवेदनाएं तो सभी के साथ है लेकिन असगर का परिवार काफी गरीब परिवार है। यही वजह है कि मैंने उनके परिवार के खर्चो का वाहन करने का फैसला किया है।

कौन थे असगर अब्बास अली

Who was Asghar Abbas Ali (Jaipur Mumbai Train Firing)

बीते एक हफ्ते पहले सीआरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह ने जयपुर-मुंबई सेंट्रल सुपरफास्ट एक्सप्रेस में अपने सीनियर और तीन यात्रियों की गोली मारकर हत्या की थी। मरने वालों में 48 वर्षीय असगर अब्बास अली (Who was Asghar Abbas Ali) भी थे। मुंबई के (Mumbai News) मौलाना खलीलुर रहमान सज्जाद नोमानी ( Maulana Khalil Sajjad Nomani adopts family of RPF killer’s Jaipur victim) ने पीड़ित असगर अब्बास अली के परिवार को गोद लिया है। स्वर्गीय असगर अब्बास अली मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले के निवासी थे जो चूड़ी बेचने का काम करते थे। अली अपनी पत्नी, तीन बेटियों और दो बेटों के साथ जयपुर में रहते थे।

असगर अब्बास अली के भाई सनाउल्लाह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि असगर पिछले 1 साल से जयपुर में ही रहकर चूड़ी बेचने का काम किया करते थे। साथ ही उन्होंने कहा कि बहुत ही कम आमदनी में वह अपने घर का निर्वाह करते थे। उनके बच्चों की उम्र 3 साल से लेकर 14 साल के दरमियान है। वही असगर के परिवार में उनकी मां दूसरे चार भाई और एक बहन भी है।

Jaipur Mumbai Train Firing, एक भाई नागपुर में मिस्त्री के तौर पर काम करता है वही दूसरा दिल्ली में राशन की दुकान में काम करता है। दूसरे दो भाई भी छोटे-मोटे काम कर रहे हैं। असगर की मौत के बाद परिवार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि अब परिवार की जिम्मेदारी को कौन संभालेगा।

इस सिलसिले में मुंबई जा रहे थे असगर – Jaipur Mumbai Train Firing

दरअसल असगर काफी गरीब परिवार से थे। घर के खर्चों का वहन वह जैसे तैसे कर रहे थे। असगर अब्बास अली को मुंबई के एक मस्जिद में काम करने को लेकर कुछ बात हुई थी। इसी सिलसिले में असगर जयपुर से मुंबई (Jaipur Mumbai Superfast Express Firing) जा रहे थे। बताया जा रहा है कि असगर अगर मुंबई नहीं जाते तो उनकी जान नहीं जाती लेकिन शायद असगर की किस्मत में यही लिखा था।

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परिवार में अकेले कमाने वाला थे मरहूम असगर

मौलाना सज्जाद नोमानी साहब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Member All India Muslim Personal Law Board) के प्रवक्ता है। उन्होंने जयपुर सुपरफास्ट ट्रेन में हुए हादसे पर अफसोस का इजहार करते हुए कहां कि,

“चलती ट्रेन में चार मासूम की मौत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस घटना से मैं काफी दुखी हूं। हालांकि में ट्रेन में मारे गए चारों पीड़ितों के परिवार के दुख को शेयर करता हूं लेकिन मैंने असगर अली के परिवार को गोद लेने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि इन सभी में अजगर का परिवार काफी गरीब है और वह अपने परिवार में अकेला कमाने वाला व्यक्ति था।”

शुरुआती मदद के तौर पर भेजा 50,000 रुपये का चेक

मौलाना साहब ने शुरुआत की मदद के तौर पर ही परिवार को 50,000 रुपये का चेक दे दिया है। साथ ही उन्होंने ऐलान किया है कि जब तक परिवार को आमदनी का कोई भी स्त्रोत नहीं मिल जाता तब तक वह मरहूम असगर अली अब्बास की पत्नी और बच्चों की शैक्षिक और अन्य जरूरतों क्या अभी पूरे पूरा ख्याल रखेंगे। उन्होंने सोमवार को अपनी बेटी और दामाद को भी मरहूम असगर की पत्नी और बच्चों से मिलने के लिए भेजा था।

Jaipur Mumbai Train Firing, नोमानी साहब (Maulana Khalil Ur Rahman Sajjad Nomani DB) ने आगे यह भी कहा कि उन्होंने असगर के परिवार को जयपुर या बिहार में अपने पैतृक गांव में रहने का ऑप्शन दिया है। उन्हें जहां भी सुविधाजनक लगेगा वह उनका समर्थन करते रहेंगे।

मुस्लिम समुदाय से मौलाना साहब को मिली प्रशंसा

Maulana Khalil Sajjad Nomani adopts family of RPF killer’s Jaipur victim (Jaipur Mumbai Train Firing)

Jaipur Mumbai Train Firing, मौलाना खलीलुर रहमान सज्जाद नोमानी के इस कदम से उन्हें मुस्लिम समुदाय में प्रशंसा मिली है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सभी सदस्यों ने उनकी मदद की खबरें सोशल नेटवर्क पर व्यापक रूप से शेयर की हैं और मौलाना ( Maulana Sajjad Nomani adopts family of RPF killer’s Jaipur victim) की प्रशंसा की है। वहीं मौलाना सज्जाद साहब की प्रशंसा करते हुए कांग्रेस सदस्य और कोर्ट सदस्य ने कहा,

“मैं जानता हूं कि मौलाना सज्जाद नोमानी काफी लंबे समय से धर्मार्थ कार्य करते आ रहे हैं, लेकिन ट्रेन हादसे में मारे गए असगर के परिवार को गोद लेने से पहले से ही अन्य लोगों को परिवार तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित भी किया गया है। इससे एक बहुत ही अच्छा और सकारात्मक मेसेज गया है।

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