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Hyundai: क्या आप जानते हैं कि जिस हुंडई (Hyundai) का नाम आज पूरी दुनिया में गूंजता है, उसकी शुरुआत एक गरीब किसान के बेटे ने की थी? यह कहानी है दक्षिण कोरिया के चुंग जू-युंग की, जिनकी मेहनत और संघर्ष ने हुंडई (Hyundai) को दुनिया की तीसरी और भारत की दूसरी सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी बना दिया।
चुंग जू-युंग का जन्म 1915 में उत्तर कोरिया के एक छोटे से गांव में हुआ था। वह सात भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनके पिता चाहते थे कि चुंग खेती करें, लेकिन उनका मन खेतों में नहीं लगता था। शिक्षक बनने का सपना देखने वाले चुंग के पास पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। कई बार घर से भागने और वापस लाए जाने के बाद आखिरकार उन्होंने अपनी नियति खुद लिखने का फैसला किया।
साल 1934 में 16 साल की उम्र में चुंग दक्षिण कोरिया पहुंचे। यहां उन्होंने चावल की एक दुकान में डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी की। उनकी ईमानदारी और मेहनत ने उन्हें जल्द ही मैनेजर बना दिया। किस्मत ने साथ दिया, और कुछ ही समय बाद दुकान के मालिक ने बीमार पड़ने पर पूरी दुकान उनके हवाले कर दी।
लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी। 1939 में जापानियों ने उनकी दुकान बंद करवा दी। इसके बाद चुंग ने एक ऑटो मरम्मत की दुकान खोली, लेकिन यह भी 1943 में जापानियों के हाथों बंद हो गई।
1945 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद हालात बदलने लगे। 1946 में चुंग ने हुंडई इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी की स्थापना की। लेकिन उनकी चुनौतियां यहीं खत्म नहीं हुईं। 1950 में उत्तर कोरिया के हमले के कारण उन्हें अपना कारोबार छोड़कर बुसान भागना पड़ा।
युद्ध के बाद चुंग ने फिर से अपनी कंपनी खड़ी की। उन्हें अमेरिकी सेना और कोरियाई सरकार से बड़े-बड़े कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स मिलने लगे। इसी दौरान उन्होंने महसूस किया कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में अपार संभावनाएं हैं।
चुंग का सपना था मिडिल क्लास परिवारों के लिए किफायती कार बनाना। करीब 8 साल की मेहनत के बाद 1975 में हुंडई पॉनी लॉन्च हुई। यह न केवल सस्ती थी, बल्कि डिजाइन और परफॉर्मेंस में भी शानदार थी। पॉनी की सफलता ने हुंडई को दक्षिण कोरिया का ऑटोमोबाइल किंग बना दिया।
1982 में कंपनी ने ब्रिटिश बाजार में कदम रखा, और पहले ही साल में 3,000 से ज्यादा कारें बेचीं। 1986 में अमेरिका में लॉन्च हुई हुंडई एक्सेल ने पहले साल में 1,70,000 यूनिट्स की बिक्री कर सबको हैरान कर दिया।
आज हुंडई टोयोटा और वोक्सवैगन के बाद प्रोडक्शन के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कार कंपनी है। यह 193 देशों में कारोबार करती है और भारत में मारुति सुजुकी के बाद दूसरी सबसे बड़ी ऑटो कंपनी है। पिछले साल, भारत में हुंडई ने 8 लाख से ज्यादा कारें बेचीं।
2001 में चुंग जू-युंग का निधन हो गया, लेकिन तब तक वह हुंडई को वैश्विक मंच पर स्थापित कर चुके थे। उनकी कहानी दिखाती है कि कठिनाइयों से भागने के बजाय अगर उनका सामना किया जाए, तो सफलता को कोई नहीं रोक सकता।
चुंग जू-युंग की यह कहानी न सिर्फ प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का जज्बा हो, तो असंभव कुछ भी नहीं।
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