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“मुगलों के 200 साल के इतिहास को खारिज करना नामुमकिन” – प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब

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NCERT Syllabus Change: हिस्टोरियन प्रोफेसर इरफान हबीब (Historian Irfan Habib) ने NCERT (NCERT Syllabus Change) के नए सिलेबस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी है। उन्होंने कहा कि यदि आने वाली पीढ़ी को मुगल पीरियड इतिहास नहीं पढ़ाया जाएगा तो 200 सालों के इतिहास के बारे में लोगों की जानकारी पूरी तरह शून्य हो जाएगी। साथ ही उन्‍होंने कहा कि अगर मुगलों का इतिहास भी नहीं रहेगा तो फिर ताज महल राजस्थान भी नहीं होगा।

मुगलों के इतिहास को हटाना देश के भविष्य के लिए घातक

NCERT Syllabus Change

NCERT और यूपी बोर्ड की किताबों से मुगलों का इतिहास हटाए जाने के सवाल पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Aligarh Muslim University) के एमेरिट्सस व मेडाइवल पीरियड के हिस्टोरियन प्रोफेसर इरफान हबीब ने अपनी प्रतिक्रियाएं देते हुए मुगलों के 200 साल के इतिहास को खारिज करना नामुमकिन करार दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि मुगलों के इतिहास को किताबों से हटा देना देश के भविष्य के लिए घातक साबित हो सकता है।

हिंदुस्तान की संस्कृति को किताबों से बाहर निकाल रहे हम

साथ ही प्रोफ़ेसर ने यह भी कहा कि,

“एनसीईआरटी और यूपी बोर्ड की किताबों (NCERT Syllabus Change) से इतिहास को मिटा देने का सीधा अर्थ यह होता है कि हम ताजमहल को भी खारिज कर रहे हैं। जब किताबों में मुगलों का इतिहास ही मौजूद नहीं होगा तो फिर ताजमहल भी नहीं होगा। हम किताबों से मुगलों के इतिहास को नहीं निकाल रहे हैं बल्कि हिंदुस्तान की संस्कृति के एक बहुत बड़े हिस्से को निकाल देंगे। मुगल तो बाहर से तो आए थे लेकिन वह हिंदुस्तान में ही आबाद होकर रह गए उन्होंने हमारे देश की दौलत या फिर रुपया कहीं बाहर नहीं भेजा था।

उन्होंने शादी की और यहीं पर हिंदुस्तानी होकर रह गए। जहांगीर – शाहजहां की मां भी एक हिंदुस्तानी ही थी और अब यह कहना बिल्कुल ही गलत है कि मुगल बाहर से आए हुए थे। कोई आखिर कैसे कह सकता है कि मुगलों ने भारत को लूट लिया है और दौलत बाहर भेज दी हो।”

आम जनता को नुकसान

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यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने भी बीए के लिए एक सिलेबस तैयार किया है। सिलेबस अकबर को बिल्कुल ही हटा दिया गया है। यह जो बातें हो रही है कि इतिहास बन चुका है अब हम उसे मिटा नहीं सकते हैं। आप उसे विद्यार्थियों को मत पढ़ाइए लेकिन इसका बहुत बड़ा नुकसान आखिर कर आम जनता को ही होने वाला है।

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प्रोफेसर इरफान हबीब (Historian Irfan Habib) ने सटीक उदाहरण देते हुए कहा कि,

” दुनिया भर से लोग ताजमहल को देखने आते हैं और जब बाहर से आने वाले लोग ताजमहल के बारे में पूछेंगे तो क्या हम यह जवाब देंगे कि हम ताज महल के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यूजीसी का कहना है कि हम आर्य हैं , लेकिन आर्य में खास बात क्या है। इसको लेकर उत्तर – दक्षिण में आपस में झगड़े होते ही रहते है। उसी के असर से ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुगलों का इतिहास निकाल देने की बात कही होगी।”

कौन है इतिहासकार इरफान हबीब

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प्रो. इतिहासकार इरफान हबीब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) में प्रोफेसर एमेरिटस हैं। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. 90 साल के इतिहासकार इरफान हबीब (Historian Irfan Habib) दुनिया के यूनिवर्सिटीज में लेक्चर देने के लिए बुलाए जाते हैं। इरफान हबीब मध्यकालीन इतिहास के बहुत ही बड़े जानकार हैं और उनको बिना पढ़े मध्यकालीन इतिहास का सिलेबस पूरा कर पाना नामुमकिन है।

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