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Jalgaon Mosque: जलगांव मस्जिद में नमाज बैन वाले डीएम के आदेश पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने लगाई रोक, इस दिन होगी अगली सुनवाई

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Jalgaon Mosque: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने जलगांव के एरंडोल तालुका में एक मस्जिद में लोगों को नमाज पर रोक वाले जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के आदेश पर दो सप्ताह के लिए रोक लगाते हुए दो सप्ताह के बाद होने वाली अगली सुनवाई तक धार्मिक प्रार्थनाएं जारी रखने की अनुमति दी थी।

बिना संतुष्टि के पारित किया गया आदेश

इस मामले (Jalgaon Masjid Muslisms Entry Ban) में महाराष्ट्र के औरंगाबाद पीठ के जस्टिस आरएम जोशी ने पाया कि प्रथम दृष्टि से डीएम ने इस बात से संतुष्ट हुए बिना ही आदेश पारित कर दिया कि शांति भंग होने की संभावना है और मस्जिद की चाबीयों को जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट समिति को सौंपने का आदेश दिया, जो कि Jalgaon Mosque का रखरखाव कर रही है।

अदालत ने कहा,


“आक्षेपित आदेश के प्रथम दृष्टया अवलोकन से मालूम हो जाता है कि प्राधिकरण के संतुष्टि के बारे में कोई निष्कर्ष दर्ज नहीं है कि कथित विवाद के कारण शांति भंग होने की संभावनाएं है। इस बात में कोई शक नहीं है कि जिला मजिस्ट्रेट को भी सीआरपीसी की धारा 144 शक्तियां प्रदान करती है। लेकिन, स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करना, सार्वजनिक शांति या अमन-चैन में खलल होने की संभावना का अस्तित्व ऐसी शक्ति ग्रहण करने के लिए अनिवार्य है। इस अदालत की प्रथम दृष्टया राय यह है कि ऐसे निष्कर्षों को दर्ज न करना, विवादित आदेश को कमजोर बना देता है और कानून में भी यह टिकाऊ नहीं है।”

आखिर क्या है मामला

Jalgaon Mosque

मई महीने में एरनाडोल तालुका में पांडव संघर्ष समिति (Jalgaon Mosque) ने कलेक्टर के पास शिकायत दर्ज कराते हुए दावा किया कि मस्जिद की बनावट मंदिर जैसी प्रतीत होती है इसलिए मुस्लिम समुदाय का कब्जा खाली करवाया जाएं। वहीं समिति ने मस्जिद के ढांचे को गैरकानूनी बताते हुए इसे गिराने और यहां चलाए जा रहे मदरसे को बंद करने की मांग भी की थी।

Jalgaon Mosque ट्रस्ट के पास है 1861 के दस्तावेज

Jalgaon Mosque के रखरखाव के लिए जिम्मेदार ट्रस्ट ने कहा है कि उसके पास कम से कम 1861 से संरचना के अस्तित्व को साबित करने वाले रिकॉर्ड हैं।

याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने दावा किया है कि शिकायत के आधार पर उसे नोटिस जारी करते हुए 27 जून को सुनवाई निर्धारित की गई थी। हालांकि, बीएम व्यस्त होने के कारण सुनवाई नहीं हुई थी। और उस बाद डीएम ने 11 जुलाई को सीआरपी की धारा 144 और 145 के तहत अंतरिम निरोधक आदेश जारी करते हुए तहसीलदार को मस्जिद का प्रभार लेने का आदेश दे दिया था। ऐसे में याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने इस आदेश के विरोध में हाईकोर्ट का रुख किया था।

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अदालत ने खारिज की आपत्ति

जस्टिस आरजी अवचट और जस्टिस एसए देशमुख की खंडपीठ ने 13 जुलाई को कहा था कि एकल-न्यायाधीश पीठ इस मामले को संभालेगी क्योंकि यह आदेश सीआरपीसी के तहत जिला मजिस्ट्रेट के अर्ध-न्यायिक प्राधिकारी द्वारा पारित किया गया था।
वहीं इस याचिका का विरोध करने वाले अधिकारियों ने यह तर्क दिया कि कलेक्टर का आदेश अंतरिम था और अंतिम नहीं था, और अंतिम निर्णय जारी करने से पहले विस्तृत सुनवाई निर्धारित की गई थी।
अदालत द्वारा वैकल्पिक उपाय के अस्तित्व के आधार पर याचिका की विचारणीयता के खिलाफ अधिकारियों द्वारा उठाई गई आपत्ति को खारिज कर दिया गया।

अदालत ने कहा कि,

“प्रासंगिक प्रावधानों के अवलोकन से यह साफ नहीं होता है कि सीआरपीसी की धारा 144(1) के तहत जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित अंतरिम आदेश के विरुद्ध कोई अपील प्रदान की गई है। इस आदेश में परिवर्तन के लिए प्राधिकारी के समक्ष या राज्य सरकार के समक्ष आवेदन दायर करने के उपाय को अपील के बराबर नहीं कर सकते। इसलिए, पहली नजर में ही कोर्ट पाता है कि प्रभावकारी उपचार के अभाव में याचिका अमान्य नहीं है और याचिका की विचारणीयता के संबंध में उठाई गई आपत्ति में दम नहीं है।”

उत्तरदाताओं को अदालत का नोटिस

Jalgaon Mosque

Jalgaon Mosque, वहीं अदालत ने उत्तरदाताओं को नोटिस जारी करते हुए मामले को 1 अगस्त, 2023 को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया है।

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