General Knowledge: आपने हमेशा ही की-बोर्ड पर QWERTY पैटर्न में ही लेटर्स देखे होंगे. QWERTY पैटर्न में लेटर्स को अरेंज करने की एक खास वजह होती है. तो चलिए जानते हैं QWERTY की बजाए ABCD फॉर्मेट में की-बोर्ड पर लेटर्स क्यों नहीं होते .
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शहर से लेकर गांव तक आज के टाइम में कंप्यूटर और लैपटॉप की दुनिया काफी आगे बढ़ चुकी हैं. इनमे से ज्यादातर लोग आजकल लैपटॉप और कंप्यूटर की दुनिया से वाकिफ भी हैं. मगर क्या आपने कभी अपने कंप्यूटर या लैपटॉप के की-बोर्ड की तरफ ध्यान से देखा है? क्या आपने कभी भी सोचा है कि क्यों की-बोर्ड पर दिए गए लेटर्स हमेशा ही QWERTY पैटर्न में अरेंज होते हैं?
आज के समय में की-बोर्ड पर हम रोजाना ही टाइप कर इसका इस्तेमाल करते हैं. आपने इस बात पर कभी न कभी जरूर गौर किया होगा कि की-बोर्ड पर दिए गए सभी लेटर्स एल्फाबेटिकल ऑर्डर में नहीं दिए होते. सारे की-बोर्ड QWERTY के पैटर्न में ही आते हैं. तो चलिए आपको बताते है कि ऐसा क्यों होता है.
की-बोर्ड पर ABCD की बजाए QWERTY पैटर्न में बटन देने के पीछे की मुख्य वजह है टाइपराइटर (Typewriter). पहले के जमाने में टाइपराइटर्स पर ABCD के पैटर्न में बटन हुआ करते थे. ABCD पैटर्न की वजह से प्रोफेशनल टाइपराइटर्स बहुत ही तेजी से टाइप करते थे. सभी बटन लाइन में होने की वजह से उनकी टाइपिंग स्पीड बहुत ज्यादा हुआ करती थी. सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाले बटनों को कई बार जल्दी जल्दी दबाने की वजह से कई बटन जाम हो जाते थे. यही कारण है कि की-बोर्ड पर एल्फाबेटिकल ऑर्डर में लेटर्स नहीं होते.
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की-बोर्ड पर QWERTY पैटर्न में बटन देने की मुख्य वजह टाइपिंग स्पीड को कम यानी स्लो करने की थी ताकि की-बोर्ड पर बटन जल्दी खराब न हों. QWERTY की-बोर्ड में ज्यादातर उपयोग होने वाले लेटर्स को अलग-अलग रखा गया ताकि टाइपिंग के दौरान स्पीड में थोड़ी कमी की जा सके और की-बोर्ड को खराब होने से बचाया भी जा सके.