Bhola Paswan Shastri: भारत में किसी नेता का नाम सुनते ही जो सबसे पहले तस्वीर जेहन में उभरती है वह है झक्क सफेद कुर्ते पायजामे में नमूदार एक भ्रष्टाचारी व्यक्ति । ऐसा व्यक्ति जो सब तरह के गुण और दोषों से युक्त है । बात कुछ कड़वी है पर यही सच्चाई है । भारत जैसे राजनीति प्रधान देश मे हर गली-मुहल्ले में नेता पाए जाते हैं और इन्ही के इर्द गिर्द पाया जाता है भ्रष्टाचार। कोई राजनीति चमकाने के लिए भ्रष्टाचार करता है तो कोई राजनीति में पैठ बनाने के बाद । यही वजह है कि किसी नेता की जो छवि हमारे मन में बसी हुई है वह बहुत सम्मानजनक नहीं है ।
पर ऐसा भी नहीं है कि यह बात हर नेता पर लागू हो । भारत में ऐसे भी नेता हुए हैं जिनकी ईमानदारी की मिसालें दी जाती हैं । उन्ही में से एक हैं भोला बाबू। जी हां! बिहार के एक नहीं बल्कि तीन तीन बार मुख्यमंत्री रहे भोलाराम पासवान शास्त्री।
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हम आज कल्पना भी नहीं कर सकते कि कोई व्यक्ति एक बार नहीं बल्कि तीन तीन बार राज्य का मुख्यमंत्री रहा हो और उसका कोई ढंग का मकान न हो, गाड़ी न हो । पर बिहार के पूर्व सीएम भोलाराम पासवान जी ऐसे ही थे । यही वजह है कि आज भी उनका नाम ईमानदारी की मिसाल के तौर पर लिया जाता है । पूर्णिया के बैरगाछी में आज भी उनका घर मौजूद हैं जहां उनका परिवार रहता है । यह घर किसी अन्य नेता की भांति बंगला या तिमंजिले मकान के रूप में नहीं है बल्कि एक साधारण घर है जिसमें परिवारीजन छप्पर के नीचे रहते हैं ।
भोला बाबू के गांव के बड़े- बूढ़े याद कर बताते हैं कि सीएम रहते हुए भी कभी कभार जब भोलाराम पासवान बैरगाछी आते थे तो गांव में चार पहिया गाड़ी के न आ पाने की वजह से वह बैलगाड़ी पर बैठकर आते थे ।
सत्तर के दशक में बिहार के मुख्यमंत्री रहे Bhola Paswan Shastri गरीबी में पले बढ़े थे यही वजह थी कि वह आम आदमी और उसकी परेशानियों को महसूस कर सकते थे । शोषितों,वंचितों और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आवाज उठाने वाले भोलाराम पासवान शास्त्री के जीवन में सादगी बनी रही । यही वजह है कि वह मुख्यमंत्री या केंद्रीय मंत्री रहते हुए जब भी गांव में होते थे अक्सर मीटिंग पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर किया करते थे । वह अफसरों के साथ मीटिंग भी जमीन पर कम्बल बिछाकर बैठकर करते थे ।
बैरगाछी के पास ही के गांव में उनके एक पूर्व सरपंच मौलाना अब्दुल नामक मित्र रहते थे जिनसे उनकी खूब पटती थी । लोग उनके बारे में एक किस्सा बताते हैं कि जब भी भोलाराम पासवान शास्त्री गांव आते थे तो मौलाना अब्दुल से मिलने जरूर जाते थे । यहां वह मौलाना अब्दुल के मचान पर बैठकर बातें करते थे । सीएम बन जाने के बाद जब उनका गांव आना हुआ तब मौलाना अब्दुल ने सोचा कि भोला बाबू अब मुख्यमंत्री बन गए हैं सो उनके लिए तमाम कुर्सियां आदि की व्यवस्था कर दी पर भोलाराम जी आये तो कुर्सियों पर नहीं बल्कि उसी मचान पर जाकर बैठे।
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21 सितंबर 1914 को बैरगाछी में जन्मे Bhola Paswan Shastri ने बीएचयू(बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी) से शास्त्री की उपाधि धारण की है । यही नहीं छात्र जीवन से ही वह महात्मा गांधी जी के विचारों से प्रभावित थे और इसी वजह से उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया। गांधी जी के विचारों से ही प्रभावित होकर भोलाराम जी ने शास्त्री की डिग्री लेने के बाद भी राजनीति को चुना।
अपनी ईमानदारी और सादगी के बूते भोलाराम पासवान जी ने ख्याति अर्जित की। यही वजह है कि आज भी लोग उनके नाम की मिसाल देते नहीं थकते हैं । बिहार राज्य में राजनीति करते हुए उन्होंने ऊंचे पायदान हासिल किए । बता दें कि Bhola Paswan Shastri पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री 1968 में बने हालांकि वह इस पद पर ज्यादा दिनों तक रह नहीं सके और मात्र 3 महीने ही वह इस पद पर रहे ।
वहीं दूसरी बार वह 1969 में 13 दिन के लिए सीएम बने जबकि तीसरी बार भोलाराम पासवान ने 1971 में सीएम पद की कुर्सी संभाली और 7 महीने तक वह बिहार के सीएम रहे । बता दें कि भोलाराम पासवान शास्त्री इंदिरा सरकार में मंत्री भी रहे । वह 1973 में केंद्रीय मंत्री रहे थे । आज जबकि राजनीति और भ्रष्टाचार को एक दूसरे का पूरक माना जाता है तब ईमानदारी के लिए भोलाराम पासवान शास्त्री जैसे लोगों का नाम बरबस ही याद हो आता है ।