फेसबुक सोशल मीडिया कंपनी ने अपना नाम बदल लिया है। अब से पूरी दुनिया फेसबुक को ‘मेटा’ के नाम से जानेंगी। फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने गुरुवार को एक मीटिंग के दौरान यह ऐलान किया। हालांकि बहुत ही लंबे समय से ही फेसबुक के नाम को बदलने की चर्चाएं चल रही थी। अतः उसी प्रक्रिया को पूरा भी कर लिया गया है। तथा फेसबुक का नया नाम ‘मेटा’ भी कर दिया गया है।
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आपको यह बता दें कि मेटावर्स शब्द का प्रयोग तीन दशक पहले ही डिस्टोपियन उपन्यास में किया गया था। सिलिकॉन वैली में यह शब्द चर्चा का विषय बना हुआ है। इस शब्द का उपयोग डिजिटल दुनिया में वर्चुअल तथा इंटरएक्टिव स्पेस को समझाने के लिए किया जाता है। दरअसल मेंटावर्स एक वर्चुअल दुनिया है। जहां पर एक आदमी शारीरिक तौर पर मौजूद ना होते हुए भी मौजूद रह सकता है।
मार्क जुकरबर्ग बहुत ही लंबे समय से अपनी सोशल मीडिया कंपनी की एक बार फिर से ब्रांडिंग करना चाहते हैं। इसे वह एकदम अलग पहचान देना चाहते हैं। एक ऐसी जगह जहां पर फेसबुक को सिर्फ और सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के तौर पर ना देखा जाए। बल्कि अब उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए फेसबुक का नाम बदल कर मेटा भी किया गया है। अब कंपनी का फोकस एक मेटावर्स बनाने पर है। जिसकी वजह से एक वर्चुअल दुनिया का आगाज हो जाएगा। जहां पर ट्रांसफार्मर तथा कम्युनिकेशन के लिए अलग-अलग तो उसका भी उपयोग किया जाएगा।
वैसे तो नाम बदलने का यह बड़ा फैसला कंपनी की तरफ से उस समय उठाया गया था। फेसबुक पर जब कई गंभीर आरोप लग रहे हैं। जैसे कि कंपनी अपने यूजर्स के डाटा को भी सुरक्षित नहीं रख पा रही है। फिलहाल में जब एक फेसबुक के पूर्व कर्मचारी Frances Haugen ने कंपनी के कुछ सिगरेट डॉक्यूमेंट को लिख कर दिया था। उसमें यह सामने आया था कि फेसबुक में ही यूजर सेफ्टी के ऊपर अपने खुद के मुनाफे को भी रख दिया था। इसी मार्क ने जरूर झूठ बता दिया था। लेकिन कंपनी की भी काफी बदनामी हुई थी। ऐसे में जब अब कंपनी ने अपना नाम बदला है। तब मार्क जुकरबर्ग ने तो लोगों की निजता का खासा ही ध्यान रखा है। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि अभी आने वाले समय में ऐसे ही सेफ्टी कंट्रोल की जरूरत पड़ेगी। जिससे कि मेटा वर्ष की दुनिया में किसी भी इंसान को दूसरे स्पेस में जाने की इजाजत भी ना रहेगी।
आपको बता दें कि इस नए नाम का सुझाव फेसबुक के फार्मर सिविक्स इंटीग्रिटी चीफ समिध चक्रवर्ती की तरफ से दिया गया था। हालांकि अब मार्क ज़ुकरबर्ग पहले से ही वर्चुअल रियलिटी तथा ऑगमेंटेड रियलिटी में भारी निवेश कर रहे थे। ऐसे में उनके लिए तो अपनी कंपनी का नाम बदलकर मेटा करना कोई बड़ी बात नहीं थी। हालांकि अब इस नए नाम के जरिए वह दुनिया भर के सामने खुद को सिर्फ और सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक ही सीमित रखने वाले नहीं हैं। वैसे कंपनी ने तो अपना नाम बदल ही दिया है। लेकिन इससे लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोल दिए हैं। वैसे तो अपने आपको फेसबुक दोबारा रीब्रांड तो कर ही रहा है। इसके अलावा भी 10 हजार के लगभग नए लोगों को नौकरी पर रखने की भी वह तैयारी कर रहा है। यह सारे लोग मेटावर्स वाली दुनिया को बनाने में मदद करने वाले हैं।