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Epilepsy: एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकार है। मिर्गी से मस्तिष्क में तंत्रिका तंत्र कोशिकाओं की गतिविधि बाधित हो जाती है जिसके कारण दौरे, उत्तेजना की स्थिति असमान व्यवहार और कभी-कभी बेहोशी की स्थिति भी हो जाती है। Epilepsy पीड़ित व्यक्ति सक्रिय जीवन जीता है। Epilepsy वाले व्यक्तियों को उन स्थितियों में मिर्गी आती है जब व्यक्ति को लंबे समय तक दौरा पड़ता है। इसके आने पर दूसरी चेतना नहीं रहती है और अस्पष्टीकृत मृत्यु हो जाती हैं । दौरों के आधार पर Epilepsy का तीन प्रकार से पुष्टि की गई है –
मिर्गी रोगी के मस्तिष्क के कुछ हिस्से में गतिविधि होती है। इसमें एक सरल आंशिक दौरा है। इसमें रोगी जागरूक रहते हैं और उन्हें अपने परिवेश का भी पता रहता है। भले ही मिर्गी का दौरा क्यों ना पड़ रहा हो। और दूसरा है जटिल आंशिक दौरा -इसमें रोगी की चेतना खत्म हो जाती है। रोगी को दौरे के बाद कुछ याद नहीं रहता है।
यह दौरा तब आता जब मस्तिष्क के दोनों ओर गतिविधि होने लगती है और चेतना नहीं रहती।
जब Epilepsy संबंधी गतिविधि आंशिक दौरे के रूप में शुरू होती है और फिर मस्तिष्क के दोनों हिस्से में फैल जाती है। दौरा बढ़ जाता है और मरीज चेतना खो देता है।
Epilepsy के मुख्य लक्षण दौरे पड़ना है। अलग-अलग व्यक्तियों में मिर्गी के अलग-अलग दौरे हैं।
फोकल आंशिक दौरे- इस दौरे में व्यक्ति की चेतना पर ज्यादा असर नहीं पड़ता। इस दौरे में स्वाद, गंध देखने – सुनने की शक्ति , इंद्रियों में बदलाव , चक्कर आना और अंगों में झनझनाहट होती है।
जटिल आंशिक दौरे- इसमें चेतना नहीं रहती। इसमें Epilepsy मरीज कोई प्रतिक्रिया नहीं करता। एकटक देखता रहता है। एक ही गतिविधि बार-बार करता है।
सामान्यीकृत दौरे- इस बारे में पूरा मस्तिष्क प्रभावित होता है। इसमें मरीज घूमता रहता है और बार-बार आंखें झपकाता है। थोड़े समय के लिए चेतना मुक्त हो जाता है इसे एब्शेष दौरे भी कहते हैं।
टॉनिक दौरे में मांसपेशियां अकड़ जाती हैं। एटॉनिक दौरे में मांसपेशियों पर नियंत्रण कम हो जाता है और व्यक्ति गिर जाता है। व्यक्ति के चेहरे, गर्दन, बांहों की मांसपेशियों में झटके लगने लगते हैं। हाथ पैरों में झनझनाहट होती है। शरीर में अकड़न व्यक्ति को मल आने पर नियंत्रण नहीं रह पाता। चेतना नहीं रहती दौरे के बाद कुछ याद नहीं रहता । बीमारी सी महसूस होने लगती है।
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* पुराने जमाने से चले आ रहे मिर्गी के कुछ प्रकार महसूस हुए दौरे मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से द्वारा वर्गीकृत होते हैं। यह जैनेटिक प्रभाव होता है।
* किसी वाहन दुर्घटना या किसी अन्य दुर्घटना में लगी चोट मिर्गी का कारण बन सकती है। यदि कोई व्यक्ति में ब्रेन ट्यूमर या स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क में क्षति होती है जो मिर्गी का कारण बन सकती है।
* किसी व्यक्ति में एड्स वायरस इन्सेफैलाटिस मेनिनजाइटिस जैसे संक्रामक रोगों के कारण मिर्गी के दौरे की संभावना रहती है ।
* किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान होने वाला संक्रमण अधूरा पोषण, ऑक्सीजन की कमी, तब बच्चे पर मस्तिष्क की कमी के कारण बच्चे को पैदा होने के बाद मिर्गी के दौरे की संभावना अधिक रहती है ।
– किसी गाड़ी में यात्रा करते समय हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग करना चाहिए।
– मिर्गी के दौरे का पता चलते ही डॉक्टर द्वारा सही इलाज बाद दवाओं के इस्तेमाल द्वारा Epilepsy पर नियंत्रण किया जा सकता है ।
– महिला के गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप और संक्रमण के उपचार सहित जन्म के पहले बच्चे की देखभाल तथा उसके मस्तिष्क की छाती को रोका जा सकता है । जो बाद में मिर्गी का रूप ना ले सके।
– दिल से संबंधित रोग उच्च रक्तचाप संक्रमण और मनुष्य में उत्पन्न हो रहे । विकारों को सही समय पहचान कर इनका उपचार करके मिर्गी के मामलों पर नियंत्रण किया जा सकता है। हम अपने जीवन में यह बदलाव करके स्वास्थ्य रह सकते हैं।
– अपने आप को तनाव मुक्त करें नशाखोरी नशीली दवाओं का सेवन छोड़ने की प्रक्रिया अपनाएं।
– सोने तथा समय पर जागने का सही समय परिवर्तन करें और चिंता मुक्त होकर अच्छी और पूरी नींद लें।