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Engineer’s Day 2021: विश्वेश्वरैया कौन है जिनके नाम से मनाया जाता है Engineer’s Day

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आए दिन कोई न कोई डे पढ़ता रहता है। इन दिनों का महत्व और इतिहास बेहद ही खास होता है। इस दिन के बारे में जो लोगों को कई अहम जानकारियां देने का काम करता है। अब जैसे ले लीजिए इंजीनियर डे यानी अभियंता दिवस को ही। हर साल 15 सितंबर को तंजानिया और श्रीलंका के साथ भारत महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया उपलब्धियों को पहचानने तथा उनका सम्मान करने के लिए ‘राष्ट्रीय अभियंता दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन को इंजीनियर्स के महान कार्य को सम्मान करने तथा उन्हें सुधार और नवाचार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। आपको बता दे कि उन्होंने देशभर में कई बांध व कई पूलों को बनाया, तथा उनका यह योगदान देश भूले भी नहीं भुला सकता है। इतना ही नहीं मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के कारण ही देश में पानी जैसी गंभीर समस्या भी दूर हुई थी।

इंजीनियर डे का इतिहास Engineer’s Day

इंजीनियर्स डे 15 सितंबर को इसलिए मनाया जाता है कि यही वो दिन था जब देश के महान इंजीनियर और भारत रत्न मोक्षगुंडम एम विश्वेश्वराया का जन्म सन् 1861 में हुआ था। गौरतलब है कि सन् 1968 में भारत सरकार ने सर एम विश्वेश्वरैया की जयंती को इंजीनियर्स डे के रूप में घोषित किया था। तब से लेकर आज तक यह दिन इंजीनियरों को सम्मानित करने तथा स्वीकार करने के लिए मनाया जाता है। जिन्होंने अपना योगदान दिया है। तथा अभी भी एक आधुनिक व विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रयास कर रहे हैं।

क्या है महत्व इंजिनियर्स डे का

वर्ष 1903 में सर एम विश्वेश्वरैया ने ऑटोमेटिक बैरियर वाटर फ्लडगेट को डिजाइन व पेटेंट कराया था। इसको ब्लॉक सिस्टम भी कहा जाता है। तथा इसमें ऑटोमेटिक दरवाजे भी होते हैं। क्योंकि ये पानी के अतिप्रवाह की स्थिति में बंद भी हो जाते हैं। इसे पुणे के खड़कवासला जलाशय में सबसे पहले स्थापित किया गया था।

सम्मानित किए गए कई पुरस्कारों से

भारत महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को सन् 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। तथा ब्रिटिश नाइटहुड से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने सन् 1912 से 1918 तक मैसूर के दीवान के रूप में कार्य किया। राष्ट्र सर एम विश्वेश्वरैया को इंजीनियर दिवस पर श्रद्धांजलि देता है।

मैसूर स्टेट का पिता कहा जाता है

राष्ट्र सर एम विश्वेश्वरैया को मॉडर्न मैसूर स्टेट पिता कहा जाता था। इसके पीछे का कारण यह था कि मैसूर के लिए किए गए उनके कार्य। मैसूर सरकार के साथ मिलकर विश्वेश्वरैया कई शैक्षणिक संस्थाओं वह फैक्ट्रियों की स्थापना भी करवाई थी।

विश्वेश्वरैया के योगदान

– मैसूर में कुष्णराज सागर बांध
– पुणे में खड़कवासला सलाह जलाशय में बांध
– ग्वालियर में तिरंगा बांध
– समुंद्र कटाव से विशाखापट्टनम बंदरगाह की सुरक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
– मोक्षमुंडन विश्वेश्वराया को ही हैदराबाद सिटी बनाने का पूरा श्रेय जाता है। (उन्होंने यहां एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की थी)

विश्वेश्वरैया द्वारा मैसूर में किए गए उनके कार्य

– मैसूर की साबुन फैक्ट्री
– स्टेट बैंक ऑफ मैसूर
– मैसूर चेंबर ऑफ कॉमर्स
– मैसूर आयरन एंड स्टील फैक्ट्री
– विश्वेश्वरैया कॉलेज आफ इंजीनियरिंग.

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