Doctor Guidelines: चिकित्सा क्षेत्र में डॉक्टरों के लिए जारी नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए नए नियमों तथा नई गाइडलाइन की घोषणा कर दी गई है, इसके तहत चिकित्सक बनने के लिए पढ़ाई कर रहे, विद्यार्थियों को अब नए नियमों के अनुरूप व्यवहार करना होगा,अगर आप भी इस फील्ड में है। अथवा आपका कोई जान पहचान का व्यक्ति चिकित्सा के क्षेत्र में है। तो आपको इन नियमों के बारे में जानना बहुत जरूरी है, ताकि आप इन नियमों के लाभ और हानि से वाकिफ रह सके तथा सही रास्ता सुन सके। आज हम आपको इस नई गाइडलाइन की पांच महत्वपूर्ण बातें बताने वाले हैं, अतः आप ध्यान से पढ़ें।
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इस गाइडलाइन का सबसे पहला और खास नियम यह है, कि पीजी करने के बाद डॉक्टर की तैयारी कर रहे सभी विद्यार्थियों को 10 साल तक सरकारी चिकित्सालयों में सेवा देनी होगी, यह एक नया नियम है। जिसके लिए बांड भरवाया जाएगा। तथा सभी एमबीबीएस चिकित्सकों को नीत पीजी काउंसलिंग में इसका भारांक दिया जाएगा।
इसी प्रकार जो पहली बड़ी बात है। वह यह है, कि डॉक्टर बनने की तैयारी करने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को पीजी के बाद सरकारी चिकित्सालयों में 10 साल तक सेवा अनिवार्य रूप से देनी होगी।
बहुत सारे लोग अभी तक यह मन बना चुके होंगे। कि वह इस नियम का पालन नहीं करेंगे अथवा हो सकता है। परिस्थितिवश इस नियम का पालन ना किया जा सके। तो अगर ऐसा होता है, तो उसका समाधान अथवा विकल्प क्या होगा..? यह भी इस गाइडलाइन में बताया गया है।
आपको बता दें, पीजी करने के बाद जो भी व्यक्ति 10 साल तक सरकारी चिकित्सालयों में सेवा देने से इनकार करेगा अथवा किन्ही कारण बस सेवा नहीं दे सकेगा। उसे बदले में प्रदेश सरकार को एक करोड़ की धनराशि चुकानी होगी, इस प्रकार आप देख सकते हैं, कि यह नियम कितना शख्त और कितना महत्वपूर्ण होने वाले हैं।
बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो अंतिम काउंसलिंग के बाद कोर्स को छोड़ देते हैं, इससे पहले तो सीट का नुकसान होता है। दूसरा सरकारी व्यवस्था के प्रयोग का भी कोई अर्थ नहीं रह जाता।
Doctor Guidelines ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए इस गाइडलाइन में एक नया नियम जारी किया गया है। कि अगर कोई अभ्यर्थी अंतिम काउंसलिंग के बाद कोर्स को छोड़ देता है। तो उसे बदले में राज्य सरकार को 1000000 का भुगतान करना होगा।
इस प्रकार अंतिम काउंसलिंग तक जाने वाले अभ्यर्थी कोर्स को बीच में ना छोड़े इसलिए कठोर नियम बनाया गया है।
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यदि कोई चिकित्सक कोर्स को बीच में ही छोड़ देता है। तो उसके लिए यह नियम बनाया गया है, कि उसे अगले 5 साल तक किसी पीजी कोर्स में दाखिला नहीं मिलेगा, इस प्रकार अगर कोई चिकित्सक बीच में कोर्स को छोड़ने की सोच रहा है। तो उसे इस नियम को भी ध्यान में रखकर ही आगे की धारणा बनानी चाहिए।
यदि किसी चिकित्सक को सुदूर एवं दुर्गम क्षेत्र में तैनात किया जाता है। तो उसे उसकी तैनाती के आधार पर कुछ भारांक दिया जाता है। परंतु अगर कोई चिकित्सक इस सुविधा का लाभ नहीं लेता है। और वह अंतिम काउंसलिंग के बाद प्रवेश नहीं लेता है। तो उसे 10 लाख की धनराशि राज्य सरकार को नहीं देनी होगी।जो सामान्यतः देनी पड़ती है।
इस प्रकार नई गाइडलाइन में जो नियम बनाए गए हैं, उनमें से पांच महत्वपूर्ण बातें हमने आप सभी के समक्ष रखी हैं। आप सब इन बातों को समझ कर सकते हैं।