DC Vs RR: कल टाटा आईपीएल-2022 में दिल्ली और राजस्थान के बीच मैच के अंतिम ओवर में हुए घटनाक्रम को बीसीसीआई ने आड़े हाथों लिया है । आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने दिल्ली के कप्तान ऋषभ पंत ,साथी खिलाड़ी शार्दूल ठाकुर और दिल्ली के सहायक कोच प्रवीण आमरे को दोषी ठहराते हुए उनपर जुर्माना लगाया है । बता दें कि कल रात हुए मैच के अंतिम ओवर में उस वक्त अजीब स्थिति पैदा हो गयी थी जब अंपायर नितिन मेनन द्वारा एक गेंद को नो बॉल नहीं दिया गया।
बल्लेबाजी कर रही दिल्ली की टीम के कप्तान ऋषभ पंत उग्र हो गए और आपा खो बैठे थे। उन्होंने नियमों और आचरण की परवाह किये बगैर बैटिंग कर रहे कुलदीप-पावेल को वापस बुलाने लगे थे जिसके बाद काफी देर तक मैच में व्यवधान रहा । ऐसे में यह पहले से ही तय लग रहा था कि दिल्ली कपिटल्स के कप्तान पंत पर जुर्माने और 1-2 मैच के प्रतिबंध की घोषणा आईपीएल गवर्निंग काउंसिल द्वारा की जा सकती है ।
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बता दें कि अंपायर द्वारा कमर से ऊपर फेंकी गई फुल टॉस गेंद को नो बॉल नहीं दिए जाने पर दिल्ली कप्तान सहित कई खिलाड़ी और सपोर्टिंग स्टाफ उग्र हो गए थे । आईपीएल के नियमों के अनुसार कप्तान पंत ,शार्दूल ठाकुर और सहायक कोच प्रवीण आमरे ने आईपीएल के नियमों की अनदेखी करते हुए अमर्यादित आचरण किया। जैसी कि उम्मीद थी इन तीनो पर बीसीसीआई ने जुर्माना लगा दिया है । कप्तान ऋषभ पंत को आईपीएल के कोड ऑफ कंडक्ट के लेवल 2 का दोषी माना गया है
और आर्टिकल 2.7 के अनुसार उनपर कार्यवाही करते हुए मैच फीस का 100% जुर्माना लगाया गया है । सूत्रों के अनुसार दिल्ली कपिटल्स के युवा कप्तान ने इस सजा को स्वीकार कर लिया है । वहीं साथी खिलाड़ी और पिछले सीजन में चेन्नई सुपरकिंग्स का हिस्सा रहे शार्दूल ठाकुर पर भी मैच फीस का 50% जुर्माना लगाया गया है । उन्हें आईपीएल के नियमों के अनुसार लेवल 2 का दोषी मानते हुए धारा 2.8 के तहत यह सजा सुनाई गई है । वहीं दिल्ली खेमे में बतौर सहायक कोच जुड़े प्रवीण आमरे ने भी आईपीएल नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अंपायर से बहस करने पिच तक पहुंच गए थे।
आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के अनुसार उनपर लेवल 2 का आरोप तय करते हुए धारा 2.2 का दोषी पाया गया है । अंपायर से बहस करने,मैच में व्यवधान डालने और अमर्यादित आचरण के दोषी प्रवीण आमरे पर भी मैच फीस का 100 फीसदी जुर्माना लगाया गया है । यही नहीं सबसे अधिक सजा देते हुए आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने उनपर 1 मैच का प्रतिबंध भी लगा दिया है। बता दें कि कप्तान पंत और शार्दूल ठाकुर की तरह आमरे ने भी सजा को चुनौती दिए बगैर स्वीकार लिया है ।
आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट में जहां दुनियाभर से सबसे अच्छे खिलाड़ी खेलने आते हैं वहां दिल्ली टीम द्वारा इस तरह के व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जा सकती । यद्यपि अंपायर का फैसला विवादास्पद था और उन्हें इसे थर्ड अंपायर को रेफर करना चाहिए था लेकिन मैदानी अंपायर भी आखिर है तो इंसान ही ।
दबाव भरे क्षणों में किसी से भी गलती हो जा सकती है लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं कि दुनिया की सबसे बड़ी लीग को गली क्रिकेट में तब्दील कर दिया जाय। यह कहना है सोशल मीडिया पर उन यूज़र्स का जो कल इस मैच और विशेषतया अंतिम ओवर में हुए घटनाक्रम के गवाह बने। कप्तान ऋषभ पंत हों, दिल्ली टीम के खिलाड़ी हों या फिर सहायक कोच प्रवीण आमरे ही क्यों न हों किसी को भी नियमों से खेलने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
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मैच के बाद दिल्ली कपिटल्स के कप्तान ऋषभ पंत ने उस गेंद पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा,” गेंद साफ तौर से नो बॉल थी क्योंकि साफ दिखाई दे रहा था कि गेंद कमर से काफी ऊपर है । अफसोस कि मैदानी अंपायरों ने न तो इसे नो बॉल दिया न ही इसे चेक करने के लिए थर्ड अंपायर के पास रेफर किया । वह गेंद अगर नो बॉल दे दी जाती तो मैच का नतीजा पलट सकता था । “
DC Vs RR इस मैच में मैदानी अंपायर नितिन मेनन और निखिल पटवर्धन थे । जब तीसरी गेंद ओबेड मकाई ने फेंकी तब वह बल्लेबाज पावेल के पास पहुंचने तक कमर से कुछ ऊंचाई पर थी । अंपायर नितिन मेनन ने इसे नॉर्मल डिलीवरी कहा । विवाद बढ़ने पर और सहायक कोच प्रवीण आमरे के मैदान में आकर अंपायरों से गेंद को थर्ड अंपायर से चेक करवाने के आग्रह को मैदानी अंपायरों ने ठुकरा दिया।
इस पर अंपायरों का कहना है कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि कमर से ऊपर की गेंद को थर्ड अंपायर से चेक करवाया जाए । बता दें कि कमर से ऊपर की गेंद के बारे में निर्णय मैदानी अंपायर ही लेते हैं । हालांकि यह विवाद का विषय हो सकता है क्योंकि ओवर की प्रत्येक गेंद में पैर की नो बॉल चेक की जाती है । ऐसे में कमर से ऊपर की बाल सिर्फ मैदानी अंपायर ही चेक करेंगे तो इस तरह के विवाद सामने आते रहेंगे।