यूपी के मुरादाबाद में अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारीयों ने तो लापरवाही की सारी हदें पार कर दी। सड़क हादसे में घायल एक व्यक्ति को मृत घोषित करके मुर्दाघर के फ्रीजर में ही रख दिया। शुक्रवार के दिन सुबह 10:30 बजे पुलिस तथा उसके परिजन मौके पर पहुंचे तो उसकी सांसे चल रही थी। आनन-फानन में घायल को दोबारा जिला अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। श्रीकेश (30) हजरत नगर गढ़ी थाना क्षेत्र में पोटा पहाड़ी में रहता है। गुरुवार की रात को लगभग 9 बजे उसका एक्सीडेंट हो गया था। उसको सबसे पहले ‘टीएमयू हॉस्पिटल’ में ले जाया गया। उसके बाद से ब्राइट स्टार हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन हालात बिगड़ने पर रात लगभग 3 बजे जिला अस्पताल के इमरजेंसी में लाया गया। हालांकि यहां पर तैनात डॉ मनोज यादव ने तो श्रीकेश देखते ही मृत घोषित कर दिया। इसके बाद से उसे मार्च्यूरी के फ्रीजर में रखवा दिया गया। चूंकि एक्सीडेंट का केस था तो इसीलिए मौत की सूचना भी सिविल लाइन पुलिस को भेज दी गई।
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पूरे 10 घंटे तक घायल श्रीकेश मार्च्यूरी के फ्रीजर में बंद रहा। उसको एक्सीडेंट की वजह से हेड इंजरी हुई थी, लेकिन अभी सांसे चल रही थी। डॉक्टर ने अपनी लापरवाही की वजह से उसे मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद से वो रात भर उसी फ्रीजर में बंद तड़पता रहा।
जिला अस्पताल की पीआई (पुलिस इंफॉर्मेशन) पर शुक्रवार दोपहर लगभग 1 बजे सिविल लाइन पुलिस शव का पंचनामा भरने पहुंची। पुलिस ने शव को मार्च्यूरी के फ्रीजर से निकलवाया तो सांसे चल रही थी। पुलिस ने तुरंत ही इसकी सूचना डॉक्टर को दी। आनन-फानन में ही श्रीकेश को जिला अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में लाया गया। हालांकि वहां डॉक्टर उसका इलाज कर रहे हैं।
इस मामले में सीएमएस (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक) डॉक्टर शिव सिंह का यह कहना है कि डॉ मनोज यादव ने ठीक से चेकअप करके ही श्रीकेश को मृत घोषित किया था, तथा उस समय मरीज की सांसे भी नहीं चल रही थी।