भारत में किसी व्यक्ति के एक बार विधायक बनने के बाद उसकी पूरी की पूरी पीढ़ी की स्थिति सुधर जाती है वहीं नाम, फेम, रुतबा,पावर और पैसा भी खूब मिलता है । जाहिर है कि जब किसी को इतनी सुविधाएं मिलेंगी तो विधायकी की तरफ हर कोई दौड़ेगा लेकिन इस दुनिया मे ऐसे भी लोग हैं जिनके लिए सिद्धांतों से बढ़कर कुछ भी नहीं है ।
नाम, दौलत, शोहरत और पावर की ऐसे लोगों को वैसी भूख नहीं होती जैसी कि आमतौर पर बनने वाले विधायकों में देखी जाती है । कुछ ऐसे ही सिद्धांतवादी लोगों में एक उत्तरप्रदेश के कुशीनगर से विधायक सुरेंद्र कुशवाहा भी हैं जो पेशे से टीचर हैं और विधायक बनने के बाद भी उन्होंने अपना पेशा नहीं छोड़ा।
इस पोस्ट में
उत्तरप्रदेश में हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर कुशीनगर से जीते सुरेंद्र कुशवाहा पावानगर के महावीर इंटर कालेज में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात हैं । विधायकी का चुनाव लड़ने से पहले भी वह इसी विद्यालय में अध्यापन कार्य करते थे । उन्हें अध्यापन कार्य से काफी लगाव है और यही वजह है कि विधायक बनने के बाद भी वह हर रोज पढ़ाने विद्यालय आते हैं । यही नहीं उनके इस नेक कार्य के बच्चे भी मुरीद हैं और वह भी सुरेंद्र कुशवाहा को पसंद करते हैं ।
यही नहीं प्रिंसिपल तक भी उनके मुरीद हो गए हैं । महावीर इंटर कालेज में सामाजिक विज्ञान पढ़ाने वाले सुरेंद्र कुशवाहा बताते हैं कि वह भले ही विधायक बन गए हैं लेकिन बच्चों को पढ़ाना जारी रखेंगे और उनका कोर्स समय पर पूरा कराएंगे ।
विधायक Surendra Kumar Kushwaha की दरियादिली इस बात से भी जाहिर होती है कि विधायक बनने के बाद भी वह विधायक को मिलने वाले वेतन,भत्ते नहीं लेते । जहां विधायक से लेकर सांसद तक अपने वेतन भत्तों के लिए सन्सद से लेकर सड़क तक लड़ते और आंदोलन करते दिखाई देते हैं और कोई भी अपना वेतन छोड़ने को तैयार नहीं होता वहीं सुरेंद्र कुशवाहा का वेतन छोड़ना अपने आप मे एक मिसाल है । कुशीनगर से विधायक सुरेंद्र कुशवाहा बताते हैं कि वह अवैतनिक अवकाश पर विधानसभा सत्र में उपस्थित होंगे ।
बता दें कि Surendra Kumar Kushwaha की पहली प्राथमिकता अध्यापन कार्य है उसके बाद बचे समय मे वह राजनीतिक रूप से क्षेत्र में सक्रिय होते हैं और विकास कार्यों को देखते हैं । पेशे से अध्यापक सुरेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि वह चाहते तो अन्य लोगों की तरह 5 साल की अवैतनिक छुट्टी लेकर विधायकी के मजे ले सकते थे लेकिन उन्होंने अध्यापन कार्य को प्राथमिकता दी । बता दें कि उन्होंने विधायकी का वेतन लेने की बजाय शिक्षक का वेतन लेने का फैसला किया है ।
पैर में चप्पल तक नही, घूम घूम कर भगवान की फोटो बेचते हैं, और हूबहू कुमार सानू की आवाज में गाते हैं
रेड डालने गए कबड्डी प्लेयर की लाइव मैच में हुई मौत, हार्ट अटैक का अंदेशा
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव 2022 में कुशीनगर की फाजिल नगर सीट हाई प्रोफाइल मानी जा रही थी जहां पर भाजपा में रहे और फिर सपा में आये कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव लड़ रहे थे वहीं उनके सामने भाजपा के टिकट पर सहायक अध्यापक सुरेंद्र कुशवाहा उनके खिलाफ मैदान में थे । बता दें कि सुरेंद्र कुशवाहा ने इन चुनावों में स्वामी प्रसाद मौर्य को हराकर विधायक बने थे । वहीं अब उनके विधायक के रूप में वेतन न लेने को लेकर चर्चा हो रही है । लोग उनके इस कार्य की तारीफ कर रहे हैं ।