आजकल आपने देखा होगा कि आपके आस पास बहुत से लोग ऐसे हैं जो उम्र के एक बड़े पायदान पर पहुँच चुके हैं परंतु सफ़लता या उपलब्धि के नाम पर उनके पास कुछ भी नहीं है परंतु इन्ही सब स्थितियों के बीच मे कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बहुत कम समय मे ही काफी बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर लोगों के लिये मिसाल बन गये, ऐसे ही कुछ कहानी है एक 23 वर्षीय लड़की अश्वनी की,आज हम इसके बारे में पूरी डिटेल समझेंगे।
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सबसे पहले आपको यह बताते हैं कि आखिर यह अश्वनी है कौन तो आपको बता दें कि यह भारत के कर्नाटक राज्य के हुबली क्षेत्र के अंतर्गत एक छोटे से गाँव कुरुकोपिनाकोपा की एक साधारण सी लड़की है जो आज कर्नाटक में एक चेंज मेकर के रूप में जानी जाती है और कर्नाटक में गुरुओं की भी गुरु बन गयी है।
कहते हैं कि अगर सवेरा अधिक चमकीला है तो उसका मतलब यह है कि रात बहुत गहरी रही है यह बात अश्विनी के जीवन पर भी लागू होते है क्योंकि वह भी कई संकटों का सामना करके ही यहाँ तक पहुँच सकी है,आपको बता दें कि अश्विनी के सामने संकट 15 वर्ष की उम्र से ही शुरू ही गये थे और सबसे बड़ा संकट था उनके विवाह का क्योंकि सभी लोग जल्द से जल्द अश्वनी का विवाह कर देना चाहते थे,परंतु कुछ और करने की ठान चुकी अश्वनी ने इस स्थिति का सामना किया और बड़ी मुश्किल से अपने माता पिता को मनाकर आगे की शिक्षा प्राप्त कर सकी।
अब आपको वह बात बताते हैं जिससे अश्विनी गुरुओं की भी गुरु बन गयी,आपको बता दें कि अश्विनी ने बदलती हुई दुनिया में ऑनलाइन एजुकेशन की महत्ता को समझा और यह बीड़ा उठा लिया कि वह इस पद्धति को बढ़ावा देते हुये सबको यह कौशल सिखाएगी और इसी क्रम में उन्होंने प्रार्थमिक विद्यालय के अध्यापकों को ऑनलाइन एजुकेशन के तौर तरीके सिखाने शुरू किये और वह गुरुओं की गुरु बन गयीं।
असज कर्नाटक की शिक्षा व्यवस्था में अश्विनी का स्थान एक चेंज मेकर का है,आपको बता दें कि अश्विनी प्रतिमाह कम से कम 25 स्कूलों का दौरा करती हैं और और वहाँ के शिक्षकों को ऑनलाइन पद्धति के बारे में जानकारी देती हैं,उस प्रकार उन्होंने कर्नाटक की शिक्षा पद्धति में एक क्रांति सी ला दी है जिसकी वजह से आज वह महज 23 वर्ष की आयु में एक सशक्त चेंज मेकर के तौर पर जानी जा रही हैं।
बचपन मे चैलेंज था रूढ़ियों को तोड़कर आगे निकलने का ,अश्विनी ने यह किया और रूढ़ियाँ तोड़ कर विवाह आदि से बचते हुये वह बाहर आई और अपनी शिक्षा पूरी की पर उन्हें अपने अंदर कौशल की कमी नजर आयी है,इसके लिये उन्होंने देश पांडेय फाउंडेशन से शॉफ्ट स्किल में चार महीने का कोर्स किया और अपने आप को हुनरमंद बनाया।
स्वयं को हुनरमंद बनाने के बाद अश्विनी दुनिया को वह हुनर बांटने निकल पड़ी और सदी की एक सशक्त हस्ताक्षर बन गयीं।