यूनान का इतिहास का विद्वान जिसने कहा था कि “सूरज प्रातः सागर सरिता से निकलता है और फिर सायंकाल  उसी में विलीन हो जाता है”?

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यूनान का महान विद्वान होमर

यूनान का इतिहास का महान विद्वान होमर :-

यूनान का महान विद्वान जिसने भूगोल  के विकास में अपना योगदान दिया । उस समय इतनी तकनीक विकसित नहीं हुई थी और उन्होंने पृथ्वी और पृथ्वी पर होने वाली क्रियाओं को समझने के लिए सबसे पहले अपना कदम बढ़ाया। लेकिन जो उन्होंने अपनी धारणाएं दी हैं वह गलत है फिर भी उनकी खोजपूर्ण सोच के कारण या उनकी खोज पूर्ण सोच से सबक लेकर कई विद्वान आगे आए और खोज का सिलसिला शुरू हुआ। होमर एक प्रसिद्ध यूनानी विद्वान थे। यूनान का इतिहास महाकवि होमर ने ईसा पूर्व 9 वीं शताब्दी में दो महाकाव्य की रचना की जिनका नाम इलियड (Iiliod) और ओडीसी  (Odysey)था। होमर के ओडीसी नामक महाकाव्य में तत्कालीन यूनानी विद्वानों को ज्ञात विश्व की परिधि पर स्थित विभिन्न स्थानों और प्रदेशों का सजीव चित्रण मिलता है इस महाकाव्य का नायक ओडसस है। यह महाकाव्य ट्रोजन युद्ध का वर्णन है जो 1280 – 1180 ईसा पूर्व तक चला था।

यूनान का इतिहास होमर की सूर्य अस्त और उदय होने के संबंध में धारणा :-

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यूनान का इतिहास होमर ने कहा था कि सूरज सागर सरिता से निकलता है और फिर सायंकाल उसी में विलीन हो जाता है। और यह धारणा बहुत लंबे समय तक चली जब तक कि किसी दूसरे विद्वान ने इसका सही सिद्धांत नहीं दिया । होमर जब सूर्य को समुद्र के किनारे खड़े होकर देखते थे तो वह समुंद्र से बाहर निकलता प्रतीत होता था और फिर शाम को सूर्य समुद्र में डूबता सा प्रतीत होता था इसलिए होमर ने यह अनुमान लगाया कि सूरज सागर से निकलता है और शाम को फिर उसी में डूब जाता है।

होमर ने अवधारणा दी की सूरज सागर सरिता से निकलता है और फिर उसी में अस्त हो जाता है तो होमर ने इसी प्रकार सूर्य को अस्त होते देखा होगा।

यूनान का इतिहास क्या कहा होमर ने पृथ्वी और आकाश के बारे में :-

होमर ने पृथ्वी के संबंध में बताया कि पृथ्वी चपटी तथा उसका आकार गोल है और यह सागर सरिता द्वारा घिरी हुई है। मैंने पृथ्वी के स्थल खण्डों को बीच में माना है और उसके चारों तरफ जल ही जल को माना है और यह सत्य भी है कि पृथ्वी के चारों तरफ जल ही जल था । पृथ्वी पर बीच में एक महाद्वीप था जिसे पैंजिया कहा जाता था और फिर उसके चारों तरफ सागर था जिसे पैंथालाशा कहा जाता था।

होमर ने आकाश के संबंध में कहा था कि वह ( आकाश) ठोस एवं नतोदर धरातल वाला है और खम्भों पर खड़ा है। यूनान का इतिहास होमर ने यह धारणा शायद इसलिए दी होगी क्योंकि पृथ्वी गोल है और साधारणतः  देखने से  ऐसा लगता है कि आकाश का सिरा कहीं ना कहीं धरती से जुड़ा हुआ है और एक तसला की भांति धरती पर औंधा हुआ है इसी को देखकर होमर ने अनुमान लगाया होगा।

यूनान का इतिहास विद्वान होमर ने हवाओं का वर्णन किया :-

होमर ने चारों दिशाओं से आने वाली पवनों के गुणों को बताया। होमर ने हवा को अलग अलग नाम से संबोधित किया।

वोरेस – होमर ने उत्तर से आने वाली ठंडी पवन को वोरेस कहा ।

इयूरस- होमर ने पूरब से आने वाली हवा को इयूरस कहा जो उष्ण और मंद थी।

नोट्स – नोट्स होमर ने दक्षिणी पवन को कहा जो  वाताग्री, प्रचंड तथा आद्र थी।

जैफेरस – यह हवा डरावनी, सुगंधित और प्रचंड थी जो पश्चिम दिशा से आती थी जिसे होमर ने जैफेरस नाम दिया।

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होमर ने अपने ग्रंथ में ट्रोजन युद्ध का बड़ा ही मनोरम वर्णन किया

होमर ने ” यूरोप “शब्द का प्रयोग एजियन सागर के उस तट के लिए किया जिधर सूर्य अस्त होता था और ” एशिया ” जहां से सूर्य निकलता  शब्द का प्रयोग किया। होमर ने अपनी कविताओं में सप्त ऋषि मंडल, बूट्स,  प्लीडेस, हायड्रा और ओरिथन का प्रयोग किया । होमर ने अपने इन ग्रंथों में स्थान स्थान पर स्थानों जनपदों , पर्यावरणीय दशाओं , मानव वर्गो की भौगोलिक वर्णन किए हैं।

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