गीत संगीत व नृत्य सभी इन सभी कलाओं के साथ-साथ नौटंकी भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण कला है जो खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत ज्यादा प्रचलन में हुआ करती थी,आजकल इस कला में थोड़ा सा कमी देखी जा रही है लेकिन फिर भी यह पूरी दुनिया में पहचानी जानी और पसंद की जाने वाली कलाओं में से एक है हम आपको उस व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं जिसमें नौटंकी की कला को पूरी दुनिया भर में प्रसिद्धि दिलाई।
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नौटंकी कला को पूरी दुनिया में एक नई पहचान और एक नया आयाम देने वाले कलाकार राम दयाल शर्मा है,यह राजस्थान के भरतपुर जिले से समाई खेड़ा गांव के निवासी हैं और इनके पिता जी के बारे में अगर बात करें तो इनके पिता जी खूबी राम और चाचा पंडित राम स्वरुप शर्मा नौटंकी की मशहूर कलाकार हुआ करते थे इसी का असर है कि रामपाल शर्माने भी नौटंकी कलाम दक्षता हासिल कर ली।
एक साक्षात्कार में रामदयाल शर्मा बताते हैं कि जब भी कहीं पर कोई नौटंकी साकार करो तथा तो वह अपने पिताजी और चाचा जी के साथ उसका कम में चले आते थे, और इस प्रकार धीरे-धीरे रामदयाल शर्मा पर भी इस विधा का रंग चलता चला गया और यह विधा उनकी रूम रोम में समाती चली गई और उनके अंदर का कलाकार निखरता चला गया तथा रामदयाल शर्मा नौटंकी का लाखों दुनिया में अलग पहचान दिलाकर कला के नये आयाम गढ़ दिये।
एक साक्षात्कार में रामदयाल शर्मा बताते हैं कि 1964 में उन्होंने डींग से हाई स्कूल की पढ़ाई की, 1973 में वह दिल्ली चले गये और वही से अपने रोम-रोम में बसी नौटंकी की कला को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करने लगे,जल्द ही उन्हें विभिन्न स्नातक अकादमी और विद्यालयों में प्रदर्शन और व्याख्यान के लिए बुलाया जाने लगा इस प्रकार इनकी साथ छाती चारों तरफ फैले लगी और साथ ही फैल लगी नौटंकी कला की प्रतिभा और विधा।
आपको यह जानकर असर भी हो सकता है और हर्ष भी की कलाकार रामदास शर्मा ने कई वर्षों तक स्कूल ऑफ ड्रामा नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में बतौर विशेषण के अपनी सेवाएं दी और दौरान उन्होंने कई जाने-माने अभिनेताओं को अभिनय की हुनर से सिखाएं इस प्रकार क्षेत्र तक नौटंकी विधा को जाने में रामदयाल शर्म आनी अपना अनोखा योगदान दिया।
रामदयाल शर्मा बताते हैं कि उन्हें नौटंकी कला से ही पहचान मिली,1992 में भारतीय लोक संगीत और रंगमंच पर बोलने के लिए उन्हें bbc लंदन द्वारा बुलाया गया इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में एक विशेष कलाकार के रूप में बुलाया था तथा 2004 वह 2005 में गणतंत्र दिवस परेड की झांकी में बच्चों के चयन पर रक्षा मंत्रालय को सलाह देने के लिए बनी विशेषज्ञ समिति में भी जुडे नामित किया गया, रामदयाल शर्मा बताते हैं कि सब उनकी कला और विधा नौटंकी की वजह से हो सका।
नौटंकी कला को स्थानीय स्तर से उठाकर दुनिया भर में पहचान दिलाने वाले राम दयाल शर्मा को विभिन्न स्तर पर बड़े सामान मिल चुके हैं एक साक्षात्कार में वह बताते हैं कि वर्ष 2015 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया था तथा गणतंत्र दिवस 2022 में फुले पदम श्री से सम्मानित करने की घोषणा की गई और उन्हें पदम श्री से सम्मानित किया गया अपनी कला के कारण है इन सभी सम्मान से राम दयाल शर्मा स्वयं को गौरवांवित महसूस करते हैं और उनके योगदान से उनकी नौटंकी कला दुनिया भर में एक अलग स्थान पा रही है।